‘मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई’ - शुभांगी अत्रे

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By Mayapuri Desk
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‘मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई’ - शुभांगी अत्रे

 ’कसौटी जिंदगी की’ से लेकर भाभीजी तक का सफर कैसा रहा?

- मेरी पर्दे पर शुरुआत 2006 में हुई थी. मेरा पहला शो था ’कसौटी जिंदगी की’. मैं मध्य प्रदेश से हूं. अभिनय के बारे में मुझे कुछ पता नहीं था. जो भी सीखा है मैंने  सेट पर ही सीखा है. मुझे बालाजी ने ’कस्तूरी’ में कस्तूरी का किरदार निभाने का मौका दिया. ये प्राइम टाइम शो था. मैं एकता कपूर,शोभा जी, जीतू जी, और पूरी बालाजी टेलिफिल्म्स की टीम की हमेशा आभारी रहूंगी. आज मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं लोगों की वजह से हूं. मुझे बैक टू बैक अच्छे शो मिलते रहे. मैंने राजश्री के साथ दो हंसों का जोड़ा की. फिर चिड़ियाघर किया और टैगोर स्टोरीज किया  मैंने अनुराग बसु के साथ. और फिर मुझे भाबीजी मिल गया. तो बहुत कुछ सीखने को मिला है इस सफर में।

‘मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई’ - शुभांगी अत्रे

 भाबीजी में काम करने का मौका कैसे मिला?

- भाबीजी ऐसा शो है  जो शुरू होते ही बहुत मशहूर हो गया था और मैं भी ये शो देखती थी. मुझे लगता है कि अंगूरी का किरदार  किसी भी अभिनेत्री के लिए एक वरदान है क्योंकि ऐसे किरदार टीवी पर देखने को नहीं मिलते है. मैंने कहीं ना कहीं भगवान से प्रार्थना की होगी और उन्होंने सुन ली और मुझे इस किरदार के ऑडिशन के लिए बुलाया गया. अंगूरी का किरदार पहले से एक कलाकार निभा रही थी तो मेरे ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी कि मैं इस किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगी या नहीं. मैंने ऑडिशन दिया फिर लुक टेस्ट हुआ और मैं सेलेक्ट हो गई।

‘मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई’ - शुभांगी अत्रे

 अपने प्रोड्यूसर्स के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

- मेरे चेहरे की स्माइल से ही आप समझ सकते हैं कि मैं अपने प्रोड्यूसर्स से कितनी खुश हूं. संजय जी और मिसेज़ कोहली दोनों बहुत अच्छे हैं और सबसे अच्छी बात है कि इतने बड़े रिप्लेसमेंट के बाद भी उन्होंने कभी मुझ पर कोई प्रेशर नहीं डाला. ये शो वर्ल्ड वाइड बहुत मशहूर है. हम कहीं भी जाते हैं तो हमारी टीम को बहुत प्यार मिलता है और इस शो को हमारे प्रोड्यूसर्स बहुत अच्छे तरीके से संभालते हैं. मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई. और अब तो मुझे साढ़े तीन साल हो गए इस शो पर. मैं यही चाहती हूं कि ये  शो  ऐसे ही चलता रहे।

 भाबीजी के बाद असल जीवन में कोई बदलाव आये हैं?

- नहीं, मुझे नहीं लगता कि पर्सनली कोई बदलाव आने चाहिए. ये मेरा काम है और मैं अपना काम बहुत इमानदारी से करती हूं . अभिनय मेरे लिए जुनून की तरह है. पर असल जीवन में मैं जैसी हूं वैसी रहना चाहती हूं. मैं मानती हूं कि दुनियादारी की वजह से आपको कभी-कभी बदलना पड़ता है पर जिस निश्छलता के साथ आप इस दुनिया में आते हैं अगर वही निश्छलता और इमानदारी आप बरकरार रखे तो उससे बढ़िया क्वालिटी और कुछ नहीं है।

 भाबीजी में आपको कौन सा किरदार बहुत पसंद है, और क्यों?

शुभांगी अत्रे- मुझे अपना किरदार बहुत पसंद है. वैसे तो सारे किरदार अच्छे हैं भाबीजी में पर मैं थोड़ी सी शैतानी दिमाग की हूँ तो मुझे सक्सेना का किरदार बहुत पसंद है।

‘मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब आई और कब इतना घुल मिल गई’ - शुभांगी अत्रे

 आपकी रियल लाइफ और रील लाइफ में क्या समानताएं हैं?

शुभांगी अत्रे- अंगूरी से मैं बहुत अलग हूं. पर एक चीज जो मुझे अंगूरी की बहुत पसंद है और मैं अपने अंदर बरकरार रखना चाहती हूं वो है अंगूरी की सादगी और मासूमियत।

 अपने फैंस को क्या मैसेज देना चाहेंगी?

शुभांगी अत्रे- मैं यह कहना चाहूंगी कि आप लोगों ने शो को और इस शो के हर एक किरदार को बहुत प्यार दिया है. कई बार ऐसा होता है कि शो हिट हो जाते हैं और उसके 1-2 किरदार ही मशहूर होते हैं पर आपने इस शो के सभी किरदार को एक जैसा प्यार दिया है.  ये बहुत बड़ी बात है. जब आप लोगों के ईमेल  और मैसेजेस आते हैं कि मैं किसी बीमारी से जूझ रहा था और आपका शो देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा. डॉक्टर्स भी इस शो प्रिस्क्राइब करते हैं कि ये बहुत अच्छा स्ट्रेस बस्टर है तो यह सब सुनकर और जानकर बहुत अच्छा लगता है. आप लोग इसी तरह हंसते रहिए और हमारे शो को पसंद करते रहिए. आप सभी को ढेर सारा प्यार।

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