मौत के बाद भी 5 दशक तक हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत एक्ट्रेस रहीं Madhubala
बॉलीवुड में 'द वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी विथ ट्रेजेडी' कही जाने वाली मधुबाला (Madhubala) का जन्म वैलेंटाइंस डे के दिन यानि 14 फरवरी 1933 में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम मुमताज़ जहां बेगम देहलवी रखा गया था, लेकिन घर में उन्हें मझली आपा कहकर पुकारा जाता था।
पठान अताहउल्लाह खान और उनकी सुंदर ईरानी पत्नी के 7 बच्चों (कनीज़, फातिमा, अल्ताफ, चंचल, ज़ाहिदा और शाहिदा) में मधुबाला (Madhubala) उनकी तीसरी बेटी थीं। बहुत कम ही लोगों को ये बात पता होगी कि मधुबाला हिंदी और उर्दू भाषा तो बोल सकती थीं, लेकिन उन्हें इंग्लिश में बात करना नहीं आता था। इसलिए वो हमेशा इंग्लिश बोलने की कोशिश करती रहती थीं।
मधुबाला (Madhubala) उस वक्त महज़ 9 साल की थीं, जब साल 1942 में फिल्म 'बसंत' में उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में डेब्यू किया था। मधुबाला ने बसंत, धन्ना भगत, पुजारी, फुलवारी, राजपूतानी जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम किया। जहां उन्हें मुमताज़ के रूप में श्रेय दिया गया।
साल 1947 में 14 साल की उम्र में मधुबाला ने फिल्म नील कमल में राज कपूर के अपोजिट लीड एक्ट्रेस के तौर पर डेब्यू किया। ये मधुबाला की आखिरी फिल्म थी जिसमें उन्हें उनके जन्म के समय के नाम यानि मुमताज़ के नाम पर क्रेडिट दिया गया। इस फिल्म के बाद से ही उनका स्क्रीन का मधुबाला रख दिया गया।
वैलेंटाइंस डे के दिन हुआ जन्म
इसके बाद मधुबाला की किस्मत बदली और वो एक के बाद एक 'नील कमल', 'महल', 'हंसते आंसू', 'मिस्टर और मिसेज 55,' 'काला पानी', 'हावड़ा ब्रिज', 'चलती का नाम गाड़ी' और मुगल-ए-आज़म जैसी फिल्मों में नज़र आईं।
मधुबाला की मोस्ट आइकॉनिक फिल्म मुगल-ए-आज़म दिलीप कुमार और उनके बीच रिश्ते की वजह से हमेशा सुर्खियों में रही। यहां तक की दिलीप कुमार ने खुद अपनी बायोग्राफी (Dilip Kumar: The Substance And The Shadow) में अपने और मधुबाला के रिश्ते के बारे में बताया है।
अपनी बायोग्राफी में दिलीर कुमार ने बताया है, कि ‘मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि मैं मधुबाला के लिए दोनों तरह से यानि एक अच्छे सह-कलाकार के रूप में और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में आकर्षित हुआ था, जिनके पास कुछ ऐसी विशेषताएं थीं, जो मुझे उस उम्र और समय में एक महिला में मिलने की उम्मीद थी...’
साल 1960 में मधुबाला ने सिंगर-एक्टर किशोर कुमार से शादी की थी, उस वक्त उनकी उम्र 27 साल थी। ऐसा कहा जाता है कि जब किशोर कुमार और मधुबाला शादी के बाद हनीमून के लिए लंदन गए, तभी वहां उन्हें ये पता चला कि मधुबाला के पास जीने के लिए सिर्फ दो साल ही बचे हैं।
घर में अकेला छोड़कर चले गए किशोर कुमार
50 के दशक के आखिर में पता चला कि मधुबाला को दिल की बीमारी है। मधुबाला की बहन मधुर भूषण के मुताबिक, जब किशोर कुमार और मधुबाला इंडिया वापस लौटे तो किशोर कुमार ने मधुबाला के लिए बांद्रा में एक घर खरीदा कुछ समय तक उनके साथ रहे। लेकिन कुछ समय बाद ही किशोर कुमार मधुबाला को घर में अकेला छोड़कर चले गए।
उसके बाद किशोर कुमार मधुबाला से मिलने औऱ उनकी दवाओं का खर्चा देने के लिए महीने में एक या दो बार ही घर आते थे। अपनी बीमारी की वजह से मधुबाला अपने पति से बेहद प्यार करने के बावजूद भी कभी उनके लिए एक अच्छी पत्नी नहीं बन सकीं। दोनों की शादी 9 साल तक चली और फिर साल 1969 में वो दुनिया से चलीं गईं।
मधुबाला की आखिरी फिल्म ज्वाला थी, दो उनकी मौत के दो साल बाद यानि साल 1971 में रिलीज हुई थी। सुनील दत्त के साथ ये फिल्म उनकी पहली रंगीन फिल्म थी। इसके अलावा उन्होंने ब्लैक एंड व्हाइट ब्लॉकबस्टर फिल्म मुगल-ए-आज़म में भी उन्होंने कुछ रंगीन सीक्वेंस सीन भी दिए थे।
मधुबाला की मौत के 5 दशक बाद तक उन्हें ही हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत अभिनेत्री माना जाता था।