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‘‘ममूटी के साथ ‘ममंगम’ का हिस्सा बनना लाइफ टाइम अनुभव रहा..’’- प्राची तेहलान

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By Shanti Swaroop Tripathi
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‘‘ममूटी के साथ ‘ममंगम’ का हिस्सा बनना लाइफ टाइम अनुभव रहा..’’- प्राची तेहलान

मूलतः हरियाणवी (रोहतक निवासी) मगर दिल्ली में पली बढ़ी प्राची तेहलान को लोग एक अभिनेत्री के तौर पर पहचानते है, मगर उन्हांने कभी भी अभिनेत्री बनने के बारे में नहीं सोचा था। पढ़ाई करते करते अचानक वह नेट बॉल और बॉस्केटबाल खिलाड़ी बन गयी।

कारपोरेट जगत में की नौकरी

2010 के कामनवेल्थगेम्स में भारतीय बास्केटबाल टीम की कैप्टन के रूप में विजयश्री दिलायी.उसके बाद 2011 के ‘साउथ एशियन बीच गेम्स’ में प्राची तेहलान के नेतृत्व में भारतीय टीम ने पहली बार गोल्ड मेडल जीता। वह 2011 से 2017 तक ‘‘नेटबॉल डेवलपमेंट ट्स्ट आफ इंडिया’’ की ब्रांड अम्बेसेडर रहीं। पर गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद उन्होंने खेल से दूरी बनाकर कारपोरेट में जीरो से शुरूआत करते हुए नौकरी करनी शुरू की और बड़ी पोस्ट पर पहुंची।

सीरियल से सीधा बॉलीवुड में आई

तभी उन्हें 2016 में ‘‘स्टार प्लस’’ के सीरियल ‘‘दिया और बाती हम’’ में अभिनय करने का अवसर मिल गया। तो नौकरी छोड़कर अभिनय में कूद पड़ी। फिर सीरियल ‘इक्यावन’ की। उसके बाद ‘अर्जन’ और ‘बैलारस’ दो पंजाबी फिल्मों में बतौर हीरोईन अभिनय किया। इन दिनों 21 नवंबर को प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘ममंगम’’ को लेकर चर्चा में है। मलयालम भाषा में बनी, मगर हिंदी, तमिल व तेलगू में प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘ममंगम’’ में उनकी मुख्य भूमिका ममूटी के साथ है।

जानिए इस फिल्म के बारें में जानकारी

आपके दोनो सीरियल ‘‘दिया और बाती हम’’ तथा ‘‘इक्यावन’’ काफी लोकप्रिय हुए। पर आपको हिंदी फिल्में नही मिली। पंजाबी व मलयालम फिल्में करनी पड़ी?

-ऐसा नहीं है कि मुझे हिंदी फिल्मों के आफर नहीं मिले। मुझे हिंदी फिल्म के ऑफर मिले, पर मैं  हिंदी में भी वह फिल्में करना चाहती हूं,जो टॉप लेबल की हों। मैं दावा नहीं करती कि यह संभव होगा या नहीं, पर हिंदी मेरी भाषा है, इसलिए हिंदी में भी काम करना चाहती हूं। मगर तब तक मैं पंजाबी, मलयालम व तेलुगू फिल्में करते हुए खुद को ‘ग्रो’ कर रही हूं।

‘‘ममूटी के साथ ‘ममंगम’ का हिस्सा बनना लाइफ टाइम अनुभव रहा..’’- प्राची तेहलान

फिल्म ‘‘ममंगम’’ करने की मुख्य वजह क्या रही?

-फिल्म ‘‘ममंगम’’ के किरदार ने मुझे इस फिल्म को करने के लिए उत्साहित किया। यह अति सशक्त किरदार है। मुझे बताया गया था कि इस फिल्म में मेरे किरदार का लुक फिल्म ‘‘डर्टी पिक्चर्स’ में जो लुक विद्या बालन का था, वह होगा। उसी तरह के थोड़े से रिविलिंग कपड़े हैं। यह सुनकर मैं अंदर से घबरा भी गयी थी कि क्या मैं इस किरदार को निभा पाऊंगी? कि क्या मैं अपने किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगी? पर फिल्म के निर्देशक व निर्माता को यकीन था कि मैं कर पाऊंगी। फिल्म के निर्माता का परिवार मेरे सीरियल ‘‘इक्यावन’’ का प्रशंसक था। वह मेरी अभिनय क्षमता से वाकिफ थे।

आपको किस तरह की तैयारी करने की जरूरत पड़ी?

प्राची तेहलान- सबसे पहले तो हमने हर दिन दो घंटे भाषा के उच्चारण और दो घंटे नृत्य की ट्रेनिंग ली। मैंने मोहिनी अट्टम नृत्य सीखा। मैंने मलयालम भाषा सीखी। त्यागराजन सर ने मुझे एक्शन की ट्रेनिंग दी। 76 वर्षीय त्यागराजन सर अब तक दो हजार से अधिक फिल्मों में एक्शन डायरेक्टर के रूप में काम कर चुके हैं। वही हमारी फिल्म ‘‘ममंगम’’ के एक्शन डायरक्टर भी हैं। उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। उनके अंदर की एनर्जी तो कमाल की है। मैंने तलवार बाजी सीखी। 71 वर्ष के ममूटी सर में भी काम करने की एनर्जी कमाल की है। उनका व्यक्तित्व हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। 20 अक्टूबर को गाने का रिलीज था। ममूटी सर ने स्टेज पर बुलाया। मैं खुशी की वजह से बोल नहीं पायी।

फिल्म के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

प्राची तेहलान- मैंने इसमें उन्नीमां का किरदार निभाया है, जो कि परफॉमर, डांसर और देवदासी है। इसी के साथ वह योद्धा भी है। मेरे सीन काफी परफार्मेंस वाले हैं। नदी के किनारे होने वाले मेले की कहानी है।

‘‘ममूटी के साथ ‘ममंगम’ का हिस्सा बनना लाइफ टाइम अनुभव रहा..’’- प्राची तेहलान

ममूटी और आपके किरदार कहानी में कैसे जुड़े हुए हैं?

-वह उन्नीमां के मैंशन में रूप बदलकर आते हैं, पर उन्होंने दूसरां के लिए रूप बदला हुआ है। जबकि उन्नीमां जानती है कि वह महान योद्धा हैं। इस फिल्म में ममूटी सर के कई भेष हैं। वह कई तरह के रूप में नजर आएंगे। यह फिल्म अनसंग हीरोज ‘चावेरा’ की गाथा है। पर महिला किरदारां में मुख्य किरदार मेरा यानी कि उन्नीमां है। उन्नीमां काफी स्ट्रांग है।

फिल्म में आपके साथ कई महारथी पुरुष व महिला कलाकार हैं। उनके बीच आपकी उपस्थिति कहीं गुम तो नहीं हो जाएगी?

-पूरी फिल्म में कहानी के स्तर पर मेरा किरदार ही अहम है। उन्नीमां के किरदार की लंबाई भी सबसे ज्यादा है। जब सारे ‘चावेरा’ उन्नीमां के मैंशन में आ जाते हैं, तो वह उन्हें बचाने का प्रयास करती है। जबकि मेरे मैंशन में उस वक्त खलनायक भी मौजूद है। मगर उन्नीमां अति बुद्धिमान देवदासी है.उसे पता है कि क्या हो रहा है। उसे पता है कि कौन सही व कौन गलत है। वह चावेरा को बचाने के लिए दूसरों का माइंड डायवर्ट करती है।

किस तरह के एक्शन आपने किए हैं?

प्राची तेहलान- मुझे क्रेन पर भी टांगा गया। मैंने वजनदार तलवारों के साथ युद्ध किया है। भागदौड़ भी की। इसमें मैं साड़ी पहने, मांग टीका लगाए, एक नारी के लुक के साथ तलवारबाजी व अन्य एक्शन करते हुए नजर आऊंगी।

‘‘ममूटी के साथ ‘ममंगम’ का हिस्सा बनना लाइफ टाइम अनुभव रहा..’’- प्राची तेहलान

ममूटी से पहली मुलाकात कैसी थी?

-पहली मुलाकात सेट पर ही हुई थी और बहुत ही अच्छी रही थी। ममूटी सर ने पहली बार कद में सबसे बड़ी हीरोइन यानी कि मेरे साथ काम किया। उनका व्यवहार बहुत अच्छा रहा। मैंने उनसे कई तरह के सवाल किए। मैंने उनकी यात्रा, समय के साथ किस तरह के बदलाव आए, को लेकर उनसे काफी बातें की। उन्होंने बताया कि समय के साथ चीजें आसान नही बल्कि कठिन होती गयीं। क्योंकि स्टारडम को भी मेंटेन करना था, नई तकनीक के साथ तालमेल भी बिठाना था। अपने समकालीन हीरो के साथ साथ नई पीढ़ी के हीरो के साथ भी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। मैंने उनसे बातेंं करके बहुत कुछ सीखा और उससे मेरे जीवन व करियर पर काफी प्रभाव पड़ा.वह उच्च शिक्षित हैं। वकील हैं। शिक्षा के स्तर पर हम दोनों काफी उच्च शिक्षित हैं। बुद्धिमत्ता के स्तर पर उनसे काफी कुछ सीखने को मिला। हमने उनसे हिंदी व अंग्रेजी में बातें की। सेट पर वह अक्सर सलाह दिया करते थे।

फिल्म की शूटिंग के अनुभव क्या रहे?

-कोचीन में शूटिंग करने के अनुभव बहुत अच्छे रहे.मुझे कोचीन की प्राकृतिक सुंदरता ने अपना बना लिया.वहां पर हरियाली बहुत है। वहां का भोजन बहुत स्वादिष्ट है.मैंने मलयालम के कुछ शब्द सीखें शूटिंग भी रीयल सेट पर हुई।

आपने हिंदी टीवी सीरियल किए। दो पंजाबी फिल्में की और अब दक्षिण भारत में काम कर रही हैं? क्या फर्क महसूस किया?

-पंजाबी सिनेमा तो यूं ही हंसते हंसते बन जाता है। पंजाबी में पहले से स्क्रिप्ट लिखी ही नहीं जाती। सेट पर ही लिखकर दिया जाता है। कलाकार स्वयं ही अपने संवाद ठीक कर लेते हैं। जबकि दक्षिण भारत में सारा काम प्रोफेशनल स्तर पर होता है। तकनीक मे भी माहिर हैं।

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स्पोर्ट्स पर्सन होने से अभिनय में कहां मदद मिलती है?

-हर चीज में..टीम वर्क, अनुशासन, हर भाषा में ढल जाना.

दूसरी आने वाली फिल्में कौन सी हैं?

-एक तेलुगू फिल्म ‘त्रिशंकु’ की है। इस साइंस फिक्शन फिल्म में मेरे किरदार का नाम है-नक्षत्र। बहुत प्यारा किरदार है। मैं इसमे एक वैज्ञानिक बनी हूं।

कोई ऐसा किरदार जो करना चाहती हो?

-मैं एक रोमांटिक किरदार व रोमांटिक फिल्म में काम करना चाहती हूं। एक पूरी एक्शन फिल्म करना चाहती हूंं।

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