हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

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By Siddharth Arora 'Sahar'
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हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

दोस्तों आज तक आपने एक बार में किसी एक सेलेब का ही इंटरव्यू सुना और पढ़ा होगा लेकिन हम आपके लिए आज एक इंटरव्यू में डबल सेलेबस लेकर आए हैं. हॉस्टल डेज़ सीजन वन की कामयाबी के बाद हॉस्टल डेज़ सीजन2अमेज़नप्राइम पर रिलीज़केलिए तैयार हो चुका है. इसी सिलसिले में सीरीज़ की लीड एक्ट्रेसेज़ अहसान चन्ना और आयुषी गुप्ता से एक साथ हुई बातचीत कामुख्य अंश पेश है –सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’

हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

अहसासऔर आयुषी मैंसिद्धार्थ आप दोनों का मायापुरी इंटरव्यू में स्वागत करता हूँ, सबसे पहले मुझे बताइए कि हॉस्टल डेज़ के दुसरे सीज़न में ऐसा क्या ख़ास है जो पहले सीज़न से बेहतर कहलाया जा सकता है?

अहसास: हेल्लो सिद्धार्थ, इस बार सबसे अच्छी बात ये है कि हर करैक्टरएक्स्प्लोर किया गया है. पिछले सीज़नमें ये था कि हाँ आकांक्षा सुन्दर लड़की है, लड़के उसके प्रति एट्रक्ट होते हैं, उसे पसंद करते हैं लेकिन इस बार पता चलेगा कि आकांक्षा वास्तव में कैसी है. इस बार मेरा करैक्टर आकांक्षा ही नहीं बल्कि सभी करैक्टर, जैसे आयुषी का करैक्टर है नेबोमिता, वो भी बहुत अच्छे से प्रेजेंट हुआ है.

आयुषी: जैसा की अहसास ने बताया, इस बार आपको नेबोमिता का करैक्टर बेहतर समझने को मिलेगा. हाँ वो अंकित से प्यार करती है, लेकिन फिर क्या? उसकी अपनी पर्सनालिटी क्या है? और इस बार का सीजन पिछले के मुकाबले ज्यादा फनी भी है. इस बार डबल जोक्स हैं, ट्रिपल ह्यूमर है और साथ साथ नेबोमिता का एक ह्यूमन पार्ट भी है.

हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

आप दोनों को अपना अपना करैक्टर प्ले करने में कितनी प्रिप्रेशन करनी पड़ी? क्या आप कभी हॉस्टल में रही हैं?

आयुषी: मैं हॉस्टल तो नहींरही हूँ,मैं इंजीनियरिंग कॉलेज में थी तो वहाँ बहुत से दोस्त हॉस्टल में रहते थे तो उनसे मिलना, उनको ओब्सर्व करती थी. फिरइस शो में सबके साथ बैठना और वर्कशॉप करना बहुत ज़रूरी था. जो हमने की. बहुतमज़ा आता था साथ काम करने में, क्योंकि ये दोस्तों पर बेस्ड है, इसलिए सबकी दोस्ती का बांड दिखना बहुत ज़रूरी था. इसलिए हमने सबने ही बहुत अच्छी प्रिप्रेशन की थी.

हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

अहसास: मैं भी कभी हॉस्टलनहीं रही हूँ लेकिन मेरी बहन ज़रूर हॉस्टल में रही है और उसने मुझे बहुत बहुत कुछ बताया था कि किस तरह हॉस्टल डेज़ वो लोग एन्जॉय करते थे. मैंने जैसा पहले भी बताया कि मेरा करैक्टर इस बार बहुत एक्सप्लोर हुआ है. ऐसा लगता है कि ये कोई नई आकांक्षा आई है. इसकेलिए राइटिंग पर काम करना बहुत ज़रूरी था. हमारी राइटिंग टीम बहुत अच्छी है, हमनेबहुत अच्छे से अपना करैक्टर पढ़ा और फिर वर्कशॉप्स भी कीं.

 सेटपर माहौल कैसा होता था? येदोस्ती पर बेस्ड शो है तो ज़ाहिर है कुछ प्रैंक्स भी होते होंगे?

अहसास(हँसते हुए): इसके बारे में तो आपको आयुषी ही बतायेंगी, प्रैंक्स तो बस पूछिए मत इतने होते थे, सेट का माहौल बहुत ही लाइट बहुत फ्रेंडली होता था. कोई सीन मुश्किल भी होता थातो हम सब उसपर डिस्कशन करते थे. पिछले सीज़न में राघव सर और इस बार आमिर सर बहुत अच्छे से अपना काम समझते हैं. उनके साथ काम करना बहुत इंटरेस्टिंग रहा

आयुषी: माहौलके बारे में तोअहसास ने आपको बताया ही, प्रैंक्स का तो ये हिसाब था कि बस, फर्स्ट डे होटल में लव, जिन्होंने चिराग का करैक्टर प्ले किया है. उनका दरवाज़ा खुला था और आदर्श-शुभम ने जाकर उनका लगेज गायब कर दिया. अब लव बिचारा 3 घंटे तकअपना लगेज ढूँढता रहा. उसके पास चप्पल भी नहीं थी. नंगे पैर ही घूमता रहा. फिर जब CCTV देखने की बात हुई तब जाकर उन्होंने बताया. इस प्रैंक में मैं भी फंस गयी क्योंकि मुझे लगाकि वाकई उसका लगेज मिस हो गया है तो मैं भी साथ साथ ढूढने में लगी रही.

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निखिलविजय के साथ काम करना कैसा रहा? जैसे वो पर्दे पर हमेशा फुल ऑफ़ सेन्स ऑफ़ ह्यूमर नजर आते हैं, क्यासेट के अलावा भी वैसे ही हैं?

अहसास: निखिल ऑफ सेट इतना लाउड नहीं है. वो बहुत इंट्रोवर्ट है. ज्यादा बात करनी पसंद नहीं करता. हाँ, उसका सेन्स ऑफ़ ह्यूमर बहुत सही है. एज़ अ पर्सन भी वो बहुत अच्छा है.

आयुषी: निखिल की कॉमिक टाइमिंग बहुत अच्छी है. एक्चुअली इस सीज़न में सभी का संस ऑफ़ ह्यूमर गजब है. कोई किसी से कम नहीं है. हाँ निखिल की एक ये क्वालिटी भी है कि वो चाहें जितना ही इंट्रोवर्टपर एक बार कैमरा ऑन होते ही वो स्विच ऑन हो जाता है और सेट पर बहुत अच्छे इम्प्रोवाइज़ कर लेता है. उसके साथ काम करना मज़ेदार रहा.

हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

आजकल वेब सीरीज़ में एक्चुअल सीन बनाने के नाम पर बहुत अब्युसिव वर्ड्स, गालियाँ भर दी जाती हैं, तो क्या इसमें भी ऐसा है? दूसरा, क्या इससे यूथ की भाषा पर असर नहीं पड़ता?

आयुषी: मुझे लगता है कि ये होता ही है कि कॉलेज में थोड़ी बहुत गालियाँ होती ही हैं. ऐसा कहना गलत है कि ये जानबूझकर ऐसा डालते हैं, ऐसा होता ही है. ये रियलिटी है. मुझे लगता है कि करैक्टर को ग्लोरिफाई नहीं किया जाए, जो कि हमारे शो में बिल्कुल नहीं किया गया है. वो जैसे हैं वैसे दिखाए हैं.

अहसास: मैं भी यही बात कहूँगी कि ये ज़बरदस्ती नहीं किया जाता. दो दोस्त हैं अब वो आपस में ऐसे ही बात करते हैं. बॉयज़ हॉस्टल में तो बहुत ज्यादा होती हैं. आप दीवारे देख लीजिए, वहाँ भी लिखी होती हैं. भाषापर असर पड़ना तो देखिए कहीं से भी हो सकता है. इसमें किसी हिट कंटेंट को कहना ठीक नहीं, मैं हॉस्टल डेज़ की बात करूँ यहाँ कुछ भी ज़बरदस्ती दिखाने की कोशिश नहीं की है. फिर हम सब जानते ही हैं कि हॉस्टल की भाषा कैसी होती है, वहाँ बच्चे किस तरह बात करते हैं. मेरे बहुत से दोस्त हैं जो बिल्कुल भी गाली नहीं देते, उन्हें कोई शो देखने से कोई फ़र्क नहीं पड़ता. और आप कुछ ऐसे लोगोंको भी जानते होंगे जो कोई शो नहीं देखते और फिर भी गालियाँ देते रहते हैं.

हॉस्टलमें जिस तरह से दोस्त यार बात करते हैं, ठीक वैसे ही हमने इस वेब सीरीज में बात की है – अहसास और आयुषी

अब आप वनलाइन में बताइए कि सीज़न टूक्यों देखना चाहिए सबको?

अहसास: ये शो बहुत फनी है, बहुत ह्यूमरस है, आप इसलिए देखिये कि आप खुल के हँस सकें, एन्जॉय कर सकें
आयुषी: और नोस्टेल्जिया में जीने के लिए देखिये, आपको अपने कॉलेज डेज़ याद आ जायेंगे

मायापुरी मैगज़ीन के लिए समय देने हेतु आपका बहुतबहुत धन्यवाद

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