सेलूलाइड पर पेंटिंग की तरह फिल्म 'कागज़ के फूल' की वो अविश्वसनीय कहानी
ताजा खबर: एक अर्थपूर्ण नाम के साथ बनी फ़िल्म 'कागज़ के फूल' गुरुदत्त जैसे कल्पनाशील थिंकर के लिए वो अभिशाप जैसी फ़िल्म बन गई थी जिसे पहचाने जाने में दशकों लग गए.
ताजा खबर: एक अर्थपूर्ण नाम के साथ बनी फ़िल्म 'कागज़ के फूल' गुरुदत्त जैसे कल्पनाशील थिंकर के लिए वो अभिशाप जैसी फ़िल्म बन गई थी जिसे पहचाने जाने में दशकों लग गए.
हिंदी सिनेमा में 50 और 60 का दशक हमारे दिलों में एक खास जगह रखते हैं। फिल्मों में 50 के दशक के सिनेमा को 200 साल के विदेशी शासन के झुकाव से मुक्त देश की एक अलग आवाज के साथ दर्शाया गया है। ये दशक इतिहास में कुछ ऐतिहासिक फिल्मों के गौरवशाली साल थे, जिसने रा