सुनने में चाहें जितना अजीब लगता हो पर ये पूरी तरह सच है। लेकिन न न, जैसा आप सोच रहे हैं वैसा बिल्कुल भी नहीं है। आइए हम आपको शुरु से सारी कहानी बताते हैं।
महान लेखक और पत्रकार खुशवंत सिंह के बारे में तो आप जानते ही हैं। आप ये भी जानते होंगे कि वह जितने अच्छे लेखक थे उतना ही अच्छा उनका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर भी था। किस्सा यूँ था कि जिन दिनों खुशवंत सिंह एक नामी साप्ताहिक मैगज़ीन के लिए मुम्बई में जॉब कर रहे थे तब उनके पास एक कॉल आई। उन्होंने फोन उठाया।
दूसरी ओर से आवाज़ आई “मिस्टर खुशवंत सिंह?”
उन्होंने जवाब दिया “जी हाँ, इन पर्सन”
दूसरी ओर से फिर मधुर आवाज़ आई “मैं नर्गिस बोल रही हूँ, नर्गिस दत्त”
खुशवंत सिंह ने कन्फर्म किया “नर्गिस दत्त, वही एक्ट्रेस नर्गिस दत्त? मदर इंडिया वाली नर्गिस दत्त”
दूसरी ओर से संक्षिप्त सा जवाब आया “जी, क्या मैं आपसे मिल सकती हूँ”
खुशवंत सिंह भला कैसे मना करते। आधे घंटे बाद नर्गिस दत्त उनके सामने हाज़िर थीं। उन्होंने पूछा “बताइए मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?”
उन्होंने सविस्तार बताया “देखिए आप शायद जानते होंगे कि मेरे बच्चे सनावर (हिमाचल) में पढ़ते हैं और उनका अनुअल डे फंक्शन है। अब उस फंक्शन में मुझे हर हाल में मौजूद होना है लेकिन सारे होटेल्स, सारे लॉज बुक्ड हैं। लेकिन मैंने सूना है कि आपका एक विला कसौली में है, अगर ये सच है तो क्या मैं उस विला में एक रात रुक सकती हूँ?”
खुशवंत सिंह ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा कि “मुझे कोई आपत्ति तो नहीं है पर हाँ, मेरी एक शर्त ज़रूर है”
नर्गिस अपना अचम्भा छुपाते हुए तुरंत बोलीं “क्या?”
खुशवंत सिंह भी एक छोटा सा पॉज़ लेकर सस्पेंस बनाने के बाद बोले “आपके वहाँ से जाने के बाद मुझे यह कहने की इजाज़त दी जाए कि मुझे अच्छा लगा था उस रात जब नर्गिस मेरे बेड पर सोई थीं”
खुशवंत सिंह के सेन्स ऑफ ह्यूमर पर नर्गिस की बेसाख्ता हँसी छूट गयी और वो बिना किसी हिचकिचाहट के तुरंत बोली “एग्रीड खुशवंत साहब”
इसके बाद खुशवंत सिंह की तो बात छोड़िये, ख़ुद नर्गिस ने अपने बहुत से दोस्तों को ये किस्सा बताया कि कैसे उन्हें एक रात खुशवंत सिंह के बेड पर सोना पड़ा था।