मुझसे लड़कियों को आँसू नहीं देखे जाते - राजीव कपूर By Mayapuri Desk 12 Feb 2021 | एडिट 12 Feb 2021 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर ता रा प प जिगर रिटा....., ता रा प प जिगर रिटा...... के साथ ही टी. वी. स्क्रीन पर शम्मी कपूर और ऋषि कपूर की मिली जुली अदाओं के साथ यह कौन नौजवान थिरक रहा है? क्या? राजीव कपूर? लेकिन इतना अच्छा डांस कैसे कर पा रहा है यह सुना तो यह था कि वह किसी खास ट्रेनिंग के बिना ही फिल्म मैदान में कूद पड़ा था। - सुलेना मजुमदार अरोरा मुझे यह देखना था कि फिल्म इंडस्ट्री के एक सक्रिय सदस्य होने के बाद उसमें क्या क्या बंदलाव आया राजीव से मैं दो बार पहले मिल चुकी थी उस वक्त यह गुमान भी नहीं था कि यह खामोश खामोश सा (या खडूस?) सुन्दर नौजवान पर्दे पर इस कदर बेफिक्री के साथ उछल कूद कर सकेगा यहीं नहीं दिव्या राणा को मनाने के लिए आकाश से तारे तोड़ने का भी जिगर रखेगा। खैर, शायद अनुभव से सीख गया हो लेकिन क्या वह सिर्फ स्क्रीन के लिए बदल गया? यह देखने के लिए मैंने चिम्पू उर्फ राजीव कपूर से इंटरव्यू के बहाने मिलना चाहा। मुझे यह देखना था कि फिल्म इंडस्ट्री के एक सक्रिय सदस्य होने के बाद उसमें क्या क्या बंदलाव आया। फोन करके उसे पकड़ना कुछ मुश्किल था क्योंकि फोन पर राजीव और मेरे दरम्यान श्री राजकपूर आ जाते थे इसलिए सुराग की टोह लेते लेते आखिर सेठ स्टूडियों में चिम्पू से टकरा ही गई। जब नया नया सा था तो इंटरव्यू के नाम पर ऊँ ऊँ ऊँ ऊँ के आगे कुछ बोलता ही नहीं था, लेकिन इस बार कुछ बिन्दास मुस्क्राहट के साथ वह बोला-हाँ भई, शुरू करो शुरू करो। राजीव, अभिनेता से पहले तुम अपने आपको क्या कहलवाना पसंद करोगे? इंसान। आई सी, लेकिन मेरा मतलब यह नहीं था मैंने यह पूछना चाहा कि अभिनेता बनने से पहले तुम अपने आपको निर्देशक कहलवाना ज्यादा पसंद करते हो न? कहलवाना नहीं महसूस करना चाहता हूँ। वैसे अंभिनय जगत में आने से पहले मैंने राहुल रवैल के साथ निर्देशन क्षेत्र में असिस्टेंट का काम किया था। उसके बाद राजकपूर द ग्रेट के साथ प्रेम रोग के दौरान असिस्टेंट बना। और अब मेरी तमन्ना है कि मैं जल्द से जल्द निर्देशक बन जाऊँ। अभी से मैं कैसे स्वंय को निर्देशक कहूँ। निर्देशक बनने की तमन्ना लिये तुम हीरो कैसे बन गये राजीव? यही तो नियम है जिंदगी का हम बनना कुछ और चाहते हैं बन कुछ और बैठते हैं असिस्टेंट डायरेक्टर बन कर मैं सैट पर कैमरे से लेकर स्पॉट ब्वॉय का काम भी संभालता था और इसी तरह पर्दे के पीछे ही छुपा था कि अचानक पर्दा खींच कर मुझे बेपर्दा कर दिया गया। या यह कहा जाये तो ज्यादा साफ होगा कि मुझे निर्देशक बनने से पहले खींच कर-कैमरे के आगे कर दिया गया। मुझे जब अपनी पहली फिल्म का ऑफर मिला तो एक पल के लिए मैं झिझका फिर सोचो चलो यह बाजी भी लगा दी जाये आखिर हूँ तो एक्टर का पुत्र। निर्देशक बनने के लिए थोड़ा एक्सपीरियन्स की जरूरत है इसलिए सोचा चलो निर्देशक का अनुभव लेते लेते थोड़ा अभिनय का अनुभव भी ले लूं। लेकिन तुम्हें इस बात का अफसोस नहीं होता कि तुम्हारे डैडी और फिल्म इंडस्ट्री के महान निर्माता निर्देशक, अभिनेता-राजकपूर ने तुम्हें सर्वप्रथम ब्रेक नहीं दिया, जबकि उन्होंने कपूर खानदान के कई कपूरों को ब्रेक दिया था “आखिर तुम उनके सबसे छोटे लाडले हो मेरे कटाक्ष के धार से क्षुब्ध होते हुए वह तुरन्त बोला-मैं इस बात का बुरा नहीं मानता डैडी ने मुझे सर्वप्रथम ब्रेक नहीं दिया तो क्या हुआ, मैं स्वतंत्रता पसंद आदमी हूँ मैंने कभी किसी बात पर निर्भर होना नहीं सीखा, यह सीख मेरे डैडी ने ही मुझे दी थी और मैं उन्हीं के सिखाये अनुसार चल रहा हूँ। यह अलग बात है कि अगर डैडी मझे ब्रेक देते तो शायद मेरा कैरियर कुछ और चमक के साथ सँंवर जाता। राजीव एक बात तो तुम मानते होगे अगर तुम राजकपूर के बेटे न होते तो तुम्हें इतनी फिल्में मिलना तो दूर इंडस्ट्री में झांक कर देखने की इजाजत भी नहीं मिलती इस तरह किसी प्रोड्यूसर के दरवाजे पर धक्के खाते नजर आते? हाँ मैंने इस बात से कब इंकार किया है। सिर्फ मैं ही क्यों आज के सभी स्टार पुत्र यही सोच रहे होंगे। यह तो हमारी किस्मत है कि हम इतने बड़े कलाकार के बेटे हैं और मुझे बिना मांगे ही सब कर मिल गया...! कभी आम आदमी बनने का शौक नहीं होता तम्हें? हाँ होता है, मन होता है मैं अपने पैरों पर खड़ा हों जाऊँ, तुम तो जानती हो कि मैं स्वभाव अनुसार स्वतंत्रता प्रिय हूँ। इसलिए कभी कभी इतने बड़े घर बार से मैं बचने की कोशिश करता हूँ। तब मन होता है एक आम इंसान बन जाऊँ। लेकिन एक आम आदमी के हिस्से में जितनी स्वतंत्रता होतीं है उतनी ही परेशानी भी होती है। तुम अमिताभ बच्चन के नम्बर वन ऊँचाई पर कभी आह तो भरते होगे कि काश ! तुम उनकी जगह पर होते? मेरे साथ उनकी कोई तुलना नहीं, वे मुझसे बहुत सीनियर हैं अतः मैं कोई कम्पटीशन नहीं मानता। तुलना तो हमारी उम्र के नये हीरो के साथ होनी चाहिए। जैसे संजय, गौरव....? मैंने पूछा। हाँ हालांकि वे भी मुझसे पहले फिल्म इंडस्ट्री के अभिनय जगत में आ चुके थे फिर भी हमारी एक स्वस्थ कम्पटीशन चल रही हैं। देखना यह है कि कौन आगे बढ़ जाता है कौन और तेज दौड़ लगाता है। अगर हम में से कोई आगे बढ़ जाये तो इसका मतलब यह नहीं कि बाकी सब फिस हैं यह तो एक खेल है, कोई कभी आगे तो कोई कभी पीछे। तुम्हें सभी शम्मी कपूर और ऋषि कपूर का मिश्रण कहते हैं तुम्हें कैसा लगता है? मुझे दुख इस बात का होता है कि मेरा अपना कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है। लेकिन किया ही क्या जा सकता है अपने चेहरे को मैंने अपने हाथों से तो बनाया नहीं, खून एक है इसलिए कहीं कहीं उनकी झलक भी आ जाती होगी। तुम्हारी कोई कमजोरी मैं जान सकती हूँ? नहीं बाबा वर्ना फायदा उठाती रहोगी।’ नहीं प्रॉमिस। मैं बहुत भावक हूँ। मुझसे किसी के आँसू देखे नहीं जाते हैं खासकर लड़कियों के आँसू। कहकर राजीव ने एक शर्मसार मुस्कान बिखेरी। इस वक्त तुम्हारे पास कितनी फिल्में हैं? ‘एक जान हैं हम’ रिलीज हो चुकी है ‘शुक्रिया’, ‘असली नकली तथा कुछ और फिल्में हैं डिम्पल, दिव्या, पद्मिनी के साथ। यानि किला फतह करने की होड़ में लग गये हो? जी हाँ, आगे बढ़ते रहो और मुश्किल आसान करते चलो। यह लेख दिनांक 23-10-1983 मायापुरी के पुराने अंक 474 से लिया गया है! #Raj kapoor #sanjay dutt #rishi kapoor #Kumar Gaurav #Rajeev Kapoor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article