Movie Review: सयोनी में राहुल रॉय बुरे पुलिस वाले के रोल में अच्छे लगे हैं By Siddharth Arora 'Sahar' 20 Dec 2020 | एडिट 20 Dec 2020 23:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर सयोनी इस हफ्ते सिनेमा हॉल में रिलीज़ हुई है. हमारा नया हीरो राजदीप रंधावा (तन्मय सिंह) एक हैंडसम सा शार्प शूटर होने के अलावा गिटार भी बजाता है और गाने भी गाता है. वो गाना गाते हुए दुनिया भर की लोकेशंस पर अपनी नायिका माही (मुस्कान) के साथ यहाँ-वहाँ घूम भी लेता है. इतना ही नहीं, उसे अपनी मिसिंग गर्लफ्रेंड को रूस की किन्हीं अनजान राहों में ढूंढते हुए भी दिखाया है. फिल्म देखते वक़्त आप न चाहते हुए भी हाल की की रिलीज़ विद्युत जामवाल की फिल्म - ख़ुदा हाफ़िज़ याद करने लगते हैं. सयोनी सिर्फ एक आदमी के खिलाफ सारी के झगड़े फ़साद की कहानी भर है. Jyothi Venkatesh अरसान के किरदार में बुरे पुलिसिये बने राहुल रॉय वाकई बुरे लगे हैं कहानी फिर आगे बढ़ती है और हमारे डेब्यू कलाकार तन्मय सिंह मुस्कान सेठी को रशियन माफिया से बचाने के लिए भ्रष्ट पुलिस वाले अरसान यानी राहुल रॉय की मदद लेते हैं. इसमें से कुछ भी ऐसा नहीं है जो आपको बहुत अचंभित करता हो, एक रशियन स्ट्रिपर 'लीना' भी दिखाई है जो हिंदी भी बराबर बोल लेती है, इसका रीज़न ये मिलता है कि ये भाषा ज्ञान भी उसके 'धंधे' की ज़रुरत है. अब बिना सिर-पैर रीज़न के अरसान राजदीप को कुछ पैसे ऑफर करता है और कहता है कि जाओ उस लड़की के साथ वोडका वगैरह पियो, सेक्स करो मौजमस्ती करो और भोला भाला नायक बिचारा रात गुज़ार भी लेता है. योगराज सिंह और उपासना सिंह को देखकर भी कुछ ऐसा नहीं महसूस होता जो याद रखने लायक लगे अब हमारा हीरो अपनी गर्लफ्रेंड को दुनिया के सबसे बड़े क्राइम कैपिटल कहलाये जाने वाले शहर ने निकाल लेता है, हालांकि इसी बीच हमारी डायरेक्टर जोड़ी फ्लैशबैक के द्वारा 'पंजाब दा पिंड' भी दर्शा देते हैं. योगराज सिंह और उपासना सिंह ने पिता-माँ के करैक्टर को औसत से भी नीचे रखा है, देखने वाले को कुछ ऐसा नहीं मिलता है जिससे सुस्त गिरती-पड़ती कहानी कहीं रफ़्तार पकड़ सके. ये डबल ट्विस्ट टाइप सीक्वेंस ऐसा लगता है मानों अब्बास-मस्तान की क्लासेज में सीखा हो, ये कुछ ऐसा सस्पेंस होता है जो फिल्म के कुछ शुरुआती सीन्स देखकर ही समझ आ जाता है. राहुल रॉय बुरे पुलिसिये के किरदार में अच्छे लगते हैं तन्मय सिंह हमें भी बीते दौर के विकास भल्ला लगने लगते हैं, उनकी स्क्रीन प्रेसेंस अच्छी है और अगर हल्का, सिमित किरदार हो तो वो बहुत बढ़िया निभा सकते हैं. पूरी फिल्म में उन्हें बस चीखने और हल्ला करने के लिए रखा गया लगता है लेकिन रोमांटिक सीन्स में उनकी प्रतिभा फिर भी नज़र आती है. मुस्कान की बात करें तो वो ख़ूबसूरत लगी हैं और उन्होंने एक्टिंग भी अपने करैक्टर और स्क्रीन प्रेसेंस की लिमिटेशंस के हिसाब से अच्छी की है. हालांकि, जैसा शिवालिका ओबेरॉय को ख़ुदा-हाफ़िज़ में देखकर लगा था, ये भी फिल्म के सेकंड हाफ में न के बराबर नज़र आई हैं. राहुल रॉय ज़रूर बुरे पुलिसिये के रोल में न्याय करते लगे हैं और जब उनके आने पर बैकग्राउंड में 'जाने जिगर जानेमन' बजता है तब न चाहते हुए भी बीते नब्बे के दशक की याद आ ही जाती है. Source - Tanmay Ssingh कुलमिलाकर, प्रोडक्शन की ओर से अच्छी ख़ासी इन्वेस्टमेंट होने के बावजूद सयोनी साधारण से भी कमतर फिल्म लगती है और फिल्म ऐसा कोई मौका, कोई सीक्वेंस नहीं देती जिसकी वजह से फिल्म देखने की कोई लालसा बाकी रहे. इसका स्क्रीनप्ले ऐसा है जिसमें कुछ भी हैरान करने वाला नहीं लगता, फिल्म की अच्छी शुरुआत के बाद फिल्म का हर सीन अंत तक की कहानी बिना किसी उत्सुकता के बयां कर देता है. हालंकि कुछ एक ऐस ट्विस्ट टर्न्स आपको मिल सकते हैं जो आपको कम से कम इंटरवल तक तो फिल्म से जोड़े ही रखते हैं. अगर आपको ये रिव्यू अच्छा लगता है तो शेयरकरना न भूलें Producers-Lucky Nadiadwala Morani Productions and D&T Productions Director-Nitin Kumar Gupta, Abhay Singhal Star Cast- Tanmay Ssingh, Musskan Sethi, Rahul Roy, Yograj Singh and Upasana Singh Genre- Thriller Rating- ** #Rahul Roy #Sayonee #tanmay ssingh हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article