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पूरे देश में पिछले कुछ महीनों से कोहराम का माहौल है! पहले CAB (सिटिजन अमेंडमेंट बिल) पर संसद से गलियारे तक चर्चा चली, जो कानून बन गया और अब उसे CAA (सिटिजन अमेंडमेंट एक्ट) के नाम से यानी - ‘नागरिकता कानून’ के रूप में जाना जा रहा है। इसके बाद बहस और धरना शुरू हुआ - छब्त् - को लेकर, जो चालू है। NRC यानी ‘नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन’ - जो गहरे विवादों में हैं। इसे लेकर फिल्म संसार में दो गुट बन गए है। मजे की बात यह है कि एक वर्ग ऐसा भी है बॉलीवुड में जो चुपचाप काम करता है। इनको किसी राजनीति से मतलब नहीं। कुछ फिल्म वाले ऐसे भी हैं जो CAA और NRC का मतलब जानते भी नहीं हैं। वह यह कहते हैं - ‘अरे भाई, हमने तो सुना है सरकार एक और नाम NPR भी लेकर आने की तैयारी में हैं।’ NPR यानी - ‘नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर’ - जो एक तरह से जनगणना का ही नया नाम है। NRC के समर्थन में बॉलीवुड में अनुपम खेर, जूही चावला, अमीषा पटेल जैसे सितारे हैं तो विरोध में नसीरुद्दीन शाह, फरहान अख्तर, स्वरा भास्कर जैसे सितारे हैं। इस लिस्ट में जावेद अख्तर, अनुराग कश्यप और दीपिका पादुकोण के नाम भी सामने आए हैं।
अब आइये, हम संक्षेप में बताते हैं कि ये शब्द हैं क्या! दरअसल बंगलादेश बनने वाले युद्ध के दौरान देश में लाखों विदेश से शरणार्थी आ गये, जो अवैध रूप में यहां (भारत में) रह रहे हैं। इनको लेकर विवाद शुरू हुआ था असम जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में। सरकार ने इनकी नागरिकता को एक आधार देने के लिए एक बिल (CAB) पेश किया जो अब, कानून बन चुका है। इसी को वापस किए जाने के लिए धरना और आंदोलन शुरू हुआ है। नागरिकता कैसे तय की जाए- एक बड़ा सवाल था- क्योंकि बाहर से आए लोग गत वर्षों में मेन धारा के साथ मिलजुल चुके हैं। असम राज्य में घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एनआरसी लागू किया गया। व्यक्ति को खुद को असम का नागरिक साबित करने के लिए कुछ प्रूफ देने की बात और समय का मापदंड तय किया गया। खुद को नागरिकता रजिस्टर (NRC) में शामिल करने की चर्चा चल पड़ी कि ऐसा पूरे देश में होगा। और, सरकार के सफाई देने के बावजूद कि पूरे देश में ऐसा नहीं होगा और जो मूल रूप से भारत के निवासी हैं उनको डरने की जरूरत नहीं है, बात आंदोलन का रूप लेती चली गई। विरोध यहां तक शुरू हो गया है कि हर 10 साल में की जाने वाली जनगणना (NPR) को लेकर भी खबरों का बाजार गर्म है। एक वर्ग यह मानकर विरोध में अग्रसर है कि CAA और NRC एक ही हैं और आगे होने वाला NPR भी इनसे संबंधित है। सरकार पूरी कोशिश में है कि लोगों को समझाया जा सके कि वे सच जानें! हैरानी की बात यह है कि अपनी फिल्मों से समाज को सही दिशा- निर्देशन देने वाले फिल्मकार भी बहुत से हैं जो CAA, NRC और NPR को नहीं समझ पाए हैं।
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