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थिएटर
हो
या
फिल्म
हो
या
वेब
सीरीज
ने
हर
माध्यम
पर
अपनी
अभिनय
प्रतिभा
के
बल
पर
काफी
षोहरत
बटोरी
है।
अब
वह
सिर्फ
अभिनय
ही
नहीं
बल्कि
संगीत
यानी
कि
गायन
के
क्षेत्र
में
भी
किस्मत
आजमा
चुकी
हैं।
तो
वहीं
वह
एक
लघु
फिल्म
का
निर्माण
व
निर्देषन
कर
चुकी
हैं।
शांति स्वरूप
त्रिपाठी
इन
दिनों
वह
एक
किताब
लिखने
के
अलावा
एक
फीचर
फिल्म
की
पटकथा
भी
लिख
रही
हैं।
तो
वहीं
दक्षिण
भारत
की
सर्वाधिक
लोकप्रिय
रही
अभिनेत्री
षकीला
के
जीवन
पर
बनी
इंद्रजीत
लंकेष
की
बोल्ड
फिल्म
‘‘शकीला
’’
में
अभिनय
कर
उत्साहित
हैं।
जोे
कि
25
दिसंबर
को
सिनेमाघरों में
रिलीज
हो
रही
है।
/mayapuri/media/post_attachments/72d58fc066e333e00bfe4a664bb5edd62cf17f13aa191535caecd9d54e212c42.jpg)
प्रस्तुत है ऋचा चड्ढा से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष
लाॅकडाउन कैसा गुजरा?
लाॅक
डाउन
अभी
तक
खत्म
नही
हुआ
है।
यह
वर्ष
निकल
जाए
,
तो
अगला
वर्ष
ठीक
हो
जाएगा।
मेरी
राय
में
कोरोना
की
बीमारी
तो
ठीक
होनी
है
,
कुछ
वक्त
और
लग
सकता
है।मगर
मेरी
चिंताएं
दूसरी
हैं
,
जिनसे
हम
सभी
व
पूरा
विष्व
परेषान
है
.
जो
कुछ
गड़बड़
हो
रहा
है
,
वह
सुधर
जाए।
पूरे
विष्व
की
आथ्र्रिक
व्यवस्था
सही
हो
जाए।
भारत
में
हम
लोग
इंवायरमेंटल
संकट
को
गंभीरता
से
नही
ले
रहे हैं
,
इस
पर
सोचना
होगा।
पर्यावरण
को
सही
करने
लिए
कदम
उठाने
अत्यावष्यक
है।
षायद
आपको
पता
होगा
कि
एक
दिन
भी
तापमान
बढ़ने
पर
तीन
लाख
लोगों
की
मौत
हो
जाती
है।
इस
पर
कोई
ध्यान
नहीं
दे
रहा
,
हम
लोग
बेवजह
के
मुद्दों
पर
अटके
हुए
हैं।
मैं
चाहती
हूॅं
कि
अगले
वर्ष
हम
लोग
प्राथमिकता
के
आधार
पर
इसमें
सुधार
करें।
दूसरी
बात
देष
की
आथ्र्रिक
व्यवस्था
थोड़ी
बेहतर
हो
जाएगी
,
तो
हम
सभी
के
लिए
अच्छा
रहेगा।
यह
सुनकर
बहुत
तकलीफ
हो
रही
है
कि
कितने
लोगों
की
नौकरी
चली
गयी।
कितनी
अखबार
,
पत्रिकाएं
बंद
हो
गयी।
यह
काफी
मुष्किल
समय
है।
इस
मुष्किल
समय में
लोग
दिमागी
तौर
पर
भी
काफी
परेषान
हैं
हम
चाहते हैं
कि
ऐसा
वातावरण
बने
कि
लोगों
को
दिमागी
सकून
मिले।
सोषल मीडिया पर मुद्दों को उठाने से फायदा होता है?
जी
हां
!
होता
है।
कुछ
दिन
पहले
सोषल
मीडिया
पर
एक
वीडियो
आया
था
,
जिसमें
एक
पुरूष
कुत्ते
की
पिटायी
कर
रहा
है।
इस
वीडियो
से
उस
पुरूष
की
बदनामी
हुई
और
पुलिस
की
भी
पकड़
में
आया।
सोषल
मीडिया
न
होता
,
तो
षायद
वह
पकड़ा
न
जाता।
लाॅकडाउन के दिनों में आपने क्या किया?
हमने
भी
अपने
घर
पर
रहकर
बर्तन
धोने
,
खाना
पकाने
से
लेकर
हर
काम
किए
.
कुछ
नए
व्यंजन
बनाना
सीखा
.
बीच
में
समय
मिला
,
तो
वच्र्युअल
फिल्म
कर
ली।
कुछ
किताबें
पढ़ीं।
कुछ
लिख
लिया।
अपनी
किताब
पर
भी
कुछ
काम
किया।
पर
किताब
पूरी
नही
हुई
है।
अपनी बिल्लियों
के
संग
समय
बिताया।
कुछ लघु फिल्में भी लिखी हैं?
एक
लघु
फिल्म
की
स्क्रिप्ट
का
पहला
ड्राफ्ट
पूरा
कर
लिया
है।
पर
अंतिम
रूप
देना
बाकी
है।
/mayapuri/media/post_attachments/f93e6e3c6b1d301f09de75e867149eb5ca0b44aa38de1bcca4f1caf2f289a205.jpg)
कोरोना महामारी का फिल्म इंडस्ट्री पर किस तरह का असर देख रही हैं?
इसका
सबसे
बड़ा
असर
तो
सिनेमाघरों
पर
पड़ा
है।
दर्षक
सिनेमाघर
नही
जा
रहे
हैं।
सभी
को
वैक्सीन
के
आने
का
इंतजार
है
,
मगर
पता
नही
कब
तक
वैक्सीन
आएगी
और
कब
दर्षकों
के
मन
का
डर
खत्म
होगा।
इस
संकट
की
घड़ी
ने
हम
सभी
को
सबसे
बडा
सबक
यह
दिया
कि
किसी
भी
चीज
को
तुरंत
रिजेक्ट
नहीं
करना
चाहिए।
मसलन
,
जब
ओटीटी
प्लेटफार्म
षुरू
हुए
,
तो
बहुत
सारे
लोगों
ने
रिजेक्ट
कर
दिया
था।
जबकि
मैने
सबसे
पहले
‘
इनसाइड
एज
’
जैसी
वेब
सीरीज
की
थी
,
जो
कि
भारत
की
पहली
वेब
सीरीज
थी
खैर
,
अब
संकट
आते
ही
सभी
बड़े
कलाकार
ओटीटी
प्लेटफार्म
से
जुड़
रहे
हैं।
आप मान रही हैं कि सिनेमाघर के हालात सही नही है। लोग सिनेमा देखने के लिए सिनेमाघर जाने से डर रहे हैं। इसके बावजूद आपकी फिल्म ‘षकीला’ 25 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है?
देखिए
,
सर
किसी
भी
फिल्म
को
रिलीज
करना
मेरे
हाथ
में
नहीं
हैं।
यह
निर्माता
का
निर्णय
है।
मगर
मैं
निर्माता
की
मजबूरी
समझ
रही
हूँ।
पहले
यह
फिल्म
मार्च
माह
मे
रिलीज
होने
वाली
थी
,
मगर
कोरोना
महामारी
व
लाॅक
डाउन
की
वजह
से
नहीं
हो
पायी।
अब
यह
फिल्म
इस
वर्ष
के
अंतिम
षुक्रवार
, 25
दिसंबर
को
आ
रही
है।
मुझे
उम्मीद
है
कि
दर्षक
इस
फिल्म
को
देखने
जाएंगे।
यह
फिल्म
हिंदी
सहित
पाॅंच
भाषाओं
में
रिलीज
हो
रही
है।
इसके
रिलीज
का
निर्णय
दक्षिण
भारत
के
ददर्षकों
को
ध्यान
में
रखकर
भी
लिया
गया
है।
देखिए
,
षकीला
तमिल
व
मलयालम
भाषा
के
सिनेमा
की
बहुत
बड़ी
स्टार
रही
हैं।
दक्षिण
भारत
में
षकीला
के
चाहने
वाले
काफी
हैं।
मैं
अपनी
तरफ
से
हर
दर्षक
से
यही
कहना
चाहूॅंगी
कि
वह
सिनेमा
देखने
जाएं
,
मगर
अपनी
सुरक्षा
का
पूरा
ख्याल
रखें।
मास्क
का
उपयोग
करें
मैं
भी
दो
दिन
पहले
‘
टेनेट
’
देखने
सिनेमाघर
गयी
थी।
सिनेमाघर
को
सेनीटाइज
किया
गया
था।
हमने
मास्क
लगा
रखे
थे।
खाद्य
पदार्थ
पर
प्रतिबंध
था।
जहाँ
तक
फिल्म
की
सफलता
व
असफलता
का
सवाल
है
,
तो
इसकी
कई
वजहें
होती
हैं।
अभी
महामारी
चल
रही
है
,
इसलिए
हम
बहुत
ज्यादा
उम्मीद
नहीं
लगा
सकते
कि
ज्यादा
से
ज्यादा
दर्षक
सिनेमाघर
के
अंदर
जाएंगे।
मैं
तो
कहॅूंगी
कि
दर्षक
पहले
अपनी
सुरक्षा
का
चिंता
करे।
पर
सवाल
यह
भी
है
कि
हम
कब
तक
सिनेमाघर
के
अंदर
नहीं
जाएंगे।
कोरोना
का
समूल
खात्मा
कब
होगा
,
कोई
निष्चित
तौर
पर
नहीं
कह
सकता।
वैक्सीन
कब
आएगी
और
कितना
कारगर
होगी
,
इस
संबंध में
भी
अभी
दावे
नही
किए
जा
सकते।
ऐसे
में
दर्षक
धीरे
धीरे
सिनेमाघर
की
तरफ
बढ़
रहा
है
,
पर
पूरे
सुरक्षा
इंतजामों
के
साथ।
/mayapuri/media/post_attachments/6d1f3c5846f4be9c8b35ceb61d09f9aff04b52300e53cf860ed19ce9a8bca005.jpg)
षकीला को लेकर कई तरह की कहानियाँ हमने व लोगों ने सुन रखी हैं। आपके अनुसार षकीला क्या है?
मेरी
नजर
में
षकीला
एक
बहुत
ही
ज्यादा
रोचक
औरत
है।
षकीला
ऐसी
औरत
हैं
,
जिनका
उनके
अपने
परिवार
ने
पहले
इस्तेमाल
किया
,
फिर
बहिस्कार
भी
किया।
षकीला
के
परिवार
के
लोगो
ने
ही
उनके
पैसे
हड़प
कर
उन्हे
कंगाल
बना
दिया।
कहने
का
अर्थ
यह
कि
उनकी
जिंदगी
किसी
भी
समय
अच्छी
नहीं
रही।
उन्होने
हर
तरह
से
दूसरों
की
मदद
की
,
मगर
हर
किसी
ने
उनका
सिर्फ
षोषण
किया
,
उन्हे
परेषानी
ही
दी।
मुझे उनमे
यह
बात
बहुत
अच्छी
लगी
कि
सब
कुछ
होने
के
बावजूद
उनके
अंदर
किसी
के
भी
प्रति
नफरत
की
भावना
नही
है।
उन्होनेे
हर
किसी
को
माफ
किया
हुआ
है।
इस
फिल्म
की
षूटिंग
षुरू
करने
से
पहले
मैं
उनसे
कई
बार
मिली
थी
.
उनसे
मैने
काफी
बातें
की
थी।
हम
वर्तमान
युग
में
कुछ
भी
ट्वीट
करने
से
पहले
दस
बार
सोचते
हैं।
मगर
षकीला
ने
नब्बे
के
दषक
में
कई
दिग्गज
कलाकार
के
सामने
आवाज
उठाने
से
पहले
नहीं
सोचा
था।
इस
फिल्म
में
पंकज
त्रिपाठी
एक
सुपर
स्टार
के
किरदार में
हैं।
जो
जितना
षरीफ है
,
उतना
ही
गंदे
इंसान
हैं।
उनका
किरदार
ऐसा
है,
वह
हमेषा
कहते
हैं
कि
मैं
पारिवारिक
इंसान
हूं
और
पारिवारिक
फिल्में
करता
हूं
,
मगर
जैसे
ही
कोई
लड़की
उनसे
मिलने
वैनिटी
वैन
में पहुँचती
है
,
उनका
अलग
रूप
सामने
आ
जाता
है।
वह
कहते
हैं
-‘
हम
आउट
डोर
पर
जा
रहे
हैं
,
आप
मम्मी
को
हमसे
मिलवाइए।
’
तो
जो
एक
पाखंड
है
,
वह
उनके
किरदार
में
है।
देखिए
,
हमने
इस
फिल्म में
सब
कुछ
साफ
साफ
सीधे
कहा
है
,
हमने
कहीं
भी
आर्ट
सिनेमा
की
तरह घुमाकर
बात
नही
की
,
उम्मीद
है
कि
दर्षक
भी
समझ
सकेंगें।
आप
जानते
हैं
कि
मैंने
व
पंकज
सर
ने
पहले
फिल्म
‘
मसान
’
एक
साथ
की
थी।
उसके
बाद
हम
दोनो
‘
षकीला
’
में
नजर
आएंगे।
हम
दोनो
ने
कला
और
कमर्षियल
दोनो
तरह
का
सिनेमा
किया
है।
इसीलिए
हमने
‘
षकीला
’
में
सीधे
संदेष
दे
दिया
है।
कि
, ‘
अगर
तुम
इस
औरत
को
देखते
हो
,
तुम
सभी
उसी
की
तरह
हो।
तुम्हे
अपने
आप
से
सवाल
पूछना
चाहिए।
षकीला की कहानी में आपको क्या खासियत नजर आयी?
षकीला
की
कहानी
में
सबसे
बड़ी
बात
यह
है
कि
वह
एक
मोटी
औरत
है।
कट्टर
मुसलमान
है।
पूरी
जिंदगी
बुरखा
पहनकर
घूमती
रही।
फिल्मों
में
अभिनय
करने
के
लिए
उसने
बाॅडी
डबल
रखा
हुआ
था।
हर
फिल्म
में
उसने
बाॅडी
डबल
से
सारे
दृष्य
करवाए
और
खुद
आराम
से
सड़क
पर
घूमती
थी।
सब्जी
खरीदती
थी।
उसकी
सबसे
बड़ी
खासियत
यह
थी
कि
उसने
पुरूष
प्रधान
फिल्म इंडस्ट्री
में
अपनी
एक
अलग
जगह
बनायी।
उसने
दक्षिण
के
कई
सुपर
स्टार
का
कद
घटाया।
कहा जाता है कि दक्षिण के कई सुपरस्टारों ने षकीला को दबाने का भरसक प्रयास किया था?
आप
सही
कह
रहे
हैं।
कई
कलाकारों
ने
उसे
दबाने
की
हर
संभव
कोषिष
की
और
वह
दब
गयी।
वह
इन
कलाकारों
से
नही
डरी
,
पर
जब
उस
पर
बैन
लगवाया
गया
,
तो
उसने
उन
निर्माताओं
के
पैसे
लौटा
दिए
,
जिन्होंने
उसे
अपनी
फिल्मों
के
लिए
साइन
किया
था।
वह
आज
भी
खुष
है।
अकेली
रहती
है।
वह
आज
भी
केरला
में
अपने
पिताजी
के
गांव
वाले
घर
में
रहती
है।
तो
यह
उस
तरह
की
बायोपिक
नही
है
,
जहां
किसी
को
महान
दिखाना
हो।
मेरे
कहने
का
अर्थ
यह
नही
है
कि
षकीला
महान
नही
है।
षकीला
अपने
आप
में
बहुत
महान हैं
।
देखिए
,
उसे
पता
था
कि
उसके
घर
का
माहौल
व
मजबूरी
के
चलते
उसकी माँ
ने
उसे
जबरन
अभिनय
के
क्षेत्र
में
धकेला
है।
तो
उसने
उसका
रास्ता
निकाला
और
अपनी
बाॅडी
डबल
से
काम
करवाया।
दोनों
बहनों
की
तरह
एक
साथ
रहती
थीं।
जब
उसे
तंग
किया
गया
,
तो
उसने वहां
के
सुपर
स्टार
को
भी
टक्कर
दी।
देखिए
होता
यह
है
कि
किसी
भी
बड़े
इंसान
की
कोई
बात
सामने
आती
नही
है।
इसलिए
मुझे
खुषी
है
कि
षकीला
पर
फिल्म
बन
रही
है।
मैंने
इसीलिए
फिल्म
में
काम
करना
स्वीकार
किया।
चर्चाएं है कि फिल्म ‘षकीला’ में सेक्स की बहुतायत होगी? यह एक अति बोल्ड फिल्म है?
इस
फिल्म
में
सेक्स
बिल्कुल
नही
है।
षकीला
पूरी
तरह
से
नारीवादी
महिला
हैं।
वह
पुरूषों
को
बड़ी
षांति
से
समझा
देती
थी
कि
हमारा
अपना
हक
है
,
जिसे
कोई
छीन
नहीं
सकता।
इस
फिल्म
में
षकीला
की
टीनएजर
उम्र
से
उसके
इंडस्ट्री
छोड़ने
तक
की
यात्रा
है।
षकीला
ने
16
साल
की
उम्र
में
फिल्मो
मे
कदम
रखा
था
और
कई
एडल्ट
फिल्मों
में
अभिनय
किया
था।
षकीला में खुद को ढालने के लिए किस तरह के बदलाव करने पड़े?
बहुत
तैयारी
की।
मेरी
तोंद
निकली
हुई
है।
तीस
से
चालिस
किलो
वजन
बढ़ाया
है।
षरीर
के
उपरी
हिस्से
में
भी
वजन
बढ़ाना
पड़ा।
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फिल्म ‘षकीला’ में कल्पना कितनी है?
कुछ
भी
नही
है।
षकीला
अभी
जीवित
है।
वह
अभी
भी
ज्यूनियर
आर्टिस्ट
के
तौर
पर
अभिनय
कर
रही
हैं।
इसलिए
हम इसमे
कुछ
बदलाव
नहीं
कर
सकते
थे।
आप
मान
लें
कि
षकीला
जी
ने
अपनी
कहानी
लिखी
है
,
जिसे
हमने
ज्यों
का
त्यों
परदे
पर
उतार
दिया
है।
उन्होने
हमसे
जो
बातें
की
,
उसे
भी
फिल्म
में
दिखाने
की
कोषिष
की।
जो शकीला के साथ हुआ वह आपको लगता है कि हर फिल्म इंडस्ट्री में होता है? चाहे वह बॉलीवुड हो या हॉलीवुड?
अभी
तो
ऐसा
नही
हो
रहा
है।
पर
यह
कहानी
1990
के
दशक
की
मलयालम
और
तमिल
इंडस्ट्री
की
कहानी
है।
जहां
तक
मेरा
अनुभव
है
,
अब
चीजें
बहुत
ज्यादा
बदल
गई
हैं।
इस
तरह
की
बात
या
व्यवहार
मेरे
साथ
कोई
हिम्मत
नहीं
करेगा।
अब
वह
दौर
बदल
गया
है।
अब
फिल्म
इंडस्ट्री
में
औरतें
ज्यादा
आगे
आ
गई
हैं।
हर
निर्माता
-
निर्देशक
इसे
समझता
है।
‘
मी
टू
मूवमेंट
’
के
बाद
तो
ऐसा
लगता
है
कि
कोई
भी
इंसान
कुछ
भी
करने
से
पहले
दस
बार
सोचेगा
जरूर।
जब आप षकीला से मिली, उनसे बातचीत की, उनकी किस बात ने आपको प्रेरित किया?
जिंदगी
के
प्रति
उनका
जो
नजरिया
है
,
उसने
मुझे
सच
में
बहुत
ज्यादा
प्रेरित
किया।
वह
स्वयं
तकलीफ
में
हैं
,
पर
उन्होंने
कभी
भी
किसी
के
लिए
अपने
दिल
में
कोई
मलाल
नहीं
रखा।
यह
बात
मुझे
काफी
अच्छी
लगी।
फिल्म ‘षकीला’ के निर्देषक इंद्रजीत लंकेष को लेकर क्या अनुभव रहे?
अच्छे
अनुभव
रहे।
हमने
अच्छे
माहौल
में
फिल्म
पूरी
की।
आपने अमेजाॅन प्राइम की एंथोलाॅजी फिल्म ‘अनपाॅज्ड’ की लघु फिल्म में काम किया?
जी
हाॅ
!
निखिल
अडवाणी
के
साथ
काम
करने
की
इच्छा
थी।
इसलिए
मैने
यह
देखकर
नहीं
किया
कि
यह
छोटी
फिल्म
है।
मैंने
सोचा
कि
बड़े
निर्देषक
एक
कलाकार
के
साथ
पहले
छेाटी
फिल्म
करके
अनुभव
लेना
चाहते
हैं।
तो
मैने
किया
और
मुझे
अच्छा
लगा।
यह
फिल्म
एक
संदेष
परक
है।
यह
फिल्म
औरत
को
उनकी
आंतरिक
षक्ति
की
ताकत
का
अहसास
कराती
है।
आपके लिए फिल्म की सफलता या असफलता क्या अर्थ रखती है?
सफलता
तो
हर
इंसान
को
प्यारी
होती
है।
मुझे
भी
है।
सफलता
से
चेहरे
पर
ख्ुाषी
का
भाव
उभरता
है।
चेहरे
पर
एक
अजीब
सी
चमक
आ
जाती
है।
बाॅलीवुड
मंे
तो
सफलता
बहुत
मायने
रखती
है।
बाॅलीवुड
में
हर
षुक्रवार
कलाकार
की
तकदीर
बदलती
है।
बाॅलीवुड
में
फिल्म
को
बाॅक्स
आॅफिस
पर
मिली
सफलता
के
साथ
ही
कलाकार
की
अभिनय
क्षमता
का
पैमाना
जुड़ा
हुआ
है।
पर
मेरे
लिए
सबसे
बड़ी
सफलता
तो
दर्षकों
का
प्यार
है।
फिल्म
की
सफलता
से
मेरी
निजी
जिंदगी
में
बदलाव
न
आया
है
और
न
ही
आएगा।
फिल्म चयन में किसे प्रमुखता देती हैं?
मैं
हमेषा
चुनिंदा
काम
ही
करना
चाहती
हूं।
मैं
हमेषा
उन
किरदारों
को
निभाना
चाहती
हॅूं
,
जिन्हें
निभाते
हुए
एक
कलाकार
के
रूप
में
मैं
अपने
आपको
विकसित
कर
सकूं
और
उन
किरदारों
के
साथ
दर्षक
भी
खुद
को
जुड़ा
हुआ
महसूस
कर
सकें।
सच
कहती
हॅूं
मुझे
पैसा
कमाने
की
जल्दबाजी
नही
हैं।
मैं
धीरे
धीरे
आगे
बढ़ना
चाहती
हूं।
एक
फिल्म
की
सफलता
के
बाद
आनन
फानन
में
दस
बीस
फिल्में
साइन
कर
लेना
मेरी
फितरत
नही
हैं।
नया क्या कर रही हैं?
नया
तो
काफी
कुछ
कर
रही
हूं
.
धीरे
धीरे
आएगा
.
दो
वेबसीरीज
की
हैं
.
दो
फिल्में
साइन
की।
एक
फिल्म
‘
मैडम
की
मिनिस्टर
’
की
है
अनुभव
सिन्हा
की
एक
फिल्म
‘
पार्टी
तो
अभी
षुरू
हुई
है
’
की
है
,
देखना
है
कि
यह
फिल्म
कब
रिलीज
होती
है।
आपने एक वेब फिल्म ‘लंदन कंफीडेषियल की हैं?
जी
हाॅ
!
लाॅकडाउन
में
थोड़ी
सी
छूट
मिलने
पर
मैंने
सबसे
पहले
इस
फिल्म
की
ष्ूाटिंग
की।
यह
स्पाई
फिल्म
है
,
जो
कि
ओटीटी
प्लेटफार्म
‘
जी
5’
पर
आएगी।
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