Review: मैडम चीफ मिनिस्टर - बेतुकी कहानी, इललॉजिकल थ्रिलर By Siddharth Arora 'Sahar' 21 Jan 2021 | एडिट 21 Jan 2021 23:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्म ' मैडम चीफ मिनिस्टर ' आने से पहले ही चर्चा में थी। कारण? इस फिल्म के ट्रेलर से ही उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की झलक मिलती थी लेकिन क्या ये कहानी वाकई मायावती के जीवन पर आधारित है? आइए कहानी से समझते हैं! मैडम आपकी कहानी कतई फिल्मी है फिल्म शुरु होती है एक दलित की बारात से जहाँ ठाकुरों की फैमिली उनके जलूस निकालने से नाराज़ हो जाती है और गर्मागर्मी में गोलियां चल जाती हैं। इसमें रूप राम नामक एक दलित मारा जाता है और ठीक उसी वक़्त उसके घर एक और लड़की पैदा होती है 'तारा' (ऋचा चड्ढा) तारा से पहले पैदा हुई लड़कियों को उसकी दादी ने ज़हर दे दिया था लेकिन तारा को न दे सकी। कहानी जम्प होकर 2005 में आती है जहाँ तारा बॉयज़ हॉस्टल में एक छात्र नेता इंदुमणि त्रिपाठी (अक्षय ओबेरॉय) को डेट कर रही है। दूसरी बार प्रेग्नेंट होने पर वो उसे शादी के लिए कहती है लेकिन इंदुमणि जाति का नाम देकर बेहूदे तरीके से मना कर देता है। तारा हंगामा मचा देती है। वो गुंडे लेकर पीटने आ जाता है, तारा लड़ती है लेकिन ख़ासकर पेट पर ही मारा जाता है। यहाँ उसे दद्दा यानी मास्टर जी (सौरभ शुक्ला), दलितों के नेता बचा लेते हैं। तारा इन्हीं के साथ रहने लगती है और आगे चलकर चुनाव भी जीत जाती है, उसी को मुख्यमंत्री भी बना दिया जाता लेकिन अब क्या? यहाँ तक की कहानी कुछ फिल्मी होकर बाकी सत्य घटनाओं और मायावती के जीवन पर चलती है लेकिन इसके बाद कहानी ऐसी इधर-उधर निकलती है कि घर वापसी इम्पॉसिबल हो जाती है। कल्पनाओं का वो पहाड़ बनाया जाता है जिसपर चढ़ते-चढ़ते दर्शक थकते ही नहीं, सो भी जाते हैं। स्टेज पर शादी रचाई जाती है, सीएम जिस गेस्ट हाउस में है वहाँ ओपोज़िशन का लीडर ख़ुद गुंडे लेकर आ जाता है और बाक़ायदा एसपी उसको रास्ता दिखाता है। पाइप पकड़कर सीएम और उनका स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर लटक जाते हैं.... 'कुछ भी' का ऐसा नंग नाच होता है कि थिएटर में बैठे टोटल तीन में से दो लोग सो चुके होते हैं। डायरेक्शन के कार्बोरेटर में कचरा है सुभाष कपूर ने ये फिल्म लिखी और डायरेक्ट की है। जॉली LLB सरीखी कसी हुई फिल्म बनाने के बाद जाने कौन सी मजबूरी रही कि उन्हें मैडम चीफ मिनिस्टर करनी पड़ी। शुरुआत अच्छी है लेकिन इंटरवल से पहले ही फिल्म दर्शकों की नज़र से और सुभाष कपूर की पकड़ से बाहर नज़र आने लगती है। मैडम एक्टिंग अच्छी कर लेते हो ऋचा चड्ढा ने म,मैडम चीफ मिनिस्टर बन अपनी तरफ से बेस्ट दिया है। कुछ जगह लाउड हुई हैं पर ओवरऑल ठीक हैं, हालांकि वो सपोर्टिंग रोल में जितना इम्पेक्ट डालती हैं उतना प्रोटागोनिस्ट बनकर नहीं कर पा रहीं, चाहें वो शकीला हो या मैडम चीफ मिनिस्टर। मानव कॉल अच्छी एक्टिंग करते ही हैं, उनका करैक्टर जस्टिफाई नहीं होता पर उन्होंने अपना बेस्ट दिया है। सौरभ शुक्ला ज़बरदस्त रहे, उनका रोल कम है लेकिन काशीराम के रोल में उनसे बेहतर कोई नहीं हो सकता था। अक्षय ओबेरॉय ने भी आटा दलिया कर लिया है। हाँ, मिर्ज़ापुर में क ख ग घ पूछने वाले शुभराज्योति भरत की एक्टिंग लाजवाब है। वो इकलौते हैं जो एक्टिंग करते नहीं लगे हैं, कम्पलीटली नेचुरल रहे हैं। निखिल विजय लो बजट के धनुष लगते हैं, उनके डायलॉग से ज़्यादा उनका मुँह टेढ़ा करके हँसना इंटरेस्टिंग है। संगीत कहाँ है किधर है? फिल्म का म्यूजिक बैकग्राउंड तक तो ठीक है, मंगेश धाकड़े ने गानों से परहेज़ ही की है पर दो गाने, एक - चिड़ी-चिड़ी - ज़रा अजीब सा है पर इतनी जल्दी ख़त्म होता है कि बुरा नहीं लगता और दूसरा लोक गीत है जो फिर भी बेहतर लगता है। कुलमिलाकर फिल्म मायावती जी की बायोपिक, उनकव बताकर, उनको साथ बैठाकर सच्चे नामों से बनती तो इससे कहीं बेहतर होती। कॉन्ट्रोवर्सी के डर से कि कहानी में बेतुके मसाले डालने से फिल्म बहुत बेस्वाद हो गयी है। इस फिल्म को कुछ हिट करा सकता है तो वो किसी अनजानी 'सेना' का थिएटर तोड़ना या बैन-बैन हल्ला मचाना ही है वर्ना फिल्म का वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं है। रेटिंग - 3/10* - width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>सिद्धार्थ अरोड़ा सहर #Richa Chadha #Saurabh Shukla #Manav Kaul #Madam Chief Minister हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article