देव आनंद जीवन से इतने भरपूर इंसान हुआ करते थे कि उन्हें मुश्किल से किसी तरह के दुख के साथ जोड़ा जा सकता था या यू कहंू कि मुश्किल से उनकी आँखों में आंसू आते होगंे। लेकिन कुछ मौकों पर वह खुद पर काबू नहीं रख पाए थे और रोएं थे और जब वह रोएं थे, तो वह वास्तव में बहुत बुरी तरह से रोएं थे।
देव तब भी रोएं थे जब संजय नारंग के साथ उनकी बेटी देविना की शादी टूट गई थी।
जी हां दरअसल एक बार उन्होंने मुझे बताया था कि जब उनकी माँ की मृत्यु हुई थी तो वह कैसे बिलख-बिलख के रोएं थे। वह उस दिन को भी कभी नहीं भूल पाए थे जब वह सुरैया के साथ अपने प्रेम संबंध के खत्म होने पर रोएं थे और सुरैया की दादी ने उस अंगूठी को समुंदर में फेक दिया था जिसे देव ने सुरैया को दी थी। और एक बार तो वह लगातार दो दिन तक रोएं थे जब विजय आनंद (गोल्डी) की अचानक मृत्यु हो गई थी और उन्होंने न रोने का वादा किया था, लेकिन गोल्डी की प्रार्थना सभा के बाद वह दो दिन तक खूब रोएं थे। वह तब भी रोएं थे जब संजय नारंग के साथ उनकी बेटी देविना की शादी तलाक के साथ समाप्त हो गई थी।
मैं तब उनके पॉश पेंटहाउस में उनके साथ ही बैठा था, जब उन्होंने काम से ब्रेक लेने और सी रॉक होटल के रिवॉल्विंग रेस्तरां में जाने का फैसला किया। जब वे काम पर होते थे तो उन्होंने शायद ही कभी इस तरह के ब्रेक लिए होंगे और शायद ही कभी चाय या नाश्ता किया हो, लेकिन उस शाम उन्होंने अपने नियम को भुला दिया था।
उन्होंने शीला के खुशहाल जीवन की कामना की और मुझे साथ चलने के लिए कहा।
हम उस न्यूली ओपन रिवॉल्विंग रेस्तरां में पहुंचे और उन्होंने वहा कुछ सैंडविच और चाय का ऑर्डर दिया। यह कुछ ऐसा था जो उन्होंने लंबे समय से नहीं किया था। वह धीरे-धीरे अपनी चाय की चुस्की ले रहे थे और सैंडविच खा रहे थे और कह रहे थे, “अच्छा है, अच्छा है” और इतने में एक युवक उनके पास आया और उनसे कहा कि वहाँ तीन टेबल दूर एक बूढ़ी औरत बैठी है जो आपको (देव आनंद) देखना चाहती हैं और देव जो इतने दयालु आदमी थे, खासकर तब जब महिलाओं की बात आती है और वे तब बूढ़ी औरत के पास गए और अपनी खूबसूरत मुस्कुराहट के साथ उस लेडी से हाथ मिलाया। उन्होंने महसूस किया कि वह महिला उनके एक प्रशंसक थी, लेकिन बूढ़ी औरत ने उन्हें तब हैरान कर दिया जब उसने उन्हें अपनी नर्म आवाज में उन्हें बताया कि वह ‘टैक्सी ड्राइवर’ में उनकी लीडिंग लेडीज में से एक शीला रमानी थीं। देव लगभग पीले पड़ गए और उनका दर्द उनके चेहरे पर दिखाई दिया। और देव ने शीला को गले लगा लिया और उनसे पूछा कि, “यह तुमने अपने साथ क्या कर लिया है? और इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, देव कि आँखे आंसुओं से भरी हुई थी जिसे वह छिपा नहीं पा रहे थे। उन्होंने शीला के लंबे और खुशहाल जीवन की कामना की और मुझे उठने और साथ चलने के लिए कहा। और अधूरे सैंडविच और चाय के प्याले देव को उदासी के साथ ऐसे देख रहे थे मानो उन्होंने देव आनंद को प्रसन्न करने का एक सुनहरा अवसर गंवा दिया, हो।
“मैं हर फिक्र को धुंए में उड़ता चला गया”
शीला रमानी के साथ उस अनुभव के बाद देव पहले वाले देव नहीं रहे थे और सामान्य रूप से जाने से पहले उन्होंने अपना पेंटहाउस छोड़ दिया था। और उनके ड्राइवर प्रेम ने मुझसे फुसफुसाते हुए पूछा कि ‘देव साहब’ के साथ कुछ गलत हुआ है क्या। देव ने प्रेम को गजदार नाले के पास झुग्गी में उसके घर पर उतर दिया था और फिर उन्होंने अपनी फिएट कार खुद चलाई और मुझे घर छोड़ ड्राप किया था। यह उस तरह की शाम थी जिसको मैंने देव साहब के साथ अनुभव नहीं किया था। हालांकि अगली सुबह वह देव आनंद होने की अपनी इटरनल इमेज में वापस आ गए, जिन्होंने ‘हम दोनो’ फिल्म के एक गाने “मैं हर फिक्र को धुंए में उड़ता चला गया” में जीवन कि अपनी फिलोसफी को बताया था।
उनकी सात फिल्मों की लीडिंग लेड़ी सुरैया के साथ देव के ब्रेकअप की चर्चा जब हर तरफ थी, तो उस दौरान वह ‘टैक्सी ड्राइवर’ फिल्म कि शूटिंग कर रहे थे, जिसकी शूटिंग के दौरान देव ने फिल्म की नायिका कल्पना कार्तिक से शादी कर ली थी।
और कितने और कब तक मैं देव आनंद के कमाल के किस्से सुनाता रहूँगा?