सवाल - आपने बचपन में लोटपोट मैगज़ीन पढ़ी होगी, क्या अनुभव रहा आपका?
जवाब - मैंने बहुत ज़्यादा पढ़ी है हद से ज़्यादा पढ़ी है. लोटपोट मैगज़ीन जब भी आती थी तो घर नहीं आती थी, पापा के ऑफिस में आती थी तो ऑफिस जाने का आधे से ज़्यादा एक्ससाइटमेंट ही ये होती थी कि हम जाए और मोटू पतलू की कहानियां पढ़े. उसके चुटकले इतने अच्छे होते थे और हम इतना हस्ते थे.
सवाल - अभी आपके कोई और रिश्तेदारी में पड़ता है?
जवाब - जी हाँ, मेरे जो भांजे हैं, वो बहुत बड़े फैन है मोटू पतलू के तो वो अमेरिका में रहते हैं और उनके आस पास ज़्यादा इंडियन नहीं है. उन्होंने जो हिंदी सीखी है वो मोटू पतलू से ही सीखी है. उन्होंने हिंदी जो सीखी है वो मोटू पतलू के स्टाइल में सीखी है और वैसे ही बोलते हैं. उनको फिल्मो की भी नॉलेज मोटू पतलू से ही मिली है. सिंघम का किरदार ले आते हैं और हिंदी को स्प्रेड करने में बहुत ज़्यादा हेल्प करि है मोटू पतलू ने.
सवाल - आपके बचपन कि कोई किस्सा है?
जवाब - यही जब हम बच्चे थे तो हम ऐसे सब देख कर इमेजिनेशन में खो जाते थे और वही सब फिर खिलोनो के साथ बनाते थे. हम बोलते थे दोस्तों में कि तू मोटू बन मैं पतलू बनुगा, उससे क्या होता है की एक क्रिएटिविटी जगती है.