हिंदी फिल्ममेकर और एक्ट्रर अनुराग कश्यप जोकि बॉलीवुड में रियलिस्टिक फिल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं. गोरखपुर उत्तर प्रदेश में जन्मे अनुराग ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से की. अनुराग मात्र 5000 रुपये लेकर मुंबई में आए जो कुछ ही समय में खत्म होने के कारण फिल्ममेकर को कुछ समय सड़कों पर बिताना पड़ा.ऐसी परेशानीयों को झेलने के बाद भी अनुराग पीछे नही हटे और आज एक सफल फिल्ममेकर को तौर पर बॉलीवुड में अपनी एक खास पहचान बना चुकें हैं.
अनुराग कश्यप ने अपने करियर की शुरुआत टीवी सीरियल के लिए लिखने से की थी. फिल्ममेकर का हिंदी सिनेमा में साल 1998 में आई राम गोपल वर्मा की फिल्म क्राइम ड्रामा ‘सत्या’में बतौर को-राइटर अपना पहला कदम रखा.साल 2003 में आई क्राइम य़्रिलर फिल्म ‘पांच’ को डायरेक्ट करके की की जो सेंसरशिप के मुद्दों के चलते कभी भी थिएटर में रिलीज़ नही हुई.
अनुराग कश्यप ने साल 2004 में ‘ब्लैक फ्राइडे’ का डायरेक्शन किया जोकि साल 1993 में हुए बॉम्बे बम धमाकों के बारे में हुसैन जैदी की हमनाम किताब पर आधारित थी.इस फिल्म को भी फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने दो साल के लिए रोक दिया था लेकिन साल 2007 में इस फिल्म को जारी कर दिया गया.
अनुराग कश्यप को अपनी बड़ी सफलता साल 2012 में दो भाग के क्राइम ड्राम ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से मिली. यहां मिली सफलता के बाद फिल्ममेकर में साल 2013 में फिल्म ‘लंचबॉक्स’और ‘शाहिद’ को को-प्रोड्यूस किया जिसके लिए अनुराग कश्यप को बेस्ट ‘फिल्म नॉट इन द इंग्लिश लैंग्वेज नोमिनेशन’ के लिए ‘बाफ्टा अवॉर्ड’ मिला. फिल्ममेकर ने आगे चलकर बहुत सी फिल्में बनाई जैसे ‘बॉम्बे टॉकीज’, ‘अग्ली’, ‘रमन राघव 2.0’ और स्पोर्ट्स ड्रामा ‘मुक्काबाज’ शामिल हैं.
अनुराग कश्यप नें लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में आपने बारे में बाताते हुए बताया की ‘मेरे घर में सब बहुत पढ़े-लिखे लोग है मैरे पिता जी बीएचयू से इंजीनियरिंग की थी, वह सरकारी इंजीनियर भी थे,मां ने भी बीएचयू से डबल एमए की पढ़ाई कि हैं.तो जब मै पैदा हुआ था तो मैरे दादाजी ने मैरे पिताजी से कहा की इसे बहुत पढ़ाना ये एक दिन बहुत बड़ा फिलोसोफर बनेगा.