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कुछ
रोज
पहले
सेठ
स्टूडियो
में
फिल्म
‘
दावेदार
’
की
शूटिंग
के
दरम्यान योगिता
बाली
से
दूसरी
मुलाकात
का
अवसर
मिला।
उसे
मैंने
हाथ
से
जाने
देना
पागलपन
समझा
वही
वजह
है
कि
मैंने
शूटिंग
एटेंड
की
और
मेकअप
रूम
में
योगिता
के
साथ
जा
बैठी।
-
छाया
मेहता
'मेरी
तो
यह
लालसा
है
कि
हर
तरह
की
जजबाती
भूमिकाएं
स्वीकार
करूं
ग्लैमरस
रोलज
बहुत
हो
चुके' योगिता बाली
खट
खट
खट
कम
इन।
हैल्लो
!
“
हैल्लो
छाया
,
कैसी
हो।
”
इस
तरह
की
आपस
की
बात
के
बाद
मैंने
कहा
मैं
कुछ
सवाल
करना
चाहती
हूँ।
”
अभी
मेरा
तो
पैकअप
हो
गया।
मैं
घर
जा
रही
हूँ
फिर
कुछ
रूककर
बोली
-‘
तुम
सैट
पर
हो
न
,
कुछ
देर
में
मैं
वापस
भी
आ
रही
हूँ।
“
आ
...
ए
...
ए
.
ए
वापस
आ
रही
हूँ
,
क
या
मैं
योगिता
की
आदत
से
बाकीफ
नहीं
हूं
.”
इस
पर
योगिता
ने
मेरे
गालपर
जोर
से
चुटकी
लेते
हुए
कहा
’
एय
इसे
लिखना
नहीं
समझी
क्या।
नहीं
लिखूंगी
पर
एक
शर्त
पर
कि
इसी
वक्
त
आप
मेरे
साथ
कुछ
देर
बैठ
कर
बातें
करेंगे।
”
यह
लो
कोल्ड
ड्रिंक
पीओ
फिर
हम
साथ
ही
साथ
निकलते
हैं।
रास्ते
में
बात
करेंगे
तुम
बांद्रा
आते
ही
उतर
जाना।
वहां
से
तुम्हे
फाॅस्ट
ट्रेन
भी
मिल
जयोगी
ओे
.
के
.”
क्रीम
कलर
की
फिएट
कार
में
हम
बैठ
गये।
विश्वास
कीजिए
,
उस
दिन
वह
कुछ
अधिक
ही
कोमल
और
हसीन
लग
रही
थी।
उस
मुलाकात
के
दौरान
मुझे
विश्वास
हो
गया
कि
वह
खुद
एक
जजबाती
व्यक्तित्व
रखती
है
और
जजबातों
से
उसे
गहरा
इश्क
भी
है।
मेरे
सवालों
का
जवाब
देते
हुए
उन्होंने
मुझसे
कहा
-‘
मैं
एक
टाइप्ड
अदाकारा
बनकर
रह
जाऊं
,
यह
मुझे
कदापि
पसन्द
नहीं
,
बल्कि
मेरी
तो
यह
लालसा
है
कि
हर
तरह
की
जजबाती
भूमिकाएं
स्वीकार
करूं
ग्लैमरस
रोलज
बहुत
हो
चुके।
आखिर
भूमिकाओं
में
कुछ
चेंज
तो
आना
ही
चाहिए
ना
आय
मीन
कुछ
नयापन
!
तो क्या आपको, जैसा आपने कहाँ वैसे रोलज मिले हैं?
क्यूं
नहीं।
इतना
कहकर
बात
की
पुष्टी
करने
के
हेतु
से
वह
बोली
-
इस
बात
का
अनुमान
तो
तुम
श्री
राम
बोहरा
की
आने
वाली
फिल्
म
‘
काली
रात
’
जिसमें
मैंने
चार
-
पांच
किस्म
की
अलग
-
अलग
भूमिकाएँ
निभाई
हैं
,
लगा
सकती
हो
-
वह
फिल्
म
तो
मेरे
लिए
एक
चैलेन्ज
है।
उस
वक्
त
जब
वह
मुझ
से
यह
कह
रही
थी
,
उनकी
आँखों
में
मैंने
देखा
तो
मुझे
यह
अहसास
हुआ
कि
वह
दिल
की
बेपनाह
गहराई
से
जवाब
दे
रही
है।
मैंने बात को आगे बढाया और अपना अगला सवाल पेश किया-आप कौन-कौन से निर्देशकों को अपना फेवरेट मानती हैं?
यूं
देखा
जाय
तो
सभी
हैं
पर
फिर
भी
उनको
कुछ
खास
कहूंगी
जिनके
साथ
मुझे
काम
करने
का
मौका
मिला
है
जैसे
कि
‘
केवल
कश्यप
’
जिनके
साथ
मैंने
‘
मेरे
देश
की
घरती
’
फिल्म
में
काम
किया
,
इसी
तरह
एस
.
एम
.
सागर
हैं
,
शक्ति
सामंत
हैं
आदि
.”
अच्छा तो अब यह बताएं कि आपकी पसंद के इन डायरेक्टरों में फर्क क्या है और समांतरता क्या है?”
मेरे
इस
सवाल
पर
वह
तपाक
से
बोली
-
मैंने
जो
नाम
बताये
उन्हें
नंबर
नहीं
देने
हैं।
यह
नाम
तो
मेरे
मुंह
से
निकल
गये
क्
योंकि
मैं
इनके
साथ
काम
कर
चुकी
हूँ।
निर्देशकों
की
समानता
यही
होती
है
कि
सारे
निर्देशक
-
निर्देशक
ही
कहलाते
हैं
बल्कि
काम
करने
का
ढंग
सबका
अलग
-
अलग
ही
होता
है
”।
मैंने कहा-यदि आपको इतराज न हो तो आपके कुछ गहरे मित्रों के बारे में मैं पूछूं?”
तुम
चाहे
जो
सवाल
करो
,
और
अगर
मुझे
बात
जंची
तो
मैं
जवाब
भी
दूंगी।
मैं
सवाल
सुनने
से
कभी
डरती
नहीं।
”
मैंने सवाल किया-पहले पहल तो आपके और किरण कुमार के रोमान्स के चर्चे थे, फिर किशोर कुमार के साथ की शादी और तलाक की बात भी सब जानते हैं अब आये दिन मिथुन चक्रवर्ती के साथ की कोई न कोई खबर उड़ती रहती है इनमें सच्चाई भी है या ये सारे पब्लिसिटी स्टंट हैं?
मेरे
इस
सवांल
पर
कुछ
सैकेण्ड
तक
वह
मेरी
आंखों
में
देखती
रहीं
फिर
धीरे
से
बोलीं
-
मिथुन
मेरा
पुराना
और
अच्छा
मित्र
है
,
यह
सच्चाई
है।
बाकि
जो
कल
चला
गया
उसे
भूल
जाओ
मुझे
इतिहास
दोहराने
की
आदत
नहीं।
पर
मैं
इतना
जरूर
कहुंगी
कि
मैंने
पब्लिसिटी
के
लिए
कभी
किसी
के
भी
साथ
रिलेशन
नहीं
बनाये।
लोग
कई
ऐसे
हैं
जो
इस
तरह
की
पब्लिसिटी
में
विश्वास
रखते
हैं
पर
मैं
उनमें
से
नहीं
हूँ
पर
जवाब
जो
उन्होंने
बहुत
हीं
शांतिमय
अन्दाज
में
दिया
था।
मैंने
इस
पर
एक
क्षण
गौर
किया
तो
मुझे
लगा
कि
वह
बिल्कुल
सही
कह
रही
थी
,
क्
योंकि
वह
अपनी
लगन
और
काबलियत
से
मशहूर
कलाकारों
में
अपना
नाम
बना
चुकी
हैं।
फिर
मैंने
रूख
बदलते
हुए
उनकी
आने
वाली
नई
फिल्मों
के
बारे
में
पूछा
वे
बोली
-
सारे
तो
मुझे
याद
नहीं
हैं
जो
याद
है
वो
इस
तरह
से
हैं
-‘
हम
दर्द
चैन
बेचैन
’, ‘
मेरे
देश
की
धरती
’, ‘
पेट
पूजा
’
आदि।
यह
सब
नाम
सुनकर
मैंने
योगिता
की
ओर
नजर
फिराई
तो
वह
झट
से
बोल
उठी
मानो
उन्होंने
मेरे
सवाल
की
मेरे
चेहरे
पर
पढ़
लिया
हो।
यह
मत
सोचो
कि
मैंने
यह
सब
नाम
अपने
आपको
ग्रेट
साबित
करने
के
लिए
बतायें
हैं
,
पर
हां
,
कोई
इस
बात
से
इन्कार
भी
नहीं
कर
सकता
जो
कि
सच्चाई
भी
है
कि
मैं
इन्ही
फिल्मों
पर
काफी
हद
तक
निर्भर
कर
रही
हूं
और
यह
मेरा
विश्वास
है
कि
यह
फिल्में
सफलता
प्राप्त
करेंगी।
मैं
तो
तुमसे
फिर
एक
बार
कहूंगी
कि
यह
सभी
फिल्में
तुम
अवश्य
देखना
तब
तुमको
मेरी
बातों
से
पूरी
तरह
सहमती
हो
जायेगी
।
इन
में
मैंने
कई
अलग
-
अलग
भूमिकायें
अदा
की
हैं
मुझे
खुद
को
भी
लगता
है
कि
ऐसी
अलग
-
अलग
किस्म
की
भूमि
-
काओं
में
एक
नयापन
है।
मैंने एक और सवाल किया योगिता जी आपके चहेते हीरों ओर हीरोइनें कौन सी हैं?
मुझे
तो
सभी
ही
अच्छे
लगते
हैं।
”
बहुत
ही
सरलता
और
फ्रैंकली
योगिता
ने
जवाब
दिया।
क्या आप भगवान या पूजा में विश्वास रखती हैं?”
‘
वर्क
इस
वर्कशिप
’
मैं
तो
काम
को
ही
पूजा
मानती
समझती
हूँ
वही
मेरा
खुदा
है
,
काम
खत्म
करने
के
बाद
मुझे
वही
खुशी
मिलती
है
जो
किसी
को
पूजा
करने
से
मिलती
है।
”
योगिता
जी
बड़ी
स्पष्टता
से
जवाब
दिया
और
फिर
बात
का
और
स्पष्टीकरण
करते
हुए
बोली
-
यह
मत
समझना
मैं
गुरू
ग्रंथ
साहब
में
विश्वास
नहीं
रखती
।
मैं
तो
खुद
नास्तिकों
के
बहुत
ही
खिलाफ
हूँ
क्योंकि
मेरा
विश्वास
हैं
जो
गुरू
ग्रंथ
साहब
में
यकीन
नहीं
रखते
वह
खुद
पर
भी
ऐतबार
नहीं
कर
सकते
वह
शायद
दुनियां
में
कोई
भी
अच्छा
काम
नहीं
कर
सकते।
आप अपने फ्री टाइम में क्या करना पसंद करती हैं?
खाली
वक्
त
!
उन्होंने
तत्परता
से
जवाब
दिया
अगर
यह
मेरे
लिए
नामुमकिन
नहीं
तो
मुमकिन
,
भी
नहीं
है
कभी
जो
खुदा
की
दया
से
खाली
वक्
त
मिले
भी
तो
मैं
साहित्य
पढ़ने
में
व्यतीत
करती
हूँ।
यही
एक
चीज
है
जिसे
आप
एक
सीमा
में
कैद
कर
के
नहीं
रख
सकते
,
यही
तो
उम्र
भर
ध्यान
देने
लायक
चीज
है।
मुझे
वह
श्लोक
अब
भी
याद
है
जिसने
मुझे
साहित्य
की
ओर
प्रेरित
किया
शायद
जिन्दगी
की
एक
सच्चाई
भी
वही
है
साहित्य, संगीत, कला वहीत
साखजात पशुए पूंछ विरान वही’
(
वह
व्यक्ति
जो
साहत्यि
,
संगीत
झौर
कला
से
वहीन
है
,
समझ
लो
वह
बिना
पूंछ
का
एक
जानवर
है
)
बांद्रा
रेलवे
स्टेशन
आकर
मैं
बेच
पर
बैठ
गयी
और
सोच
रही
थी
कि
छोटी
सी
मुलाकात
में
हुई
उससे
भी
छोटी
-
छोटी
बातें
दिल
पर
कितनी
बड़ी
छाप
छोड़
जाती
है।