एक थप्पड़ ने बनाया था राज कपूर को बॉलीवुड का शो मैन, नरगिस के साथ की थी 16 फिल्में
हिन्दी सिनेमा के 'द ग्रेटेस्ट शो मैन' कहे जाने वाले राज कपूर का जन्म 14 दिसंबर 1924 को हुआ था। वह ऐसे लोगों में थे जो रील ही नहीं रियल लाइफ में भी छाए रहते थे। अभिनेता राज कपूर की आज पुण्यतिथि है। एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ राज कपूर एक कामयाब निर्देशक और निर्माता भी थे। तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाले राज कपूर की दो फिल्मों ने कांस फिल्म फेस्टिवल में धूम मचाई थी। राज कपूर के करियर की शुरुआत एक थप्पड़ से हुई थी। आइए जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें...
अभिनेता राज कपूर की स्कूली शिक्षा कोलकाता में हुई। उनका मन पढाई में थोड़ा कम लगता था। राज कपूर मैट्रिक परीक्षा में एक विषय में फेल हो गए थे तो उन्होंने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर से कहा था,'' मैं पढ़ना नहीं चाहता मैं एक्टर बनना चाहता हूं, फिल्में बनाना चाहता हूँ''।
एक थप्पड़ ने बदल दी किस्मत
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राजकपूर ने शुरु में केदार शर्मा जैसे निर्देशकों के साथ काम किया। केदार शर्मा ने राज कपूर को क्लैपर ब्वॉय के रूप में भर्ती किया था। इस काम में राज कपूर ने थप्पड़ भी खाए। केदार शर्मा उस फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर थे। जब वो शूट पर क्लैप कर के शूट शुरु करने के लिए बोलते थे तब-तब राजकपूर कैमरे के सामने आकर बाल ठीक करने लग जाया करते थे। दो-तीन बार देखने के बाद केदार शर्मा ने उन्हें एक थप्पड़ लगा दिया। फिर बाद में केदार शर्मा ने अपनी फिल्म नीलकमल में राजकपूर को मधुबाला के साथ लिया। उस थप्पड़ ने राजकपूर की किस्मत ही बदल कर रख दी।'
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अभिनेता राज कपूर ने बाल कलाकार के रूप में 'इंकलाब' फिल्म की थी। राज कपूर ने फिल्म 'आग' से 24 साल की उम्र में निर्देशन का काम शुरू किया था। राज कपूर ने बचपन में एक महिला को सफेद साड़ी में देखा तो उनका दिल उस पर फिसल गया। पसंदीदा रंग होने की वजह से वे अपनी फिल्मों में अभिनेत्रियों को सफेद साड़ी जरूरी पहनाते थे।
होटल वालों को देते थे जमीन पर सोने के लिए जुर्माना
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अभिनेता राज कपूर के बारे में एक और कहानी मशहूर है कि वो कभी बिस्तर पर नहीं सोते थे, हमेशा जमीन पर सोते थे। उनकी बेटी ऋतु नंदा ने बीबीसी को बताया था, 'राज कपूर जिस भी होटल में ठहरते थे, उसके पलंग का गद्दा खींच कर जमीन पर बिछा लेते थे। इसकी वजह से वो कई बार मुसीबतों में फंसे। लंदन के मशहूर हिल्टन होटल में जब उन्होंने ये हरकत की तो होटल के प्रबंधकों ने उन्हें चेताया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। लेकिन जब उन्होंने दोबारा वही काम किया, तो उन्होंने उन पर जुर्माना लगा दिया। वो पांच दिन उस होटल में रहे और उन्होंने खुशी-खुशी पलंग का गद्दा जमीन पर खींचने के लिए रोज जुर्माना दिया।'
नरगिस के साथ की 16 फिल्में
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राज कपूर और नरगिस ने एक साथ 16 फिल्में की थी। उनकी जोड़ी उस समय दर्शकों के बीच सुपरहिट थी। दोनों सबसे पहले 1948 में प्रदर्शित फिल्म 'बरसात' में नज़र आए। इसके बाद अंदाज़ , जान पहचान , आवारा , अनहोनी ,आशियाना , अम्बर ,आह , धुन , पापी ,श्री 420 ,जागते रहो और चोरी चोरी जैसी कई फिल्मों में दोनों ने एक साथ काम किया।
अवॉर्ड शो में पड़ा दौरा
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वहीं राज कपूर की फिल्मों के कई गानें भी लोकप्रिय हुए। जिनमें 'मेरा जूता है जापानी'... और 'ए भाई ज़रा देख के चलो'...जैसे गाने आज भी लोग गाते हैं। 1988 में राज कपूर को 'दादा साहेब फाल्के' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जब वो सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में पुरस्कार लेने पहुंचे तो उन्हें दमे का दौरा पड़ा। राष्ट्रपति वेंकटरमण सारे प्रोटोकॉल तोड़ते हुए मंच से खुद नीचे उतर कर आए और उन्होंने राज कपूर को सम्मानित किया। राज कपूर को वहां से दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया जहां वो कोमा में चले गए और 2 जून, 1988 को रात 9 बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। आज उनके आगे की पीढियां अभिनय की दुनिया में छाई हुई हैं।
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