Movie Review: वंडर वुमन 1984, क्या हो अगर सबकी सारी ख़्वाहिशें पूरी हो जाएँ? By Siddharth Arora 'Sahar' 25 Dec 2020 | एडिट 25 Dec 2020 23:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर वंडर वुमन देखने के बाद आप ख़ुद से पूछते हो कि क्या हो अगर जो आप चाहो, जो भी दिल में दबी ख्वाहिश हो वो बिना किसी मेहनत के पूरी हो जाए। ऐसा जानकार भी बहुत अच्छा लगने लगता है न? लेकिन क्या आपके मन में भी एक मिनट को ये ख़याल आया कि सबकी ख़्वाहिश पूरी होना कितनी बड़ी दुश्वारी हो सकती है? आइए जानते हैं कहानी क्या है? वंडर वुमन 1984 (WW84) में हम देखते हैं कि डायना (गेल गैडोट) जो सच्चाई के लिए लड़ना जारी रख रही है। सन 84 का समय है, प्रथम विश्वयुद्ध को बीते एक अरसा हो गया है। डायना दिखावे के लिए एक कम्पनी में काम करने लगी है और यहीं उसकी दोस्ती बारबरा (क्रिस्टन विग) से हो जाती है जो ख़ुद में बहुत दबी हुई, डरी सहमी रहती है। यहीं एक महत्वकांक्षी मार्केटियर मैक्सवेल (पेड्रो पास्कल) की एंट्री होती है जो हर कीमत पर अपने बच्चे की नज़र में हीरो बनना चाहता है, ये हमेशा प्रेज़ेंटेबल रहता है। अब ट्विस्ट तब आता है एक म्यूज़ियम से 'ड्रीमस्टोन' मिलता है। ये एक ऐसा पत्थर है जिसके सामने जो ख़्वाहिश मांगो वो पूरी हो जाती है। डायना इसे पहचान लेती है पर बारबरा इसे अपने पास रखती है। डायना अपनी मुहब्बत स्टीव को मांग लेती है जिसकी आत्मा कह लें या कॉन्शियस किसी दूसरे शख्स के अंदर आ जाता है, वहीं डरी सहमी बारबरा हमेशा डायना जैसी ताकतवर और ख़ूबसूरत बनना चाहती थी, वो भी बन जाती है। तीसरी और मैक्सवेल बारबरा को बेवकूफ बनाकर वो ख़्वाहिश मांगता है कि वो ख़ुद पत्थर की तरह दूसरों की इच्छाएं पूरी करने वाला हो जाए, ताकि हर कोई उससे ख़ुश रहे। बस यहाँ से जो बवाल मचता है वो आख़िरी सीन तक ख़त्म नहीं होता। वंडर वुमन 84 का डायरेक्शन ज़रा सुस्त-सुस्त सा लगा। पैटी जेंकिन्स ने इस फिल्म को ढाई घंटे का बनाया है। फिल्म में डिटेलिंग और कन्वर्सेशन बहुत है, कुछ जगह तो ये अच्छी लगती है पर कहीं-कहीं बोझिल होने लगती है। स्क्रीनप्ले अच्छा है लेकिन बहुत चर्चित फिल्म 'ब्रूस ऑलमाइटी', जिसमें जिम कैरी लीड में थे; की याद दिलाता है। आप याद करें तो सलमान और अमिताभ बच्चन की फिल्म 'गॉड तुस्सी ग्रेट हो' की थीम भी यही थी, वो फिल्म ब्रूस ऑलमाइटी की रीमेक थी। कलाकारों की अदाकारी देखने लायक है फिल्म में गैल गैडोट को छोड़कर सबकी एक्टिंग बहुत अच्छी है। क्रिस पाइन, क्रिस्टन विग, पेड्रो पास्कल सबने बहुत अच्छा अभिनय किया है। गैल हमेशा की तरह बहुत ख़ूबसूरत और बहुत पॉवरफुल लगी हैं। संगीत में है ऐसी फुहार..... म्यूजिक टाइटल में तो ज़बरदस्त है ही, साथ-साथ बैकग्राउंड स्कोर भी अच्छा रहा है। साउंड ज़रूर कुछ जगह लाउड है पर एक्शन फिल्मों में इतना चलता है। म्यूजिक ऐसा है कि सिनेमा हॉल से जब आप उठकर जाओ तो वो भी साथ-साथ जाए। हैंस ज़िमर के म्यूजिक का यही तो कमाल है। वीएफएक्स अच्छे हैं पर नया कुछ नहीं है। कुलमिलाकर वंडर वुमन पिछली डीसी कॉमिक्स की फिल्मों के मुकाबले बेहतर है, अच्छा कांसेप्ट है, भले ही इसपर पहले फिल्म बन चुकी हो पर फिल्म का एन्ड पॉइंट जस्टिफाइड है। लेकिन फिल्म का ढाई घंटे तक खिंचना कहीं-कहीं उबा देता है। फिर भी आप इस सीरीज के फैन हैं तो आपको फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए कुछ मेरे मन की भी....... ख़्वाहिशों को लेकर अक्सर फ़िल्में, कहानियां बनती आई हैं, अलादीन का चिराग भी ऐसी ही किसी इमेजिनेशन की उपज थी। पर इन कहानियों को ध्यान से समझा जाए तो ये निष्कर्ष निकलता है कि बिना एफोर्ट के पूरी हुई ख़्वाहिश में लालची बनाती है और कुछ नहीं, ख़्वाहिश पूरी होनी चाहिए लेकिन किसी चिराग किसी पत्थर के भरोसे नहीं, अपने ख़ुद के भरोसे। अपनी ख़ुद की मेहनत से। रेटिंग - 5/10* अगर आपको रिव्यू पसंद आता है तो कमेंट ज़रूर कीजियेगा। - width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' #gal gadot #‘Wonder Woman #ww84 हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article