सन 1955 में फ़िल्म 'सोसाइटी' के लिए सचिन देव बर्मन दा इस फ़िल्म के एक गीत को गीता दत्त और किशोर कुमार से गवाना चाहते थे, पर इत्तेफाक से किशोर कुमार एक्टिंग और सिंगिंग में इतने उलझे थे कि डेट ही नहीं दे पा रहे थे.
थकहारकर बर्उमन दा ने इस गीत के लिए रफी साहब को मनाया, साथ ही उन्होंने ये अनुरोध भी किया कि 'रफ़ी तुम इसे सेम किशोर का स्टाइल में गायेगा न?'
अब ग्रेट रफी साहब की जादूगरी देखिए कि उन्होंने हुबहू इस गीत को किशोरदा स्टाइल का बना दिया, आप भी सुनिए पहली बार में तो आपको लगेगा ही नही की ये गीत रफी साहब ही गा रहे हैं
ये उस दौर की बात है जब आर्टिस्ट्स कामयाब होने के बाद तो अपने से सीनियर की भी नहीं सुनते थे, लेकिन रफ़ी साहब की ये नम्रता थी कि उन्होंने कभी किशोर दा से अपना कॉम्पिटीशन नहीं समझा, वह उन्हें साथी गायक ही मानते थे. जबकि किशोर कुमार उनसे उम्र में भी छोटे थे और संगीत शिक्षा में भी कहीं नहीं टिकते थे. पर रफ़ी साहब ने कभी ईगो जैसी चीज़ को अपने गायन में आने ही नहीं दिया. फिर बर्मन दा की तो वह इतनी इज्ज़त करते थे कि उन्हें न कहने का सवाल ही नहीं उठता था. यूँ ही नहीं रफ़ी साहब दी बेस्ट कहलाते थे.