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बॉलीवुड की क्वीन कंगना रनौत भी खुलते थिएटर्स को देख हिम्मत कर अपनी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘थलैवी’ सिनेमा हॉल में लाने के तैयार हैं। यह फिल्म 10 सितम्बर को रिलीज़ होगी। इस फिल्म में कंगना रनौत के साथ अरविन्द स्वामी होंगे। इस फिल्म के डायरेक्टर साउथ सिनेमा के जाना माना नाम विजय हैं वहीं थलैवी के प्रोडूसर विष्णु वर्धन इन्दोरी और शैलेश आर सिंह हैं।
अब अलग से ये कहने की ज़रुरत तो नहीं है कि 19 अगस्त को रिलीज़ हुई अक्षय कुमार की बेलबॉटम के बाद ही इस फिल्म को रिलीज़ करने की हिम्मत आ सकी है। हालाँकि भारत में अभी भी बहुत से शहरों में थिएटर नहीं खुले हैं। महाराष्ट्र और केरल में तो पूरी तरह से थिएटर बंद है उसके बावजूद अब फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स फिल्म थिएटर में रिलीज़ करने की हिम्मत कर रहे हैं।
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हालाँकि अगर आप सही गणित समझें तो फिल्ममेकर्स को आज के समय में बड़े नाम वाली फिल्मो में नुकसान तो होता ही नहीं है। इसकी सीधा सा कारण दर्जनों ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं। बड़े बैनर और स्टारकास्ट से सजी फिल्म पूरी होने से पहले ही ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की बोली लग जाती है जिसमें तय हो जाता है कि एक बड़ी रकम की एवज में यह फिल्म थिएटर के बाद सबसे पहले ‘यहाँ’ दिखाई जायेगी। इसके बाद सेटलाइट राइट्स अलग बिखते हैं। म्यूजिक एल्बम अलग बिकता है। फिल्म में जिन ब्रांड्स को प्रोमोट किया गया है वो भी बजट कवर करने में अहम योगदान देते हैं। इसके बाद कुछ फिल्मों के वर्ल्डवाइड रिलीज़ राइट्स भी बिकते हैं। इन सबके बाद इतना पैसा आ चुका होता है कि थिएटर पर अगर एक हफ्ता भी फिल्म चल जाए और पॉजिटिव रेस्पोंस मिल जाए तो प्रोडूसर्स और लीड एक्टर्स की झोलियाँ फुल हो जाती हैं।
ऐसे में थिएटर की कलेक्शन कोरी, सूखी कमाई होती है। लेकिन फिर भी, जो फिल्म थिएटर में कमाल लगती है वो मोबाइल में एवेरेज या बेकार भी लग सकती है। थिएटर में डॉल्बी डिजिटल साउंड, बड़ी स्क्रीन और अँधेरे हाल में बैठे दर्शक पर एक अलग इफेक्ट पड़ता है जिसकी जगह कोई मोबाइल, कोई लैपटॉप नहीं ले सकते।