इस रक्षा बंधन पर हम आपको बताने वाले हैं कि, हमारी बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी भाईयों-बहनों के प्यार की भरमार है। बॉलीवुड के बहुत से सेलेब्स अपने भाइयों के लिए वरदान साबित हुए हैं, तो बहुत से ऐसे भी हैं जो कंधे-से-कंधा मिलाकर चले हैं।
बॉलीवुड की शुरुआत से शुरु करें तो पृथ्वीराज वो पहले शख्स थे जो फिल्म इंडस्ट्री में अपने भाई त्रिलोक कपूर को लेकर आए थे। हालाँकि त्रिलोक कपूर ने भी एक से बढ़कर एक हिट दी हैं 1930 से लेकर 1940 तक वो सबसे ज्यादा पैसे लेने वाले एक्टर थे। लेकिन जो नाम बड़े भाई पृथ्वीराज कपूर ने कमाया वो त्रिलोक कपूर न बना सके।
पृथ्वीराज कपूर का नाम बड़ा होने में उनका पृथ्वी थिएटर और उनकी अपनी स्किल्स तो थी ही, साथ ही उनके बड़े बेटे राज कपूर का सुपर-डुपर हिट होना भी उनके नाम को आगे बढ़ाने में सहायक रहा। राज कपूर के बाद उनके भाई शम्मी कपूर और शशि कपूर भी फिल्म इंडस्ट्री में आए और ये कहना मुश्किल है कि, कौन किससे ज्यादा कामयाब रहा। हालाँकि राज कपूर फिल्ममेकर होने की वजह से अपने दोनों भाइयों से हमेशा आगे रहे, पर शशि और शम्मी की पॉपुलैरिटी में भी कोई कमी नहीं रही।
इनके साथ-साथ ही दिलीप कुमार भी जब फिल्मों में आए तो अपने भाई नासिर खान को भी लेकर आ गये पर दिलीप कुमार होना तो दूर, नासिर खान सिवाए बॉलीवुड एक्ट्रेस बेगम पारा से शादी करने के सिवा कुछ न कर सके। हाँ, वह बटवारे के समय पाकिस्तान जरूर चले गये, लेकिन जब वहाँ उनकी कोई फिल्म न चली तो भारत वापस आ गये। दुर्भाग्यवश उनकी यहाँ भी कोई फिल्म न चली। उन्हें याद रखने के लिए सिर्फ एक फिल्म का नाम आता है-दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ में वह उनके को-स्टार रहे थे।
इसी तरह राज कपूर के बेटे ऋषि, रणधीर कपूर और राजीव कपूर में जितनी कामयाबी ऋषि कपूर ने बटोरी, उतनी कामयाबी रणधीर कपूर को नहीं मिली और राजीव कपूर फिल्मों में भी आए थे, ये लोगों ने तब जाना जब उनकी डेथ हुई।
भाइयों की बात चल रही है तो भला अशोक कुमार गाँगुली बंधुओं को कैसे छोड़ सकते हैं। लेकिन अशोक कुमार किशोर कुमार को फिल्म इंडस्ट्री के धक्कों से बचाना चाहते थे। पर कलाकार और बहता पानी अपना रास्ता बना ही लेते हैं, अशोक कुमार अगर सुपरहिट थे तो किशोर कुमार ब्लॉकबस्टर साबित हुए और दोनों ने मिलकर अपने मंझोले भाई अनूप कुमार को भी फिल्मों में लाने की कोशिश की, पर वो कुछ खास न कर सके।
किशोर कुमार यूं तो हर फील्ड में मास्टर थे लेकिन दुनिया उन्हें गायन के लिए ही सबसे ज्यादा याद रखती है।
अशोक कुमार से उलट, बी-आर चोपड़ा अपने भाई यश चोपड़ा को फिल्मों में लेकर आए थे। एक समय बाद, जब यश चोपड़ा को लगा कि वह खुद भी फिल्में बना सकते हैं, तब उन्होंने अपना बैनर खोला-यशराज फिल्म्स। यशराज फिल्म्स में यश तो यश चोपड़ा जी के नाम से है लेकिन राज राजेश खन्ना की देन है। यश चोपड़ा की पहली फिल्म ‘दाग’ में उनके लीड एक्टर राजेश खन्ना ही थे और यहीं से उन्हें अपने बैनर के लिए यशराज नाम मिला था जो आज भी बुलंद है।
बी-आर चोपड़ा और अशोक कुमार की तरह महमूद भी अपने भाई अनवर अली को फिल्मों में लेकर आए थे। अनवर कई फिल्मों में करैक्टर रोल करने के बाद अंत में प्रोडक्शन की ओर मुड़े। अनवर की बनाई कुंवारा बाप, खुद्दार या काश सरीखी गिनी चुनी फिल्में ही रहीं जो बहुत कामयाब हुईं वर्ना उनकी पॉपुलैरिटी महमूद के आसपास भी न हो सकी। लेकिन दोस्ती के मामले में वह भी महमूद की तरह ही अमिताभ बच्चन के बहुत करीबी दोस्त रहे।
उसी दौर में संगीतकार रौशन बहुत कामयाब म्यूजिक डायरेक्टर थे। लेकिन मात्र 50 साल की उम्र में चल बसे। उनकी लेगेसी उनके बेटों राकेश रौशन और राजेश रौशन ने आगे बधाई। राजेश रौशन जहाँ बेहतरीन संगीतकार बने वहीं राकेश रौशन बेस्ट फिल्ममेकर और एक्टर बनकर उभरे। अब इन दोनों में ज्यादा कामयाब कौन रहा ये तोलना जायज न होगा, लेकिन इतना जरूर हक से कहा जा सकता है कि राकेश रौशन राजेश के मुकाबले ज्यादा मकबूल हुए।
रौशन भाई
इसी तरह नासिर हुसैन और ताहिर खान साथ ही फिल्म इंडस्ट्री में आए लेकिन ताहिर के मुकाबले नासिर ज्यादा मकबूल हुए, उन्होंने ताहिर के बेटे आमिर खान को अपनी फिल्म में लॉन्च भी किया।
मदर इंडिया नर्गिस भी अपने भाई अनवर हुसैन को फिल्मों में लेकर आईं, हालाँकि अनवर नर्गिस के फेम के आसपास भी नहीं पहुँच सके।
सुपर हिट एक्ट्रेस मुमताज भी अपनी बहन मलिका अस्कारी को इंडस्ट्री में लेकर आईं लेकिन वह कुछ खास कामयाबी पाने में नाकाम रहीं।
पर मलिका ने जिनसे शादी की, वो भारत के बेस्ट रेसलर और हनुमान जी बनने वाले दारा सिंह के भाई सरदार सिंह रंधावा थे। मुमताज की ही तरह दारा सिंह अपने भाई को फिल्मों में लेकर आए लेकिन वह भी अपनी पत्नी और मुमताज की बहन मलिका की तरह ही कोई खास सक्सेस न पा सके।
इन सारे भाई बहनों में, रामानंद सागर जी के सात बेटों का जिक्र बहुत जरूरी है जिनमें सब ही फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहे। हालाँकि जितना नाम शांति सागर और प्रेम सागर जी का हुआ, उतना नाम बाकी न बना सके।
सुनील दत्त साहब भी वक्त रहते अपने भाई सोम दत्त को फिल्मों में ले आए थे। लेकिन वह भी कुछ खास कमाल न कर सके।
मशहूर संगीतकार, गायक और टी-सीरीज रचियेता गुलशन कुमार जी के भाई कृष्ण कुमार भी फिल्मों में एक्टर बनने आए थे। हालाँकि छः फिल्मों से ज्यादा उन्हें न फिल्म मिल सकीं और न ही दर्शक मिले। बाद में वह भी टी-सीरीज से जुड़कर प्रोडक्शन में आ गये।
द ग्रेट शोमैन सुभाष घई जी भी अपने भाई अशोक घई को लेकर आए थे पर वह भी किसी लिस्ट में कभी शामिल न हो सके।
संगीत को समर्पित ऐसी ही दो बहनों का जिक्र बहुत जरूरी है क्योंकि इन दोनों में भी कौन ज्यादा कामयाब रहा ये बताना बहुत मुश्किल है! हालांकि पूरी उम्र लता मंगेशकर मोस्ट डिमांडिंग सिंगर रहीं पर उनकी बहन आशा भोसले ने भी जो मुकाम खुद के लिए बनाया है, वहाँ आज कोई सिंगर नहीं पहुँच सकती।
वहीं देव आनंद अपनी नौकरी छोड़कर, अपने भाई चेतन आनंद की राह पर फिल्म इंडस्ट्री में दाखिल हो गये थे। चेतन आनंद उस वक्त थिएटर के लिए काम करते थे और अशोका जैसी फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट भी लिख चुके थे। पर देव आनंद का इंडस्ट्री में आना उनके बड़े भाई चेतन की वजह से नहीं बल्कि अशोक कुमार की वजह से हुआ था, देव आनंद ने एक रोज अशोक कुमार की फिल्म अछूत कन्या देख ली थी और उसी दिन उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें फिल्मों में हीरो बनना है।
इन दोनों ने मिलकर अपने छोटे भाई विजय आनंद को भी फिल्मों में खींच लिया था और फैमिली ट्रेंड को फॉलो करते हुए, एक डायरेक्टर के नाते विजय आनंद ने एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में डायरेक्ट की थीं जिनमें काला बाजार, गाइड, ज्वेल थीफ और जॉनी मेरा नाम को कोई भूल नहीं सकता।
इसी दौर में बेहतरीन एक्टर धर्मेंद्र जहाँ सुपर-स्टार हुए, वहीं उनके भाई अजीत सिंह उतना नाम नहीं कमा सके। कुछ गिनी चुनी फिल्में उन्होंने जरूर कीं पर बॉलीवुड ने उन्हें किसी खातिर न लिया।
इसके बाद अमिताभ बच्चन भी अपने भाई अजिताभ बच्चन को फिल्मों में लेकर आए लेकिन जहाँ बिग बी से बड़ा कोई एक्टर न हो सका, वहीं अजिताभ बच्चन पहले फिल्मों में और फिर प्रोडक्शन में, दोनों जगह फ्लॉप हुए।
फिरोज खान भी अपने भाई संजय खान और अकबर खानके साथ फिल्म इंडस्ट्री में आए, लेकिन जो मकबूलियत फिरोज खान ने हासिल की, वो संजय न कर सके।
ये तो अबतक के हीरोज की बात थी, आइए आपको अब दो ऐसे भाइयों के बारे में बताता हूँ जो हीरो नहीं विलन बनने के लिए आए।
एक्टर मदन पुरी जब फिल्मों में स्टेबलिश हो गये तो अपने भाई अमरीश पुरी को भी ले आए जो अपने भाई से भी ज्यादा फेमस हुए। अमरीश पुरी एक समय, बेस्ट विलन ऑफ द इंडस्ट्री थे।
अपने सिब्लिंग्स को फिल्म इंडस्ट्री से जोड़ने में सिर्फ एक्टर्स ही आगे नहीं थे, बल्कि एक्ट्रेस नूतन भी अपनी बहन तनुजा को फिल्म इंडस्ट्री में लेकर आईं। हालाँकि जो बुलंदी नूतन ने हासिल की, वो शिखर तनुजा नहीं छू पाई।
उस समय में फिल्म इंडस्ट्री औरतों के लिए इतनी रेस्पेक्टेड नहीं हुआ करती थी। इसीलिए आपने अबतक ज्यादातर उन एक्टर्स के किस्से पढ़े जो अपने भाइयों को लेकर आए थे लेकिन अपनी बहनों को फिल्म इंडस्ट्री में लाना तब बहुत मुश्किल हुआ करता था।
लेकिन बहने तब भी अपने भाइयों पर आज की तरह ही मेहरबान हुआ करती थीं। अपने पिता नंदू खोटे की तरह एक्टिंग में माहिर शुभा खोटे अपने भाई वीजू खोटे को भी फिल्मों में लेकर आई थीं और उस दौर में यह दोनों ही बेहतरीन सपोर्टिंग आर्टिस्ट्स के तौर पर मशहूर थे।
दौर फिर बदल रहा था। अब धर्मेंद्र के बेटे सनी देओल के फिल्मों में आने की बारी थी। सनी देओल अपनी पहली फिल्म बेताब (1983) से ही सुपर स्टार घोषित हो गये थे और उनसे बहुत छोटे भाई बॉबी देओल की पहली फिल्म ‘बरसात’ (1995) भी सुपरहिट साबित हुई थी। लेकिन सनी देओल ने जहाँ अपने पिता का नाम और बड़ा किया, वहीं बॉबी वो कामयाबी हासिल न कर सके। हालाँकि दोनों भाइयों ने फिल्म इंडस्ट्री पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है और बॉबी आज की डेट में, ओटीटी पर खासे पसंद किये जा रहे हैं।
एक्टर्स की ही बात क्यों, यश चोपड़ा के दो बेटे आदित्य और उदय भी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी किस्मत आजमाने आए थे लेकिन जहाँ आदित्य चोपड़ा, अपने पिता की तरह ही एक महान फिल्ममेकर बने, वहीं उदय चोपड़ा दस साल तक फिल्मों में स्ट्रगल करने के बाद खुद ही हथियार डालकर इंडस्ट्री से किनारे हो गये।
मिस्टर परफेक्शनिस्ट स्टार आमिर खान भी एक-दो फिल्मों में अपने भाई फैसल खान को फिल्मों में लेकर आए थे लेकिन फैसल बुरी तरह फ्लॉप साबित हुए थे। उनके साथ साथ आमिर की फिल्म भी फ्लॉप हो गयी थी।
वहीं स्टाइल स्टार सलमान खान भी अपने भाइयों अरबाज और सोहेल को एक नहीं एक दर्जन बार फिल्मों में अपने साथ लाने की कोशिश कर चुके हैं पर दोनों ही भाई इंडस्ट्री में कुछ खास कामयाबी हासिल नहीं कर सके हैं।
सलमान ब्रदर्स की तरह ही यह भी तीन भाई हैं, बोनी कपूर एक प्रोड्यूसर के नाते कामयाब कहलाये जा सकते हैं पर झक्कास फेम अनिल कपूर ने एक तरफ ऐक्टिंग के हर आयाम को बाखूबी निभाया है और सुपरहिट अभिनेता कहलाते हैं वहीं उनके भाई संजय कपूर कुछ एक फिल्मों में स्ट्रगल करने के बाद फिल्म इंडस्ट्री को नमस्ते कहकर आगे निकल गए हैं। हालांकि राजा उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म है पर इस फिल्म के हिट होने का सारा क्रेडिट माधुरी दीक्षित को जाता है।
इसी दौर में घर से लड़ झगड़कर, अपने पिता के खिलाफ जाकर एक एक्ट्रिस आई थी। हरी हरी आँखों वाली उस एक्ट्रिस का नाम था करिश्मा कपूर, जो कहने को तो उस कपूर खानदान की बेटी थी जिन्होंने फिल्म इंडस्ट्री पर राज किया था, लेकिन करिश्मा के लिए ये एडवांटेज किसी काम की नहीं थी। बल्कि उनके पिता रणधीर कपूर तो फिल्म लाइन में उनके आने को लेकर ही नाराज थे। फिर भी, 90े के दशक में करिश्मा कपूर ने जो नाम कमाया, जो एक से बढ़कर एक ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं कि उनकी बहन करीना के लिए बॉलीवुड बहुत आसान हो गया। करीना के आते ही करिश्मा ने अपना बॉलीवुड सफर समाप्त कर लिया। इस एडवांटेज के सदके करीना ने एक से बढ़कर एक फ्लॉप फिल्में दी पर फिर भी उन्हें फिल्में मिलती रहीं और उनकी फीस भी किसी लीडिंग एक्ट्रिस से कम न रही। हालांकि आज करीना भी टॉप फेवरेट एक्ट्रिस हैं लेकिन उनके दम पे उनकी हिट फिल्मों की गिनती की जाए तो आधी उँगलियाँ भी नहीं भर पायेंगी।
ऐक्ट्रिस बहनों की बात चल रही है तो सुपर डूपर हिट शिल्पा शेट्टी की बहन शमिता शेट्टी कुछ रोज स्ट्रगल करने के बाद बॉलीवुड से किनारा कर गईं।
पूजा भट्ट जहाँ बॉलीवुड में कुछ ही समय रहीं वहीं उनकी बहुत छोटी बहन, आलिया भट्ट इंडस्ट्री पर राज करने निकली है। आलिया की हर फिल्म सुपरहिट जाती है और खासकर आलिया की ऐक्टिंग की बहुत तारीफ होती है।
जरा और आगे बढ़ें तो जम्पिंग जैक जितेन्द्र को जहाँ अपने बेटे तुषार कपूर से उम्मीद थी, वहीं उनकी बेटी एकता कपूर ने टेलीविजन और फिल्म प्रोडक्शन दोनों आयामों में कामयाबी के झंडे गाड़ दिए हैं और तुषार आज 20 साल बाद भी, सही मायने में तो स्ट्रगल ही कर रहे हैं।
लेकिन जब बात अख्तर भाई-बहनों की आती है तो ये कहना मुश्किल हो जाता है कि कौन ज्यादा कामयाब है। जी हाँ, मैं बात जोया और फरहान अख्तर की कर रहा हूँ। पिता जावेद अख्तर की वजह से यह दोनों फिल्म इंडस्ट्री से अच्छी तरह वाकिफ थे। जहाँ फरहान अख्तर ऐक्टिंग, सिंगिंग, डाइरेक्शन और प्रोडक्शन में प्रो कहलाये जाते हैं वहीं राइटिंग और डाइरेकशन में जोया का भी जवाब नहीं।
जब बात अख्तर्स की उठी है तो भला नवाबों को कैसे छोड़ सकते हैं। पटौदी के नवाब मंसूर अली खान और बेजोड़ एक्ट्रिस शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान देर से ही सही पर बॉलीवुड में अपना मुकाम हासिल करने में सफल रहे हैं पर उनकी बहन सोहा अली खान की किस्मत उतनी अच्छी नहीं है। सोहा ने यूं तो कई अच्छी-अच्छी फिल्मों में काम किया है, जैसे रंग दे बसंती, आहिस्ता-आहिस्ता, तुम मिले आदि लेकिन कमर्शियल और आर्ट दोनों ही सिनेमा में सोहा सेटल न हो सकीं।
20 साल पहले दो ब्लॉकबस्टर फिल्में गदर और कहो न प्यार है देने वाली अमीषा पटेल भी अपने भाई अश्मित पटेल को फिल्मों में लेकर आई थीं। अश्मित बहुत स्टाइलिश और डैशिंग होते हुए भी इंडस्ट्री में कुछ खास न कर सके
अब बात झक्कास स्टार अनिल कपूर के बच्चों की भी बनती है। अनिल की बेटी सोनम कपूर आज फिल्म इंडस्ट्री में पूरी तरह स्टैबलिश है, भले ही यह स्टैबलिशमेंट उन्हें दसियों फिल्मों के बाद मिला हो पर उनके भाई हर्षवर्धन को देखें तो हैरानी होती है कि उन्हें कोई स्क्रीन पर देखना ही नहीं चाहता। हालाकि हर्ष ने अभी गिनती की फिल्मों में ही काम किया है, पर एक भी फिल्म ऐसी नहीं है जिसमें उन्हें जरा बहुत ही तारीफ मिली हो।
गैंग्स ऑफ वासेपुर फेम हुमा कुरैशी के भाई साकिब सालेम भी फिल्मों में साथ साथ ही आए थे। हालाँकि तुलना करें तो हुमा साकिब से कहीं आगे हैं पर साकिब भी जाना माना चेहरा हैं।
आने वाले समय पर नजर रखें तो शाहिद कपूर भी अपने भाई ईशान खट्टर को फिल्मों में ला चुके हैं। हालांकि जैसे जबरदस्त ऐक्टर शाहिद हैं, वैसे गुण अभी तक ईशान में नजर नहीं आए हैं लेकिन आने वाले समय में हम उम्मीद कर सकते हैं कि शायद, शायद ईशान भी अपना रास्ता खुद बना लें।
वहीं सारा अली खान के भाई इब्राहम भी फिल्मों में लॉन्च होने के लिए बेकरार बैठे हैं। जहाँ सारा पहली ही फिल्म से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हुई थीं, वहाँ इब्राहम के ऊपर भी परफॉरमेंस को लेकर प्रेशर तो जरूर बना होगा।
यूटीवी के सर्वेसर्वा सिद्धार्थ रॉय कपूर तो कामयाब बैनर चला ही रहे हैं, उनके दो और भाई, आदित्य रॉय कपूर और कुनाल रॉय कपूर भी अपना अपना मुकाम बहुत अच्छे से संभाल चुके हैं। ये उन गिनी चुनी तिगड़ी में से है जिसमें तीनों भाई ही बेहतरीन हैं, किसी का किसी से कोई कम्पेरिजन नहीं है।
अब बात आयुष्मान खुराना की भी हो तो बेहतर है, अपने भाई को फिल्मों में आने से रोकने वाले आयुष्मान खुद आज ऐसे ऐक्टर हो गए हैं जिनके पास अगले तीन साल तक की फिल्में शेड्यूल हैं। मगर उनके भाई अपारशक्ति खुराना की पॉपुलैरिटी में भी कोई कमी नहीं है, हाँ वह आयुष्मान की तरह लीड ऐक्टर बनते नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन रेस उन्होंने भी लम्बी दूरी की ही लगाई है।
फैक्ट ये है बॉलीवुड में 75ः भाई या बहन ऐसे हैं जिनमें जो पहले आया है बस वही कामयाब हुआ है, अपने छोटे को वह अमूमन खींचता मिला है लेकिन फैक्ट ये भी है कि मतलबी दुनिया कहलाई जाने वाली हमारी फिल्म इंडस्ट्री में अपने भाइयों या बहनों के प्रति स्नेह भी बहुत है। अब चाहें वो एकता का तुषार हो, आदित्य का उदय, या सलमान के अरबाज और सोहेल, किसी ने भी अपने भाई का हाथ नहीं छोड़ा, साथ नहीं छोड़ा!
अब टाइगर श्रॉफ आज सुपरस्टार हैं तो कृष्णा श्रॉफ के लिए वह जरूर एक मंच तैयार करके बैठे होंगे। आखिर वो मशहूर गाना है न -फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हजारों में भइया-बहना हैं। सारी उमर, इन्हें साथ देना है।
-सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’