सन 2000 से पहले की फिल्मों में अमूमन एक फिल्म या एक एल्बम में एक ही सिंगर हीरो को अपनी आवाज़ देता था। बल्कि सन 60-70 के दौर को याद करें तो हर हीरो के लिए एक सिंगर फिक्स हुआ करता था। राज कपूर के लिए मुकेश ही गाना गाते थे, देवआनंद के लिए किशोर कुमार परफेक्ट थे और दिलीप कुमार के लिए रफ़ी साहब की आवाज़ सूट करती थी।
राजेश खन्ना के लिए किशोर कुमार और मन्ना डे अपनी आवाज़ दिया करते थे। ऐसे ही शम्मी कपूर के लिए रफ़ी साहब ही आवाज़ देते थे। लेकिन 1963 में आई फिल्म ब्लफमास्टर में शम्मी कपूर के लिए एक नहीं चार-चार सिंगर्स ने अपनी आवाज़ दी जिनमें शमशाद बेगम भी शामिल थीं। भला ये कैसे?
फिल्म ब्लफमास्टर का नाम ही बता रहा है कि इस फिल्म की कहानी ठगी पर निर्धारित थी। तो इस फिल्म में ‘हुस्न चला कुछ ऐसी चाल’ गाना लता मंगेश्कर ने मोहम्मद रफ़ी के साथ गाया है। वहीं दृश्य में शम्मी कपूर और साइरा बानो रोमांस करते एक दूसरे को छेड़ते नज़र आ रहे हैं।
लेकिन दूसरे ‘गाने ऐ दिल अब कहीं ले जा’ एक उदासी भरा गीत है जिसे हेमंत कुमार ने आवाज़ दी है। इस सीन में शम्मी कपूर निराश होकर सामान उठाये जा रहे हैं।
वहीं बेदर्दी दगाबाज़ गीत लता मंगेश्कर की आवाज़ में है और इस सीन में शम्मी कपूर एक बूढ़े नवाब का भेष बनाये बैठे हैं लेकिन गाते नहीं है।
फिर कृष्ण जन्माष्टमी पर हमेशा बजने वाला गीत ‘गोविंदा आला रे आला’ फिर मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में है।
इसके बाद एक कव्वाली के दौरान शम्मी कपूर औरत का भेष बना लेते हैं और यहाँ पर शमशाद बेगम की आवाज़ में कव्वाली गाते हैं “चली चली कैसी हवा ये चली, के भवरें पर मरने लगी है कली”
इस गाने में शमशाद बेगम के साथ लता मंगेश्कर की बहन उषा मंगेश्कर ने डुएट किया है।
इसके बाद फिर एक सफ़र के दौरान गाना आता है, लेकिन इसबार सफ़र बेफिक्रों वाला है “सोचा था प्यार हम न करेंगे, फिर भी दिल किसी पे आ गया”
मज़े की बात ये भी है कि इन चारों आवाज़ों में सातों गाने सुपर हिट हुए थे और ‘गोविंदा आला रे’ हर साल की तरह इस साल भी जन्माष्टमी पर कृष्णगान बनकर हर गली कूचे में बजेगा।
इस फिल्म का संगीत कल्याणजी आनंदजी ने दिया था और इस फिल्म के लिरिक्स राजेन्द्र किशन ने लिखे थे।