नेपोटिज्म पर अध्ययन सुमन ने कहा, बॉलीवुड में खेमेबाजी सबसे बड़ी समस्या है, मुझे 14 फिल्मों से हटाया गया
बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद एक बार फिर बॉलीवुड में नेपोटिज्म पर बहस तेज हो गई है। कई बॉलीवुड कलाकारों जैसे कंगना रनौत और शेखर सुमन और शेखर कपूर जैसे बड़े डायरेक्टर ने इस बारे में खुलकर बयान भी दिए हैं। इस बीच बॉलीवुड एक्टर अध्ययन सुमन का मानना है कि खेमेबाजी इससे कहीं बड़ी समस्या है। अध्ययन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि खेमेबाजी के चक्कर में उनके हाथ से कई फिल्में निकल गईं और जो मिलीं भी तो उनके बॉक्स ऑफिस नंबर गलत दिखाते हुए उन्हें फ्लॉप करार दे दिया गया।
मुझे 14 फिल्मों से हटाया गया
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में अध्ययन सुमन ने कहा, 'पॉवर डायनामिक्स और खेमेबाजी इंडस्ट्री में कई सालों से है। यह मेरे साथ भी हो चुका है। मुझे 14 फिल्मों से हटाया गया और मेरी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन मीडिया के सामने गलत पेश किए गए। लोगों ने इस बात पर पहले गौर नहीं किया, यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को इन सब चीजों का आभास करवाने के लिए सुशांत सिंह राजपूत को सुसाइड जैसा कदम उठाना पड़ा।
अध्ययन सुमन ने आगे कहा , 'जो लोग आंख बंद करके लड़ रहे हैं और नेपोटिज्म पर बात कर रहे हैं, मैं उन्हें कहना चाहता हूं कि नेपोटिज्म पर मत लड़िए, खेमेबाजी के खिलाफ लड़िए, कैम्पस जो बॉलीवुड में जगह बनाए हुए हैं और प्रोडक्शन हाउस जो टैलेंटेड एक्टर्स को इंडस्ट्री में जगह नहीं बनाने देते, आप उनके खिलाफ लड़िए।'
पिता शेखर सुमन ने भी खेमेबाजी पर कही थी ये बात
Source- Rediff
अध्ययन सुमन से पहले उनके पिता शेखर सुमन ने भी बॉलीवुड में खेमेबाजी की बात उठाई थी। उन्होंने कहा था, 'आपको जानकर हैरानी होगी कि अध्ययन को उसके करियर के दो-तीन फिल्मों के बाद तकरीबन 14 फिल्में ऑफर की गई, लेकिन कोई ना कोई बहाना बनाकर उन फिल्मों से अध्ययन को हटा दिया गया। किसी और से रिप्लेस कर दिया गया। वजह बताई गई कि 2 साल बाद बनेंगी। कुछ में कहा गया कि अभी बाकी स्टार कास्ट की डेट्स नहीं है। इस तरह से अध्ययन को दो-तीन साल खाली रख दिया गया। फिर इंप्रेशन यह बन गया कि अध्ययन में कोई कमी है। तभी उनके हाथ में फिल्म नहीं है। उन्हें नालायक बनाने की कोशिश इसी खेमेबाजी वाले लोगों ने की। उसका नतीजा यह रहा कि अध्ययन सुमन डिप्रेशन में आ गए।