पांच शहरों की भीनी मिट्टी से सुवासित थी लता दीदी! और वह हिमालय से निकली गंगा की तरह पूरे भारत में समाहित हो गयी By Mayapuri Desk 08 Feb 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -शरद राय जब कोई गुजर जाता है तो उसकी वसीयत पूछी जाती है। लेकिन लताजी के साथ ऐसा नही हुआ है।लोग इस दावेदारी की चर्चा कर रहे थे कि लताजी किसकी हैं? देश के पांच शहर यह बताने में लगे थे कि लता मंगेशकर का सम्बंध उनके शहर से है और वह उनकी थी (उफ!)। ये शहर थे- मुम्बई, पुणे, गोवा, इंदौर और सांगली।जबकि हकीकत में लताजी पूरे भारत की थी या यह कहें कि वे वैश्विक धरोहर थी, तो कहना ज्यादा ठीक होगा।गंगा हिमालय से निकली ज़रूर थी लेकिन वह पूरे भारत के मानस में समा गई थी। जिस तरह से हमारी सोच में गंगा बस गई हैं उसी तरह हमारे जीवन मे लताजी का स्थान बन गया है। मास्टर दीनानाथ के घर जो कन्या जन्म ली थी वो हेमा थी। हेमा ही नाम था लताजी का बचपन का। दीनानाथ संगीत सिखाते थे इसलिए वे मास्टर जी थे। इंदौर में दीनानाथ और उनकी पत्नी शेवान्ति मंगेशकर सुखपूर्ण जीवन यापन नही कर पा रहे थे।दीनानाथ गोवा के थे और म्यूजिक टीचर थे।गोवा की पैतृक जमीन का चाव अलग होता है। जिससे लताजी मरहूम रही।मंगेशी- परिवार की लड़की जन्मी इंदौर में, यह है लताजी के बचपन की कहानी। इंदौर की मिट्टी की सुगंध से वह सदा भाव विह्वल होती थी जब कोई उनसे वहां की चर्चा किया करता था। 11 साल की उम्र में लता जी का बचपना पुणे शहर में गुजरा। यह आज़ादी पूर्व की बात है तब मुंबई(तब बम्बई) गुजरात और महाराष्ट्र के संयुक्त प्रान्त का हिस्सा था। पुणे में हेमा के हेमा से लता बनने की शुरुवात हुई थी। ग्लोब सिनेमा (बादमे श्री नाथ टाकीज) में फिल्म 'खजांची' रिलीज के मौके पर एक सिंगिंग प्रतियोगिता रखा गया था। जिसमे हर प्रतियोगी को दो गाना गाने थे। दीनानाथ ने अपनी बेटी हेमा को भी इसमें भाग लेने और जीतकर आने के लिए कहा- 'बख्शीश मिलावला नाही तर माजा नाक कपला...' उनकी बिटिया प्रथम आयी थी। इनाम में उसको एक वाद्ययंत्र 'दिलरुबा' मिला था। ये लोग तब ग्लोब टाकीज के पास ही एक चाल में रहते थे। और, यहीं से संगीत लता के अस्तित्व में लता बेल की तरह चिपक गया। हर जगह छोटी बिटिया से कहा जाता था- गा बेटा गा! और कुछ ऐसा ही हुआ होगा... याद करते हैं 80 वर्षीय गीतकार सुरेंद्र गुप्ता।फिर ये लोग शुक्रवार पेठ (पुणे) में भी कुछ दिन रहे। 13 वर्ष की उम्र में लता सांगली (महाराष्ट्र) रहने आगई थी। उनकी दूसरी बहनें व भाई (आशा, उषा, मीना और हृदयनाथ) सब सांगली में ही पैदा हुए थे। लेकिन पुणे हमेशा उनकी यादों में रहा। बहुत बादमे जाकर लताजी ने पुणे में एक हॉस्पिटल बनवाया।यह हॉस्पिटल वह अपने म्यूजिकल कंसर्ट के कमाई के पैसों से बनवाई थी। तब उनकी सोच थी कि जो कलाकार हों, म्यूजिक या थिएटर के हों उनको यहां सस्ता इलाज मिल सके। सांगली में दीनानाथ की आर्थिक स्थिति ठीक नही हो पा रही थी। उनका संगीत क्लास चल नहीं पा रहा था। छोटी सी लता ने उस उम्र में, जब वह 13 साल की थी, घर का खर्च चलाने के लिए गाना शुरू की थी।एक फिल्म प्रोडक्शन कंपनी प्रफुल्ल पिक्चर्स में गाने का काम मिला।यह कम्पनी प्रोड्यूसर - एक्टर मास्टर विनायक कर्नाटकी (अभिनेत्री नंदा के पिता) की थी। गायकी ही उनको बम्बई लेकर आई।पाकिस्तान से जुड़े हिंदी फिल्मों के संगीतकार गुलाम हैदर ने लताजी के स्वर को पहचाना और फिल्मीस्तान स्टूडियो के मालिक एस. मुखर्जी से मिलवाया।एस.मुखर्जी ने उस सांवले रंग की दुबली पतली लड़की की आवाज को 'पतली आवाज' कहकर खारिज कर दिया। उसदिन गोरेगांव स्टेशन पर एक लकड़ी की टूटी बेंच पर लता और गुलाम हैदर बैठकर सोच नही पा रहे थे कि क्या करें? मास्टर दीनानाथ चल बसे थे जब लता का एक गीत रेडियो पर खूब बजना शुरू हुआ-''आएगा आने वाला'' (फिल्म 'महल')। यहीं से इतिहास पलटी खाया। लोग रेडियो स्टेशन से पता करना शुरू किए थे कि 'वो आएगा आनेवाला' गानेवाली कौन है? और, वो गानेवाली आगयी थी। नूरजहां तथा सुरैया के बीच से निकल कर आगे आयी थी...वो लता थी! एक लताबेल - जो छछड़ने के लिए तैयार हो चुकी थी। यानी-इसतरह पांच शहरों की माटी की भीनी सुगंध से सींचकर जो पेड़ तनकर खड़ा हुआ था, वो था- लता मंगेशकर! जो सिर्फ गोवा, इंदौर, पुणे, सांगली या मुम्बई की नही थी। वो तो गंगा का स्वरूप थी। जैसे गंगा बही जरूर ज्यादातर हिंदी प्रदेश के शहरों में हैं, लेकिन आत्मा में बसी है पूरे भारत के। वैसे ही लताजी हैं जो ज्यादातर गाया ज़रूर है हिंदी फिल्मों में, बसती हैं वो पूरे भारत की संगीत की आत्मा में। अब जब लताजी दुनिया मे नही हैं, वे अपने लिए कह गयी हैं- 'मेरी आवाज ही पहचान है अगर याद रहे... जो गुजर गई कल की बात थी उमर तो नहीं, एक रात थी, रात का सिरा अगर फिर मिले कहीं, मेरी आवाज ही पहचान है अगर याद रहे।' #lata mangeshakar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article