‘मायापुरी से बहुत पुराना रिश्ता रहा है’- आसिफ शेख

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By Mayapuri Desk
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‘मायापुरी से बहुत पुराना रिश्ता रहा है’- आसिफ शेख

हम लोग’ से ’भाबीजी घर पर है’ तक का सफर कैसा रहा?

- काफी लंबा सफर रहा है. अगर शॉर्ट में कहें तो ये एक रोलरकोस्टर राइड की तरह रहा है, कभी ऊपर तो कभी नीचे. मैंने 1986 में शुरुआत की थी हम लोग से. एक-दो और शो किए फिर वापिस दिल्ली चला गया. फिर मुझे मेरी पहली फिल्म के ऑडिशन के लिए बुलाया गया. पहली फिल्म की. 3 साल काम नहीं मिला.  उसके बाद नेगेटिव रोल मिलने लगे. करण अर्जुन में विलेन का रोल मिला. इसके बाद एक दो और फिल्मों में विलेन का किरदार मिला. युवा विलेन के किरदार  को सिर्फ मार खाना होता है और एक- दो सीन ही मिलते हैं, तो एक अभिनेता के तौर पर संतुष्टि नहीं मिलती है ऐसे किरदार निभा कर. फिर मैंने वापस टीवी किया और यहां टीवी पर एक अभिनेता के तौर पर मुझे संतुष्टि मिली. मैंने ’यस बॉस’ किया, एक दो और शो किए और फिर जाके मुझे यह भाबीजी घर पर है मिला ।

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 ’भाबी जी’ में  आपको मौका कैसे मिला ?

- हमारे सीरियल के जो लेखक है मनोज संतोषी वो यस बॉस के  भी लेखक थे और उनसे मेरी बहुत अच्छी दोस्ती है. जब वो विभूति का रोल लिख रहे थे उन्होंने तभी मुझे कहा कि यह रोल मैंने आपके लिए लिखा है और इस रोल को आप ही करेंगे. उस वक्त शो के डायरेक्टर तक फाइनल नहीं हुए थे मैं उससे पहले से शो के लिए फाइनल था।

 एक अभिनेता के तौर पर टीवी और बॉलीवुड फिल्मों में क्या अंतर देखते  है?

- दोनों में अंतर इतना ही है कि एक अभिनेता के तौर पर मुझे यह लगता है कि फिल्मों में आपको ज्यादा समय मिलता है प्रिपरेशन के लिए,अपने किरदार को समझने के लिए और टीवी पर आपको समय नहीं मिल पाता. आपको शॉट के बीच में ही प्रिपरेशन करनी होती है. टीवी पर आपका रेगुलर किरदार होता है कि आपको इसी किरदार को निभाना है तो यह एडवांटेज  है टीवी पर. मुझे दोनों में ही मजा आता है।

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 अपने प्रोड्यूसर्स के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

- हमारे प्रोड्यूसर्स काफी अच्छे हैं. वो अपना काम बहुत अच्छे  तरीके से मैनेज करते हैं. हमारे अच्छे काम  की तारीफ करते हैं. हमें कोई तकलीफ नहीं है सेट पर समय पर पैसे मिलते हैं.हमारी छोटी-छोटी प्रॉब्लम को ध्यान से  सुन कर समस्या का समाधान करते हैं. तो काफी सपोर्टिव प्रोड्यूसर्स है।

 शो में आपका पसंदीदा किरदार कौन सा है?

- मेरा पसंदीदा किरदार मेरा खुद का किरदार है क्योंकि आज तक टेलीविजन पर इतना कलरफुल और इतना अलग- अलग किरदार निभाने वाला कोई शो नहीं आया है. मैंने इस शो में अभी तक 300 किरदार निभाए हैं और इसमें से 18 फीमेल किरदार किए है . मुझे एक अभिनेता के तौर पर बड़ा मजा आता है अलग-अलग किरदार को निभाने में।

 अगर आप असल जीवन में विभूति नारायण मिश्रा होते तो?

- बीवी ने घर से निकाल दिया होता बहुत पहले ही   (हँसते हुए)।

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 मायापुरी मैगजीन से जुड़ी आपकी यादें?

- मायापुरी से बहुत पुराना रिश्ता रहा है. ये हिंदी में बहुत पॉपुलर मैगजीन रहा है. इसमें कई बार मेरी फोटो भी छपी है जिसकी कटिंग मेरे पास आजतक है.  इसके एक बहुत ही जाने-माने पत्रकार मेरे दोस्त भी रहे हैं. तो मायापुरी से जुड़ी मेरी बहुत सी अच्छी यादें हैं।

 अपने फैंस को क्या मैसेज देना चाहेंगे?

- फैंस से  बस यही कहना चाहूंगा कि हमारा शो देखते रहिए और हमें इसी तरह प्रोत्साहित करते रहिए  ताकि हम अच्छा काम कर सकें.  आजकल दर्शक बहुत से अंतरराष्ट्रीय शो देखते हैं तो हमारी कोशिश यही रहेगी कि हम आपकी उम्मीदों पर खरे उतरें, धन्यवाद।

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