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अभिनेत्री
,
लेखिका
,
निर्देशिक
ने
नेशनल
फिल्म
अवाॅर्ड
और
भी
अवाॅर्ड्स
जीते
है
,
अपनी
एक्टिंग
के
बल
-
बुते
पर
जल्द
ही
उनकी
फिल्म
‘
रामप्रसाद
की
तेहरवी
’
सिनेमा
घरों
में
रिलीज
हो
गई
है।
कोंकणा
आर्ट
,
एवं
कमर्शियल
फिल्मों
से
जुडी
है
,
कोंकणा
की
हाल
में
निर्देशित
फिल्म
’
बतौर
निर्देशिका
ना
केवल
वाह
-
वाही
बटोरी
है।
अपितु
अवाॅर्ड्स
भी
मिले
है
इस
फिल्म
को
,
बतौर
निर्देशिका
कोंकणा
के
पास
कुछ
नहीं
है
किंतु
बतौर
एक्टर
वह
काफी
कुछ
काम
कर
रहे
है।
लिपिका
वर्मा
'रामप्रसाद
की
तेहरवीं का
टाइटल
बहुत
अच्छा
और
अलग
सा
है' कोंकणा सेन शर्मा
फिल्म
’
में
एक्टर
सीमा
पाहवा
भी
बतौर
निर्देशिका
डेब्यू
कर
रही
है
,
इस
फिल्म
में
नसीरुद्दीन
शाह
,
कोंकणा
,
और
भी
कई
सारे
दिग्गज
कलाकार
है।
कमाल
की
बात
तो
यह
है
कि
निर्देशिका
सीमा
पाहवा
ने
ऐसे
कोविड
-19
के
माहौल
में
फिल्म
को
थिएटर
में
रिलीज
करने
की
हिम्मत
की
है
, ‘
रामप्रसाद
की
तेहरवी
’1
जनवरी
को
सिनेमा
घरो
में
रिलीज
की।
आपकी हांलिया फिल्म ‘रामप्रसाद की तेहरवीं’ रिलीज हो गई है, कुछ बतलाये?
जी
हाँ
इसका
टाइटल
बहुत
अच्छा
और
अलग
सा
है
,
यह
टाइटल
मुझे
कुछ
पिछली
फिल्मों
के
टाइटल
की
याद
भी
दिलाता
है
,
जैसे
‘
सलीम
लंगड़े
पर
मत
रोना
’ ‘
अल्बर्ट
पिंटो
को
गुस्सा
क्यों
आता
है
’
इत्यादि।
बहुत
ही
बेहतरीन
टाइटल्स
है
,
तेहरवीं
जो
हमें
सीधा
-
सीधा
यह
जताता
है
कि
परिवार
में
किसी
के
गुजर
जाने
के
बाद
रिश्तेदारों
के
बीच
क्या
कुछ
होता
है।
भारतीय परिवार सयुंक्त परिवार प्रथा में आज भी विश्वास करता है रिश्तों के मायने अभी भी हमारे देश में महत्वपूर्ण है, क्या कहना चाहेंगी आप?
मुझे
नहीं
लगता
है
कि
एक
तरह
के
परिवार
की
प्रथा
ही
हम
फॉलो
करते
है
,
हर
परिवार
में
अलग
-
अलग
पारिवारिक
सेट
अप
होते
हैं
,
कुछ
लोग
संयुक्त
परिवार
में
रहना
पसंद
करते
है।
क्योंकि
उन्हें
वो
प्रथा
अच्छी
लगती
है
,
कुछ
नुक्लिएर
परिवार
को
पसंद
करते
है
जबकि
सिंगल
पैरेंट
परिवार
में
रहते
है
,
सभी
लोग
जो
संस्कृति
एवं
परंपरा
पीढ़ियों
से
चली
आ
रही
प्रथा
है
उसे
नहीं
मानते
है
,
बहुत
बदलाव
देखने
को
मिला
है।
कोंकणा का नाम अवाॅर्ड से जुड़ता है कई सारी फिल्मों ने अवाॅर्ड जीते है, और आपने भी अवाॅर्ड आप के लिए क्या मायने रखता है?
अवाॅर्ड्स
मेरे
लिये
बहुत
मायने
रखते
है
,
अवाॅर्ड्स
मुझे
प्रोत्साहित
करते
है
,
मैं
आभार
मानती
हूँ
,
जब
कभी
मेरी
फिल्म
या
मुझे
अवाॅर्ड्स
से
सम्मानित
किया
जाता
है।
प्रशंसा
अच्छी
लगती
है
,
मुझे
अवाॅर्ड्स
इस
बात
का
ध्यान
भी
दिलाते
है
कि
,
मैं
सही
दिशा
में
काम
कर
रही
हूँ
,
पर
सभी
अवाॅर्ड
बराबर
नहीं
होते
उन्हें
एक
ही
श्रेणी
में
नहीं
रखा
जा
सकता
है।
कुछ
अवाॅर्ड्स
अखंडता
का
प्रतिक
है
,
बहुत
और
भी
बेहतरीन
टैलेंटेड
कलाकारों
को
अवाॅर्ड्स
से
वंचित
रहना
पड़ता
है
उन्हें
अवाॅर्ड्स
नहीं
मिलते
है
,
हमे
अवाॅर्ड्स
मिलने
को
एक
अलग
परिप्रेक्ष्य
नजरों
से
भी
देखना
है।
निर्देशन की बाग डोर संभालने को कैसे देखती है?
डायरेक्शन
कोई
एक
तरह
से
वर्जित
नहीं
है
,
मेरे
लिए
निर्देशन
चैलेजिंग
है
,
रेवर्डिंग
पुरुस्कृत
हाँ
,
कभी
-
कभी
निराश
भी
होना
पड़ता
है
,
पर
कई
बारी
बहुत
सार्थक
भी
महसूस
होता
है
,
बहुत
हार्ड
वर्क
करना
होता
है
,
ढेर
सारा
प्रयास
जाता
है।
इसको
ढंग
से
आगे
बढ़ाने
हेतु
,
आत्मनिरक्षण
की
भी
आवश्यकता
है
बतौर
निर्देशक
,
जिस
तरह
लाइफ
इतनी
सरल
नहीं
होती
उसी
तरह
निर्देशन
में
भी
अलग
-
अलग
कहानी
एवं
फिल्म
क्षेत्र
में
सब
कुछ
सही
बैठना
चाहिए।
अपनी पिछली फिल्म निर्देशित करते समय किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा होगा आपको?
जी
बहुत
बारी
मुझे
चिढ़
भी
महसूस
हुई
थी
वैसे
क्या
कुछ
ऊपर
नीचे
हुआ
फिलहाल
याद
नहीं
है
मुझे
,
छोटे
शहर
में
शूटिंग
करते
हुए
कुछ
चीज
समय
पर
नहीं
मिली
,
सीन्स
की
कंटीन्यूटी
में
भी
थोड़ी
बहुत
मुश्किलों
का
सामना
करना
पड़ा।
आधारिक
संरचना
भी
छोटे
शहर
में
मिलना
मुश्किल
हो
रहा
था
,
पर
यह
सब
निर्देशन
करते
हुए
कोई
भी
फिल्म
में
प्राॅब्लम्स
तो
आती
है।
ऐसे
समय
में
हमें
खुले
मन
और
दिमाग
से
काम
करना
होता
है
,
हर
चीज
से
कोम्प्रोमाईज
करते
हुए
एक
चीज
नहीं
मिलने
पर
दूसरी
चीज
से
संतुष्ट
रहकर
इम्प्रोवाइज
करके
काम
करना
चाहिए।
महत्वपूर्ण
चीज
को
सही
ढंग
से
पूर्ण
करना
चाहिए
यह
भी
एक
बहुत
बड़ा
चैलेंज
हटा
है।
बतौर अभिनेत्री या निर्देशिका आप क्या पसंद करती है?
ऐसा
नहीं
है
की
मेरी
पसंद
क्या
है
,
दोनों
ही
काम
मुझे
बेहद
पसंद
है
,
जब
मै
छोटी
थी
तब
मुझे
एक्टिंग
करना
बिल्कुल
भी
पसंद
नहीं
था
,
बस
मुझे
यही
लगता
मै
अभिनय
कर
पाऊँगी।
मैं
हमेशा
यही
सोचती
कि
कुछ
और
करना
होगा
,
किंतु
अब
मुझे
एक्टिंग
करना
बेहद
पसंद
है
,
और
एन्जॉय
भी
करती
हूँ
,
पहले
बिना
सोचे
समझे
एक्टिंग
में
उतर
गई
थी।
एक्टिंग
तो
पसंद
है
मुझे
डायरेक्शन
के
कुछ
अंश
भी
बेहद
पसंद
है
,
खास
तौर
से
देखा
जाए
तो
मैं
अभिनेत्री
ही
मानती
हूँ
!
यदि आपको एक्टिंग और डायरेक्शन में से कोई एक चूज करना हो तो आप किसे चुनेंगी?
यह
तो
समय
और
परिस्तिथि
पर
निर्भर
होगा
उस
वक्त
क्या
प्रोजेक्ट
है
,
यह
भी
महत्वपूर्ण
होता
है
,
वैसे
डायरेक्शन
करते
समय
अपने
किरदार
के
लिए
आप
भगवान
होते
है।
वैसे
कहानी
और
किस
तरह
से
मेरा
इन्वॉल्वमेंट
होगा
उस
समय
की
मैं
बतौर
निर्देशिका
उस
कहने
को
आगे
ले
जाने
का
मन
बना
लूँ
यह
तभी
देखना
होगा
,
हंस
कर
आगे
बोली
, ‘
सवाल
बहुत
ही
अनुचित
सवाल
है।
आपकी आने वाली फिल्में बतौर अभिनेत्री, निर्देशिका कौन-कौन सी है?
बतौर
निर्देशिका
फिलहाल
तो
मेरे
हाथ
में
कोई
भी
कुछ
कहना
नहीं
है
,
और
कोई
फिल्म
भी
नहीं
है
!
आगे
देखा
जाएगा
,
अगर
मुझे
कुछ
अच्छा
मिलता
होगा
तो।
हाँ
बतौर
अभिनेत्री
मेरी
फिल्म
‘
रामप्रसाद
की
तेहरवीं
’
है
,
निखिल
आडवाणी
की
एक
वेब
सीरीज
भी
है
, ‘
मुंबई
डायरीज
’
नीरज
धवन
की
एक
माइथोलॉजी
फिल्म
बतौर
अभिनेत्री
है
और
भी
कुछ
प्रोजेक्ट्स
है
,
लेकिन
अभी
बतौर
डायरेक्टर
मेरे
पास
कुछ
भी
नहीं
है।