संगीत में है ऐसी फुहार, पतझड़ में भी जो लाए बहार - समीर By Siddharth Arora 'Sahar' 20 Jun 2021 | एडिट 20 Jun 2021 22:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर कहते हैं कि बड़े से बड़ा ज़ख्म हो उसे समय और संगीत का साथ भर ही देता है। संगीत में वो ताकत होती है जो पत्थर को भी पिघला सकती है। ए आर रहमान की मानें तो संगीत ही दुनिया का इकलौता जादू बचा है। आज मैं ये बातें आपको इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि आज वर्ल्ड म्यूजिक डे है और आप आंकड़ों की मानें तो भारत ही में 92% (नगरीय) लोग ऐसे हैं जो दिन में एक न एक बार कोई गाना ज़रूर सुनते हैं और उनकी ज़िन्दगी में संगीत बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्व संगीत दिवस की बात करें तो इनकी शुरुआत फ्रांस में 1982 से हुई थी। तब फ्रांस के आर्ट एंड कल्चर मंत्री जैक लेंग और म्यूजिक कम्पोज़र मॉरिस फ्लेरेट ने इसे Fete De La Musique के नाम से शुरु किया था। उन्होंने 21 जून 1982 को राष्ट्रीय छुट्टी घोषित कर फ्रांस की जनता को एक दिन संगीत के नाम पर जीने के लिए दे दिया और इसी दिन से धीरे-धीरे, साल दर साल यह संगीत दिवस 120 से ज़्यादा देशों में उत्सव स्वरूप मनाया जाने लगा। मॉरिस फ्लेरेट ने ये फैसला तब लेने की सोची जब उन्होंने जाना कि फ्रांस में हर दूसरा बच्चा कोई न कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाना चाहता है। मैं भारत की बात करूं तो यहाँ संगीत के प्रति दीवानगी कुछ ऐसी है कि जब फिल्में बिना आवाज़ की हुआ करती थीं, तब थिएटर में लाइव ऑर्केस्ट्रा बैठा करता था। संगीतकार अपने अपने वाद्ययंत्र के साथ फिल्म के हिसाब से बैकग्राउंड म्यूजिक दिया करते थे। यहीं पर गाने भी बजाए जाते थे। इसके बाद सिनेमा में संगीत की क्रांति की बात करूँ तो जाने कितनी ही फिल्में हैं जिन्हें उस वक़्त दर्शकों ने सिर्फ इसलिए बार बार थिएटर में देखा क्योंकि उसके गाने अच्छे थे। फिल्मों से इतर, क्लासिकल म्यूजिक के मामले में भी भारत बहुत समृद्ध है। यहाँ सदियों पुराने संगीत घराने हैं, हर राज्य-शहर-गाँव-कस्बे में लोक गीतों की भरमार है। चिड़िया की चहक से लेकर गाय के रंभाने तक हर जीव हर वस्तु में संगीत मौजूद है। संगीत को यूँ ही नहीं वैश्विक भाषा घोषित किया गया है। कहते हैं जहाँ शब्द कम पड़ जाएं वहाँ संगीत ज़ुबान बन जाता है। ऐसे ही, विज्ञान की मानें तो अच्छा मधुर संगीत सुन घर के पालतू जानवर और यहाँ तक कि पेड़ पौधे भी बेहतर महसूस करते हैं और ज़्यादा फलदायी बनते हैं। यूं तो लाखों ऐसे गाने हैं जो संगीत के बारे में बताते हैं लेकिन मेरी नज़र में फिल्म मिशन कश्मीर का शंकर महादेवन का गाया, शंकर एहसान लॉय का कम्पोज़ किया और गीतकार समीर का लिखा ये गाना सर्वोत्तम है - आप सबको संगीत दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं फिर ज़र्रा-ज़र्रा महकेगा खुशबू के मौसम आएंगे फिर चिनार की शाखों पे पंछी घर अपने बनाएंगे इन राहों से जाने वाले फिर लौट के वापस आएंगे फिर जन्नत की गलियों में सब लोग ये नगमा गाएंगे रिंद पोश माल गिंदने द्राये लो लो सरगम के मीठे मीठे सुर घोलो आया हूँ मैं प्यार का ये नगमा सुनाने सारी दुनिया को इक सुर में सजाने सबके दिलों से नफ़रतों को मिटाने आओ यारों मेरे संग संग बोलो रिंद पोश माल गिंदने द्राये लो लो जीत ले जो सबके दिल को, ऐसा कोई गीत गाओ दोस्ती का साज़ छेड़ो, दुश्मनी को भूल जाओ रिंद पोश माल गिंदने द्राये लो लो संगीत में है ऐसी फुहार पतझड़ में भी जो लाए बहार संगीत को ना रोके दीवार संगीत जाए सरहद के पार हो संगीत माने ना धर्म जात संगीत से जुड़ी क़ायनात संगीत की ना कोई ज़ुबान संगीत में है गीता क़ुरान संगीत में है अल्लाह-ओ-राम संगीत में है दुनिया तमाम तूफ़ानों का भी रुख मोड़ता है संगीत टूटे दिल को जोड़ता है रिंद पोश माल गिंदने द्राये लो लो फिल्म - मिशन कश्मीर गायक - शंकर महादेवन संगीत - शंकर एहसान लॉय गीतकार - समीर #Shankar Mahadevan #Sameer #World Music Day हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article