'आशिकी' गर्ल अनु अग्रवाल बोलीं , मैंने हमेशा फिल्म इंडस्ट्री में एक बाहरी व्यक्ति की तरह महसूस किया
साल 1990 में आई फिल्म 'आशिकी' की लीड एक्ट्रेस अनु अग्रवाल ने अपने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें एक आउटसाइडर की तरह महसूस कराया जाता था और वह सुशांत सिंह राजपूत से अपनी परिस्थिति को समझ सकती हैं। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या ने एक बार फिर फिल्म इंडस्ट्री में होने वाले भाई-भतीजावाद और नेपोटिज़्म की बहस को बढ़ा दिया है। इस मुद्दे पर कई कलाकार भाई-भतीजावाद पर खुलकर अपनी बात रख रहे हैं।
मैं इसमें फंस गई थी - अनु अग्रवाल
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अब 'आशिकी' गर्ल अनु अग्रवाल ने इस बारे में बात की है। अपने हालिया इंटरव्यू में उन्होंने शेयर किया है कि वह सुशांत के दर्द को समझ सकती है क्योंकि वह खुद फिल्म इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर के तौर पर आई हैं।
पिंकविला को दिए इंटरव्यू में अनु अग्रवाल ने इस बारे में बात की है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कभी इस इंडस्ट्री में एक बाहरी व्यक्ति की तरह महसूस हुआ। इस बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'हमेशा। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। सफलता का परिणाम कुछ ऐसा था, जिससे मुझे लोगों की ईर्ष्या से निपटना पड़ा। वह बुरा बर्ताव करना शुरु कर देते हैं। मैं इसमें फंस गई थी।'
फिल्म इंडस्ट्री में एहसान लेने पर चुकानी पड़ती है कीमत
इसके अलावा उन्होंने कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के दर्द को वह समझ सकती है, क्योंकि वह खुद फिल्म इंडस्ट्री से नहीं थी। वह कहती हैं, 'किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो बाहरी है, इसीलिए मैं सुशांत का दर्द समझती हूं, आपके साथ बाहरी वाला बर्ताव किया जाता है। मेरे पास खड़े होने के लिए कोई नहीं था और जो व्यक्ति मेरे साथ खड़ा होना चाहता था, वह मुझसे कुछ चाहता था, जो मैं नहीं चाहती थी। मैं बहुत कम उम्र में समझ गई थी कि आप एहसान नहीं ले सकते क्योंकि तब वे बदले में कुछ चाहते हैं।
अनु अग्रवाल ने अपने साथ हुई एक घटना के बारे में भी बताया, जब उनसे अवार्ड छीन लिया गया था क्योंकि वह एक फिल्मी परिवार से नहीं आई थी। उन्होंने बताया कि नॉमिनेटेड एक्ट्रेस की सूची में से उनका नाम जूरी ने हटा दिया था क्योंकि वे उसे नहीं जानती थीं और इसके कारण वह रात भर रोई थीं।