दिल्ली से मुंबई तक का सफर कैसा रहा?
- मैं यहाँ दिल्ली से 1997 में आया था अपना कॉलेज ख़त्म करके. उन दिनों यहाँ मेरे पिता लिखा करते थे. वो उन दिनों “कभी इधर कभी उधर” सीरियल लिख रहे थे जिसमें शेखर सुमन जी थे. फिर एक सीरियल उन्होंने लिखा “चमत्कार” जिसमें फारूख शेख साहब थे. उन्होंने मुझे राजन वाघधारे जो मेरे गुरु हैं उनसे मिलवाया और मैं 5वां असिस्टेंट लग गया राजन जी के साथ और तकरीबन 8 साल मैंने उनके साथ काम किया. फिर मेरा पहला ब्रेक मुझे संजय जी ने दिया थ्प्त् के तौर पर और वो शो हमारा 9 साल चला और जिस दिन थ्प्त् बंद हुआ, एक दिन छोड़ कर भाबीजी शुरू हो गया तो बस तब से ही ये सिलसिला शुरू हो गया।
आप अपने प्रोड्यूसर के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
शशांक बाली- मैं प्रोड्यूसर के बारे में ये कहूंगा कि शुरू तो ये सिलसिला एक प्रोड्यूसर के साथ हुआ था लेकिन वो बिल्कुल एक फैमिली की तरह हो गए है. संजय जी मेरे बड़े भाई की तरह है और मैम जो हैं वो मेरी माँ की तरह हैं क्योंकि वो आपका इतना ख्याल रखती हैं, इतना प्रोटेक्टेड रखती है जैसे कोई माँ अपने बच्चे को प्रोटेक्टेड रखती है. और आप इनकी अगर हिस्ट्री देखें तो हमारा सारा क्रू यूनिट 20-25 सालों से है तो ये पहचान होती है एक अच्छे एम्प्लायर की. ये अपने आप में दर्शाता है कि कितने अच्छे लोग है ये. मेरा यहाँ मुंबई में कोई नहीं है तो मेरी फैमिली यही लोग है. मेरे घर से दूर, ये एक और घर है मेरा. संजय सर क्रिएटिव में भी हमारा साथ देते है और मैम सारा मैनेजमेंट, सारा प्रोडक्शन, सब कुछ देखती है. वो शो की बैकबोन है. मैम अगर ना होती तो ये शो इतनी आसानी से चल नहीं पाता।
2006 से लेकर अब तक का आपका कोई दिल से जुड़ा हुआ शो?
- मेरा फैवरेट शो भाभी जी ही है क्योंकि ये एक परिपक्व सब्जेक्ट है. ये एक सब्जेक्ट है जो चीप भी हो सकता था लेकिन ये इतना बढ़िया है की बहुत मज़ा आता है और स्पेशल भी इसलिए है क्योंकि ये बहुत ही क्लीन कॉमेडी है और हमने सावधानीपूर्वक इस शो को आगे निभाया है और आज लोग जब आकर मुझे बोलते है कि बहुत अच्छा फैमिली शो है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है।
इस शो का बैकग्राउंड कानपुर रखने का कोई रीज़न?
- जितना भी छोटे शहरों में जायेंगे आपको कल्चर वहां मिलेगा, जुबां वहां मिलेगी, हँसी वहां मिलेगी, ह्यूमर वहां मिलेगा और यही रीज़न है कि जो आज कल फिल्में चल रही है वो छोटे शहरों की फिल्में है क्योंकि करैक्टर वहीं से मिलते हैं।
मायापुरी से जुड़ी आपकी यादें?
शशांक बाली- मैं दिल्ली का हूँ तो मायापुरी मेरे घर पर भी आती थी. कभी डॉक्टर के पास जाओ या नाई की दुकान पर जाओ तो मायापुरी वहां भी होती थी, तो ये मेरे बचपन से जुड़ी हुई है. मायापुरी हमारे साथ हमेशा से ही रही है।
शो के फैंस के लिए कोई मैसेज?
शशांक बाली- यही मैसेज है की इस शो को खुले दिल से देखें, लाइट हर्टेड देखें और हमेशा खुश रहें. हमारी भी यही कोशिश है कि बस हम आपको हँसा-हँसा कर लोटपोट सके. मेरा कोई मकसद नहीं है कोई स्पीच देने का या कुछ चेंज लाने का, मैं बस यही कहना चाहता हूँ की आप बस हँसते रहें और खुश रहें और ‘भाबी जी घर पे हैं’ देखते रहें।
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