फिल्मों के सफर में रेलगाड़ी-जीवन की पटरी पर बढ़ते जाना सिखाती है By Mayapuri Desk 11 Dec 2020 | एडिट 11 Dec 2020 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर दूर कभी रेलगाड़ी की सीटी सुनाई दे जाए, तो दिमाग में बस रेल के सफर की खूबसूरत यादें घूमने लगती हैं, हर घुमन्तु का रेलगाड़ियों से प्रेम तो जगजाहिर होता है ही पर बात कुछ ऐसी भी है की यदि आपको रेल का सफर सुकून देता है तो इस पर यकीन करें की आप घुमन्तु हैं और घूमने फिरने से बिल्कुल परहेज मत रखिये, हिंदी सिनेमा के तो न जाने कितने डायरेक्टर अपनी फिल्मों के किरदारों की घुमक्कड़ी प्रमाणित करने के लिए रेल पर दृश्य फिल्माते हैं. -तनीष आचार्य ऋषि कपूर भी रेल के ऊपर चढ़े हैं मणि रत्नम की ‘दिल से’ में रिपोर्टर बने शाहरुख रेलगाड़ी के ऊपर चढ़े झूम रहे है, ”छैयां छैयां” रहमान साहेब की धुन में कुछ कमाल है, रेल के चलने पर जो रिदम उत्पन होती है, उस पर गुलज़ार साहब का एक एक शब्द बैठता है, ऋषि कपूर भी रेल के ऊपर चढ़े हैं, और अपनी हीरोइन के लिए गाते हैं “होगा तुमसे प्यारा कौन? हमको तो तुमसे है ‘हे कंचन” सुपरस्टार राजेश खन्ना भी कहाँ पीछे हैं, उन्होंने जीनत अमान संग रेल पर गाना गाया जो लाखों दिलों की धड़कन बन गया “हम दोनों दो प्रेमी दुनिया छोड़ चले... रेलगाड़ी की खिड़की से एक सुन्दर चेहरा झांकता है और दर्शकों के होश फाख्ता हो जाते हैं फिल्म ‘झुमरू’ की शुरुआत होती है, एक धुआं उड़ाती हुई रेलगाडी से, पीछे गीत है, “मैं हूँ झुम झुम झुम झुम झुमरू फक्कड़ घुमरू बनके घूमूं” और किशोर कुमार की डूडलिंग उस में फक्कड़पन का एक्स्ट्रा तड़का लगाती है, ट्रेन की खिड़की से एक सुन्दर चेहरा झांकता है और दर्शकों के होश फाख्ता हो जाते हैं, हों भी क्यों न? वो मुखड़ा मधुबाला जी का है, फिल्म ब्लैक एंड वाइट में है, पर प्रभावी है, श्वेत- श्याम में ही पाथेर पांचाली भी बनी थी, और सत्यजीत रे की लगन ने रेलगाड़ी के दृश्य को ऐतिहासिक बना दिया, अप्पू और दुर्गा का भोला कौतुहल है-रेलगाड़ी सभी बच्चों का होता है, छुक-छुक की आवाज निकालते हुए रेल तो सभी ने बनाई होगी, ऐसे ही एक बाग में जोगी ठाकुर (अशोक कुमार द्वारा अभिनत), बच्चों का मनोरंजन करते हुए गा रहे हैं, “रेलगाड़ी रेलगाड़ी” उस गाने की क्या दाद दें, उसे सुनके किसी भी उम्र के व्यक्ति में उत्साह जग जाए ‘आज कल के रैप सॉन्ग्स को भी मात देता है, ये गीत ‘दादा मुनि कला के धनि थे, आशीर्वाद में उनका अभिनय किसी पत्थर दिल को भावुक करदे.... किशोर कुमार सभी यात्रियों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं रेलगाड़ी के सफर करने की बात ही कुछ और होती है, प्लेटफाॅर्म पर ट्रेन का इंतजार करने से लेकर अपने डिब्बे में,अपनी सीट ढूंढने या लोकल डिब्बे में अपनी सीट रोकने तक अलग सी ही स्फूर्ति रहती है, और जो टिकट ही नहीं हो तो फिर मनुष्य के जतन देखने लायक होते हैं, दर्शकों को लोट-पोट करती ‘हाॅफ टिकट’ में भी कहानी कुछ ऐसी ही है, इसमें मुन्ना बने किशोर कुमार, गाकर सभी यात्रियों को मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं, कई बार ट्रेन में सफर करते हुए सुन्दर गाने की धून तो दिमाग में जरूर बजी होगी, फिर होटाॅ पे आके गले में अटक सी गई होगी, वाकई हमें किशोर दा के किरदारों से कुछ अखड़पन उधार लेना होगा. समाज एक नर्तकी और नौटंकी करने वाली महिला को गिरी हुई नजरों से देखता है हीरो और हीरोइन का मेल मिलाप हो या दुखद विदाई हो भारतीय रेलवे को हर यादगारी, खूबसूरत सीन की सफलतापूर्वक शूटिंग के लिए एक बड़ा धन्यवाद् देना चाहिए, ‘पाकीजा’,‘सदमा’,‘शोले’,‘जब वी मेट’, ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ सभी फिल्मों में एक ठहरा हुआ पल है, वो न भुलाए जाने वाला पल जो है रेल गाडी का ‘दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे’ की सिमरन आज भी जब रेलगाड़ी में राज का हाथ थामती है, तो दर्शकों की वाहवाही आती है, जब रूठे हुए लोग आपकी जिंदगी से ही चले जाना चाहते हैं तो उन्हें जल्दी से जाकर प्लेटफाॅर्म पर माफी मांग कर मानाया जाता है। ”चितचोर” और ”घर” में अंत, प्लेटफाॅर्म पर स्नेह मिलन से ही होता है।”तीसरी कसम” में असलियत को सरलता से दर्शाते हुए प्रमुख पात्र प्लेटफाॅर्म पर विदा हो लेते हैं, उनकी जीवन की यात्रा साथ हो ये समाज को मंजूर नहीं है, समाज एक नर्तकी और नौटंकी करने वाली महिला को गिरी हुई नजरों से देखता है और इसी लिए वो रेल में सवार है, अपना सफर अकेले ही तय करने को तैयार. गाड़ी बुला रही है सीटी बजा रही है #shah rukh khan #Amitabh Bachchan #Gulzar #rishi kapoor #Madhubala #A R Rehman हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article