Birth Anniversary वो हीरो, वो विलन, वो इकलौता हरफनमौला कलाकार ऋषि कपूर भारतीय सिनेमा में एक दौर था जब कहते थे कि ये सिनेमा का नहीं, अमिताभ बच्चन का दौर है। कहा ये भी जाता है कि अमिताभ वो आँधी थे जिनके सामने सब उड़ जाते थे सिवाये एक के, और वो एक थे ‘ऋषि कपूर’... By Siddharth Arora 'Sahar' 04 Sep 2024 in गपशप New Update Follow Us शेयर भारतीय सिनेमा में एक दौर था जब कहते थे कि ये सिनेमा का नहीं, अमिताभ बच्चन का दौर है। कहा ये भी जाता है कि अमिताभ वो आँधी थे जिनके सामने सब उड़ जाते थे सिवाये एक के, और वो एक थे ‘ऋषि कपूर’ 4 सितंबर 1952 को जन्में, दरमियाने कद के, बेइंतहाँ खूबसूरत हमारे ऋषि कपूर तब मात्र 3 साल के थे जब उनके पिता, द लेजेंडरी शो मेन ने उन्हें पहली बार फिल्म श्री चारसौ बीस (1955) में कैमरे के सामने ला खड़ा किया था। फिर 18 साल की उम्र में, उनके पिता राज कपूर की ड्रीम फिल्म में, उनके बचपन का रोल निभाने के लिए दोबारा ऋषि कपूर को चुना था। घुँघराले बाल, गुलाबी-गुलाबी होंठ और दूध से गोरे ऋषि कपूर दर्शकों के लिए एक मसूम बच्चे जैसे थे। बदकिस्मती से मेरा नाम जोकर (1970) फ्लॉप हो गई और राज कपूर अपना सब कुछ हार बैठे। उन्होंने इस फिल्म को ऐसे बनाया था मानों किसी बच्चे को पाल पोसकर बड़ा कर रहे हों। लेकिन फिल्म नहीं चली। हालांकि पूत के पाँव पालने में ही नज़र आ गए क्योंकि ऋषि कपूर को बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नैशनल अवॉर्ड से नवाज़ा गया। यहीं से राज कपूर के मन में एक और उमंग जगी और उन्होंने 20 साल के ऋषि कपूर और 16 साल की डिम्पल कपाड़िया को लेकर बॉबी (1973) बना डाली और इस फिल्म ने तहलका मचा दिया। ऋषि कपूर ने अपनी पहली ही फिल्म में जता दिया कि इंडस्ट्री में एक स्टार और आ गया है। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर बेस्ट ऐक्टर का अवॉर्ड मिला। इसके बाद तो जैसे फिल्मों की झड़ी लग गई। हर साल ऋषि कपूर 3 से 4 फिल्में करने लगे। इस दौरान रफ़ू चक्कर, राजा, लैला मजनू, बारूद, हम किसी से कम नहीं आदि में लीड भूमिका में रहे और दर्शकों द्वारा खूब सराहे गए तो, वहीं, अमर अकबर एंथनी, दूसरा आदमी, बदलते रिश्ते, आदि में वह अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, जितेंद्र आदि समकालीन कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर करते भी नज़र आए। ऋषि कपूर कभी किसी भी रोल को करने से डरे नहीं। कर्ज़ में मोंटी का चैलिंजिंग रोल हो या धर्मेन्द्र के साथ कातिलों का कातिल जैसी सुपर एक्शन फिल्म हो, ऋषि कपूर ने वराइइटी रोल करने से काभी खुद को नहीं रोका। वो टाइप कास्ट नहीं हुए। अस्सी के दशक में ऋषि कपूर और श्री देवी की जोड़ी बहुत पसंद की जाने लगी। नागिन, निगाहें, चाँदनी, बंजारन, कौन सच्चा कौन झूठा, आदि यूं तो सब सही चलीं, लेकिन चाँदनी ने जो लोगों को इनकी जोड़ी का दीवाना बनाया, वो दीवानापन और किसी फिल्म के लिए नहीं मिला। ऋषि कपूर वो इकलौते ऐक्टर थे जिन्होंने भारी वजन के साथ भी दसियों फिल्मों में लीड रोल ही किया और दर्शकों ने उन्हें पसंद भी किया। हाँ, जब दामिनी जैसी फिल्म में उन्हें सनी देओल के साथ स्क्रीन शेयर करने को कहा गया तो भी उन्होंने कोई गुरेज नहीं की। असल में तब आज जैसा दौर नहीं था कि ऐक्टर्स सिर्फ अपने रोल से मतलब रखते थे। तब ये ज़रूर देखा जाता था कि कहीं मुझसे ज़्यादा दमदार रोल दूसरे ऐक्टर का तो नहीं है! पर ऋषि कपूर ने काभी इस चीज की परवाह नहीं की। दौर बदला तो ऋषि कपूर ने कैरिक्टर रोल्स करने भी शुरु कर दिए लेकिन ऋषि कपूर यहाँ भी अव्वल रहे। फिल्म नमस्ते लंदन हो या लव आज कल, राजू चाचा हो या फ़ना, कल किसने देखा हो या दिल्ली 6, उनके कैरिक्टर रोल की तारीफ तो कई बार लीड रोल से भी ज़्यादा हुई। फिल्म दो दूनी चार के लिए तो वह फिर फिल्मफेयर क्रिटिक चॉइस अवॉर्ड जीतने में कामयाब हो गए। लेकिन ऋषि अब तक विलन नहीं बने थे। एक रोज़ करन मल्होत्रा और करन जौहर ऋषि कपूर के पास पहुँच गए और बोले “ऋषि जी आपको ये रोल करना है, ये आप ही बेस्ट कर सकते हो” ऋषि कपूर ने रोल पढ़ा तो वो रौफ लाला का कैरिक्टर था। उन्हें पहली बार लगा कि वो कहाँ ऐसे नेगेटिव, ब्रूटल रोल करेंगे, लोग तो उन्हें और फिल्म दोनों को नापसंद कर देंगे। उन्होंने साफ मना कर दिया। करन एण्ड करन फिर भी अड़े रहे। कहने लगे “ऋषि सर आप बहुत अच्छे ऐक्टर हैं, आप ये रोल सबसे अच्छा करेंगे” ऋषि कपूर भी बेखौफ़ आदमी थे, बोले “मुझे पता है मैं अच्छा ऐक्टर हूँ, पर देख तो सही ये रोल क्या है। ये मैं कहाँ से कर लूँगा तू सोच ज़रा, अच्छा ऐक्टर हूँ वो मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ” लेकिन करन एण्ड करन न सुनने के मूड में ही नहीं थे। वो एक महीने तक ऋषि कपूर के पीछे लगे रहे और आखिरकार ऋषि कपूर लुक टेस्ट के लिए राज़ी हुए। और जब उन्होंने अपनी लुक देखी तो उनकी आँखों में चमक आई कि “नहीं यार! विलन बनना एक अच्छा एक्सपेरिमेंट साबित हो सकता है।“ फिर जब अग्निपथ (2012) में सबने रौफ लाला बने ऋषि कपूर को देखा, तो ऋतिक रौशन से ज़्यादा तारीफ़ें ऋषि कपूर बटोर ले गए। इसके बाद उन्हें नेगेटिव रोल में मज़ा आने लगा। उन्होंने अर्जुन कपूर के साथ औरंगज़ेब की। हालांकि ये फिल्म नहीं चली। फिर फिर 2013 में ही इरफान खान और अर्जुन रामपाल के साथ डी-डे की। जिसमें वह छद्म रूप से दावूद इब्राहीम बने थे। इस रोल के लिए भी उन्हें बहुत तारीफ़ें मिलीं। 2016 में कपूर एण्ड संस में बूढ़े अमरजीत कपूर के रोल के लिए वह फिर से फिल्मफेयर अवॉर्ड फॉर सपोर्टिंग ऐक्टर जीत गए। अमिताभ बच्चन के साथ 2018 में वापसी करते हुए 102 नॉट आउट में हर वक़्त कुढ़-कुढ़ करने वाले 100 साल के बूढ़े के बेटे बने ऋषि फिर से दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हुए, तो इसी साल पॉलिटिकल ड्रामा मुल्क के लिए उनकी निंदा भी हुई तो ऐक्टिंग को लेकर खूब वाहवाही भी मिली। ऋषि कपूर इतने मुँहफट आदमी थे कि बोलने से पहले बिल्कुल भी नहीं सोचते थे। एक दफा फिल्मफेयर अवार्ड्स के लिए बोले “ऐसे अवार्ड्स तो मैं चार चार हज़ार में खरीद लिया करता था” तो कभी कहते “मैं हिन्दू हूँ और बीफ भी खाता हूँ, तो क्या मैं कम हिन्दू हो गया?” दो साल तक कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने के बाद, न्यू यॉर्क में इलाज कराने के बाद ऋषि कपूर ने 30 अप्रैल 2020 को दम तोड़ दिया। हालांकि डॉक्टर्स और स्टाफ का कहना था कि वह आखिरी दिन तक भी सबको हँसाते हुए, सबसे पंगे करते हुए ही गए। ऋषि कपूर एक ज़िंदा-दिल आदमी थे। वह जबतक जिए अपनी मर्ज़ी से जिए, अपनी मर्ज़ी से दुनिया को चलाकर जिए और जब उन्हें जाना पड़ा, तो भी हँसते-हँसते ऐसे गए जैसे ज़िंदगी में कोई भी मलाल बाकी नहीं था। किंग साइज़ लाइफ जीने वाले ऋषि कपूर को उनकी पुण्यतिथि पर याद करते हुए नमन। न ऐसा ऐक्टर पहले काभी हुआ था, न आगे कभी होगा। -सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ Read More क्या पठान की सक्सेस पार्टी में न आने पर SRK ने जॉन को गिफ्ट की थी बाइक क्रिकेटर युवराज सिंह पर बनने जा रही है फिल्म,भूषण कुमार ने किया अनाउंस रणदीप हुड्डा का लिन लैशाराम से मुलाकात का नसीरुद्दीन शाह से है कनेक्शन अमेरिकी तैराकी टीम ने ऐश्वर्या के गाने 'ताल से ताल' पर किया परफॉर्म #rishi kapoor #rishi kapoor birthday #about Rishi Kapoor #Actor Rishi Kapoor #Rishi Kapoor Films #Bollywood Actor Rishi Kapoor #Rishi Kapoor Movies #Rishi Kapoor special birthday हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! 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