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पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते ने मिलकर काम किया है

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By Mayapuri Desk
पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते ने मिलकर काम किया है
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अली पीटर जॉन

लगभग 40 साल हो गए हैं जब रामानंद सागर ने महान धार्मिक सीरियल 'रामायण' बनाया था जो आज भी लोगों के दिलों दिमाग में जिंदा है। चाहे वो किसी भी जाति और धर्म के क्यों ना हो।  यह रावण पर भगवान राम यानी बुराई पर अच्छाई की जीत पर आधारित था.

इस किताब के अनावरण के समारोह का हाईलाइट थी आधे घंटे की फिल्म जो शिव सागर ने डॉक्टर सागर के जीवन की उपलब्धियों पर बनाई है। मैंने डॉ सागर की उपलब्धियों को बहुत करीब से देखा है और डॉक्टर साहब से खुद कहानियां सुनने का सौभाग्य  भी प्राप्त हुआ है और इस नाते मैं युवा और टैलेंटेड शिवसागर को यह जरूर सुझाव दूंगा कि वो अपने दादाजी के जादू को फिर से रीक्रिएट करें.

पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते ने मिलकर काम किया है Prem Sagar

यह किताब प्रेम ने लिखी है जो एक ट्रेंड सिनेमैटोग्राफर  और मार्केटिंग जीनियस है। वो इस रामायण को पूरे विश्व में बेच सकते हैं यहां तक कि  कम्युनिस्ट देशों में भी। रामानंद सागर की रामायण का एक दौर था। लोग इस सीरियल के पीछे पागल थे ना सिर्फ भारत में बल्कि पाकिस्तान और दूसरे मुस्लिम देशों में भी। इन देशों में भी भारत की तरह सब कुछ थम सा जाता था जब रामायण टीवी पर टेलीकास्ट होता था। मैंने अभी तक किताब नहीं पढ़ी है पर मैं जानता हूं प्रेम और उनके पिता जिनको वो 'पापा जी'  कहते हैं उन्होंने सच्चाई से किताब लिखी होगी। इस किताब में बहुत से बेहतरीन फोटोग्राफ्स होंगे जो शब्दों से ज्यादा कहानी को बयां करेंगे.

पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते ने मिलकर काम किया है Dipika Topiwala, Prem Sagar and Arun Govil

 यह शाम बहुत खास थी क्योंकि ये मुझे  मेरी यादों की गलियों में ले गयी। मैंने अपनी फिल्मी यात्रा सागर के साथ शुरू की थी। मेरे लिए  वो भावुक पल था जब मैंने डॉक्टर सागर के बच्चे शांति और आनंद जिनको मैंने बचपन में देखा था , उनको देखा। वो खुद अब पेरेंट्स बन चुके और उनके खुद के बच्चे हैं। मैं तब ज्यादा भावुक हो गया जब मैंने प्रेम की बेटियां  शबनम और गंगा को देखा। शबनम एक सफल इंटीरियर डिजाइनर है और गंगा  देश की जानी मानी पेंटर है। इनको मैंने अपनी गोद में खिलाया है। मैं यह सब अपनी तारीफ में नहीं कह रहा बल्कि इसलिए कह रहा है कि मैं खुद को यह यकीन दिला सकूं कि मैं कितना बूढ़ा हो चुका हूं।

मुझे एहसास हुआ कि कैसे समय किसी को भी नहीं छोड़ता, अपने खेल में सभी को बांध लेता है और कुछ बेवकूफ इंसान होते हैं जो अंत समय में समय के खेल को समझ पाते हैं।

पुण्यात्मा डॉक्टर रामानंद सागर के ऊपर लिखी गई यह वो किताब है जिस पर उनके बेटे और पोते ने मिलकर काम किया है Prem Sagar with cast and crew of Ramayan at launch of An Epic of Life- Ramanand Sagar

इस शाम की सबसे खास बात थी अरुण गोविल जिन्होंने राम का किरदार निभाया था और दीपिका टोपीवाला जिन्होंने सीता का किरदार निभाया था, इन दोनों की उपस्थिति। दीपिका को आज भी लोग सीता के रूप में ही याद करते हैं। समारोह में सुनील लहरी, सुलक्षणा खत्री, दारा सिंह जिन्होंने हनुमान का किरदार निभाया था उनके बेटी बिंदु दारा सिंह  भी मौजूद थे।

जिस तरीके से कुछ लोगों ने डॉक्टर सागर के बारे में बात की, डॉक्टर सागर के साथ अपने अनुभव साझा किए, डॉ सागर के प्रति अपने भाव बताएं वो सुन के यही लग रहा था कि रामानंद सागर कभी मर नहीं सकते । यह शाम इतनी इतनी अच्छी थी, इतना शांति और दैविक माहौल था कि मेरे जैसे नास्तिक इंसान ने भी जोर से 'जय श्री राम'  गूंज लगा दी।  यह ताकत थी  रामानंद सागर  की जो आने वाले कई सालों तक बनी रहेगी। और यह होगा 'पितृ ऋण' की वजह से जो डॉक्टर रामानंद सागर के बेटे और उनके पोते ने उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में दी है.

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