पुष्पा वर्मा के संग होली गीतों का हुड़दंग

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पुष्पा वर्मा के संग होली गीतों का हुड़दंग

-शरद राय

गीतकार, कवियत्री और अभिनेत्री पुष्पा वर्मा ने हिंदी और भोजपुरी दोनो भाषा की फिल्मों में एक साथ काम किया है। वह अभिनय करने के साथ गीत भी दोनो प्लेटफॉर्मों के लिए लिखी हैं। उनका लिखा एक हिंदी- फिल्म का गीत 'दरवाजा खुला छोड़ आयी नीद के मारे...' एक समय खूब बजा था। यह गीत भोजपुरी लोक गीत की तर्ज पर था। 'होली' के उपलक्ष्य में वह 'मायापुरी' के पाठकों के लिए ठेठ देहाती-अंदाज के होली- गीत यहां पेश कर रही हैं-

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सुत गइनी बहनोइया के साथ !

'आइल रहे फगुआ के रात

भंगिया कइलस उत्पात

कि हम सुत गइनी

बहनोइया के साथ।

भांग के मद में कदम डगमगात रहे

हमरा लड़कल एगो खटिया बिछल रहे

ओकरा ऊपर रजाई रखल रहे

जाके दुबक गइनी ओढ़ के रजईया

देखबो ना कइनी ऊहां सुतल बा बहनोइया

दीदी

या आइल जगवलस झकझोर

चढ़ल जवानी तोर भइल बरजोर

होश में रह तनी देख के चल

तनिको डगमगाई त होजाई शोर

करमजली, का कईले सगरी रात?

काहे सोई गइले बहनोइया के साथ

जीजू मुस्करा के बोलन काहे देलु गाली

तोहरा ना मालूम कि ओ होली साली

दुनिया जहान सब जाने ला सजरी

साली त होली आधी घरवाली ।'

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होली ब्रज में खेले कन्हैया

होली ब्रज में खेलें कन्हैया

राधा के संग पकड़ के बैयां

प्रीत के रंग में सबको रंग दिया

क्या गोपी क्या यशोदा मैया

फगुआ में पाहुन बन आये

सबके मन मे रति अनंग

मदिरा-या मौसम फागुन का

मिल जुलकर सब पीते भंग

आओ खेलें लगाकर रंग

होली संग...संग होली संग!'

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होली, रंगों की थाली...

'होली रंगों की थाली लेकर आई

मीठे मीठे रिश्तों से

प्रेम भरी गाली लेकर आई

रंग छलके स्नेह झलके

अन्न-धन से भरे आंगन

खुशहाली लेकर आई।'

बजे उमंगों की शहनाई

'लाल गुलाबी नीली पीली

खुशियां रंगों जैसी छाई

ढोल मजीरे की तानों पर

बजे उमंगों की शहनाई!'

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