आप भी जानिए, 50 और 60 के दशक में हिंदी सिनेमा में पहली बार हुआ ऐसा By Sangya Singh 28 Jul 2018 | एडिट 28 Jul 2018 22:00 IST in गपशप New Update Follow Us शेयर हिंदी सिनेमा में 50 और 60 का दशक हमारे दिलों में एक खास जगह रखते हैं। फिल्मों में 50 के दशक के सिनेमा को 200 साल के विदेशी शासन के झुकाव से मुक्त देश की एक अलग आवाज के साथ दर्शाया गया है। ये दशक इतिहास में कुछ ऐतिहासिक फिल्मों के गौरवशाली साल थे, जिसने राष्ट्रीय और अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई। चाहे वह करिश्माई देवआनंद हों, जिन्होंने दिल को छू लेने वाले गीतों में अपनी ऐक्ट्रेसेस के साथ छेड़छाड़ की, फिर चाहे वो जादूभरी खूबसूरत मुस्कान वाली मधुबाला हों, जिनके साथ उनके सह अभिनेता उनकी आंखों में इतने खो जाते थे कि वो अपने डायलॉग्स तक भूल जाते थे या फिर वो रोमांटिक अंदाज वाले गुरुदत्त ही क्यों न हों। तो ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से हिंदी सिनेमा के 50 और 60 के युग को हमेशा सदाबहार कहा जाता रहेग। आइए बम आपको हिंदी सिनेमा के बारे में बताते हैं ऐसी 10 बातें, जिनके बारे में बहुत कम ही लोग जानते होंगे । जिनको जानने के बाद आप हिंदी सिनेमा पर गर्व महसूस करेंगे। 1- 'मुगल-ए-आज़म'- पहली त्रिभाषी फिल्म बॉलीवुड की इस फिल्म को 3 भाषाओं में फिल्माया गया था। अंग्रेजी, तमिल और हिंदी। हालांकि, जब तमिल वर्जन कामयाब नहीं हो पाया तो असफल रहा, तो अंग्रेजी के वर्जन को भी रिजेक्ट कर दिया गया। इस तरह 'मुगल-ए-आज़म' का केवल हिंदी वर्जन ही रिलीज किया गया था। 2- 'संगम'- विदेश में शूट की जाने वाली पहली फिल्म राज कपूर, राजेंद्र कुमार और वैजयंतीमाला की एक त्रिकोणीय लव स्टोरी, फिल्म संगम के कई सीन यूरोप में फिल्माए गए थे। सिनेमा प्रेमियों ने भी उस समय एक ट्रेंड शुरु कर दिया, इस फिल्म के बाद से वो ज्यादातर फिल्में सिर्फ इसी वजह से देखते थे ताकि वो फिल्मों में विदेशी लोकेशंस को देख सकें। 3- 'मदर इंडिया'- ऑस्कर के लिए भारत की पहली प्रस्तुती नर्गिस, सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार अभिनीत सोशल ड्रामा फिल्म मदर इंडिया, विदेशी फिल्म श्रेणी में ऑस्कर के लिए भारत की पहली प्रस्तुति थी। फिल्म न केवल मनोनीत थी बल्कि अंतिम पांच की लिस्ट में भी शामिल थी। 4- 'कागज के फूल'- पहली भारतीय सिनेमास्कोप फिल्म भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म, कागाज़ के फूल उस समय की एक मास्टरपीस फिल्म है। इस फिल्म को गुरु दत्त की बेहतरीन फिल्म माना जाता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई। इस फिल्म के बाद गुरु दत्त ने कभी भी किसी फिल्म को डायरेक्ट नहीं किया । कागज के फूल को गुरु दत्त का ऑटोबयापिक अकाउंट भी कहा जाता है, जो वहीदा और गीता दत्त के साथ उनके रिश्ते को उजागर करता है। 5- 'यादें'- पहली बोलने वाली फिल्म ये फिल्म सुनील दत्त के फिल्मी करियर की सबसे अलग और नए तरह की फिल्म थी। उनकी फिल्म यादें ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में 'एक कथा फिल्म में सबसे अच्छे कलाकारों' की श्रेणी के तहत अपना नाम दर्ज कराया। लेकिन यह दुख की बात है कि दर्शकों के लिए यह फिल्म कामयाब नहीं हो सकी। 6- 'प्यासा'- पहली फिल्म जिसका नाम टाइम्स की 'ऑल-टाइम 100 मूवीज़' सूची और साइट एंड साउंड की '250 ग्रेटेस्ट फिल्म्स' सूची में शामिल हुआ गुरु दत्त, वहीदा रहमान और माला सिन्हा अभिनीत, फिल्म प्यासा में एक निर्दयी समाज में रहने वाले एक असफल कवि की कहानी को दिखाया गया है। हाल ही में, प्यासा वेनिस फिल्म फेस्टिवल में एक भारतीय कंपनी द्वारा स्क्रीनिंग के लिए जाने वाली पहली भारतीय फिल्म साबित हुई। 7- 'हंसते आंसू'- पहली फिल्म जिसे ए सर्टिफिकेट मिला दिसंबर 1949 में मूल भारतीय सिनेमैटोग्राफ एक्ट (1918) के संशोधन के बाद मधुबाला और मोतीलाल अभिनीत फिल्म हंसते आंसू को 'वयस्कों के प्रमाणन के लिए' ए सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाली पहली फिल्म बन गई। 8- 'आवारा'- सोवियत बॉक्स-ऑफिस में सबसे सफल विदेशी फिल्म राज कपूर द्वारा निर्मित और निर्देशित 1951 में आई इस फिल्म में खुद राजकपूर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने रातोंरात सोवियत बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था और दुनियाभर के दर्शकों को आकर्षित करने वाली पहली विदेशी फिल्म बन गई। इसके अलावा फिल्म 1953 में कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए भी नॉमेनिट हुई थी। 9- 'दो आंखे बारह हाथ'- गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय फिल्म निर्देशक वी शांताराम द्वारा निर्देशित, दो आंखे बारह हाथ अपने समय हिट फिल्मों में से एक थी। यह सैमुअल गोल्डविन श्रेणी के तहत जाने माने गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड जीतने वाली पहली हिंदी फीचर फिल्म बन गई। 10- 'आवारा- आवारा हूं'...पहला भारतीय गाना जिसे विदेशों में भी बेहद पसंद किया गया शंकर जयकिशन द्वारा रचित 'आवारा हूं' अचानक दुनियाभर में छा गया और हर आयु वर्ग के लोगों ने इस गाने को बेहद पसंद किया। मई 2013 में बीबीसी के एक सर्वे में, इस गाने को बॉलीवुड में अब तक का दूसरा सबसे बड़ा और दुनियाभर में मशहूर होने वाला गाना मान लिया गया। इसके अलावा फिल्म 'श्री 420' का गाना ''मेरा जूता है जापानी' भी दुनियाभर में काफी मशहूर हुआ था। इस गाने को भी देशो से लेकर विदेश तक हर उम्र के लोगों ने बहुत पसंद किया। बच्चे हो या बूढ़ा सभी की जुबान पर ये गाना आ भी आ जाता है। #INDIAN CINEMA #Mughal-e-Azam #bollywood films #Mother India #Sangam #Hindi Film Industry #Yaadein #Aawara #Do Aankhen Barah Haath #Hanste Aansoo #Kagaz Ke Phool #Pyaasa #Shree 420 हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article