Happy Birthday Juhi Chawla: जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था

author-image
By Sharad Rai
New Update
Happy Birthday Juhi Chawla: जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था

शरद राय | वो एक खुशनुमा बूंदाबादी वाली बरसाती दुपहरिया थी। मैं और मित्र इज़हार हुसैन के साथ बांद्रा से लोकल एक ट्रेन पकड़कर चर्चगेट , फिर वहां से चलते हुए पैदल कॉफ़परेड स्थित एक फ्लैट की कॉलबेल बजाते हैं। दरवाजे पर मुस्कान बिखेरती हुई एक लड़की खड़ी होती है - पूछती है, ’कहिए किसको मिलना है आप लोगों को?’ फिर एक जोर का ठहाका लगता है। लड़की मेरे मित्र इज़हार से कहती है - ’लगता है कहीं देखा है आपको?’ इज़हार कहते हैं ’साईड होवो..’ और फिर हंसते हुए हम सब घर के अंदर जाते हैं। बता दें की वह लड़की जूही चावला थी! एक समय की बॉलीवुड की सुपर स्टार !!

Happy Birthday : जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था...
तब तक जूही की एक फ़िल्म आई थी ’सल्तनत’, एक मामूली सा रोल था। फ़िल्म बड़ी फ्लॉप थी और किसी ने नोटिस तक नही किया था। एक फ़िल्म फ्लोर पर थी, शूटिंग चल रही थी। नए लड़के - लड़की की मुख्य भूमिका वाली इस फ़िल्म के निर्देशक भी नए थे, जो खुद ही ब्रेक ले रहे थे। वह फ़िल्म थी ’कयामत से कयामत तक’। फ़िल्म के वो नये लड़के थे आमिर खान और नए निर्देशक थे उनके चचेरे भाई मंसूर खान। मेरे मित्र इज़हार मंसूर के अच्छे मित्र थे और उनके सहायक भी। शूटिंग के दरम्यान इज़हार और जूही में अच्छी मित्रता हो गई थी। इज़हार मुझे जूही का इंटरव्यू करने के लिए उनके घर ले गए थे। तब मेरी भी पत्रकारिता में नई शुरुवात थी। इज़हार ने कहा था मुझसे- ’शरद यार, एक नई लड़की है, बहुत प्यारी सी, उसका इंटरब्यू छाप। नए लोग हैं पर बैनर नासिर हुसैन साहब का है। फ़िल्म हिट होनी ही है, फिर यही लड़की आसमान पर होगी एकदिन।’ मैं तब इज़हार की बातों से प्रभावित नहीं हुआ था, हां, मैं नासिर हुसैन को जानता था जिन्होंने बॉलीवुड में तमाम हिट फिल्में (’तीसरी मंजिल’, ’यादों की बारात’, ’कारवां’, ’प्यार का मौसम’, ’जमाने को दिखाना है’, ’मंजिल मंजिल’,’प्यार का मौसम’...आदि) दिया था। मंसूर उनके बेटे हैं तो ज़रूर कुछ अच्छा ही बना रहे होंगे। लब्बोलाबास यह कि मैं एहसान करने गया था।

Happy Birthday : जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था...
जूही के घर में अंडा- ब्रेड खाते हुए हम बातें किए जा रहे थे। कोई जब मिस इंडिया बन गई हो तो उसके सपने आसमान पर होते हैं..बातचीत का टॉपिक यही था। सन 1984 की मिस इंडिया और उसी साल की मिस यूनिवर्स की बेस्ट कॉस्च्यूम विनर (मिस यूनिवर्स कॉन्टेस्ट 1984) को एक सफल अच्छी फिल्म की पाने की ज़रूरत थी। उनकी मम्मी (मिसेस मोना चावला) चाहती थी वह एयर होस्टेस बन जाए या फिर होटल ताज में अच्छी नौकरी पा ले। पापा चाहते थे कि वह रेवन्यू विभाग के लिए कोशिश करे। माता- पिता यही चाहते हैं कि बच्चे उनके रिलेशन का फायदा लें। मां ताज में मैनेजर थी और पापा रेवेन्यू ऑफिसर। पर जूही का सपना तो पर्दे पर चमचमाना था और सपनों को सच करना था। शायद तभी बात बात पर हंसती रहने वाली वह लड़की कभी इज़हार को कहती- ’अपने भाई साहब (मशहूर लेखक अली रज़ा साहब) को कहो न कि मेरे लिए एक अच्छी स्क्रिप्ट लिख दें। या कि आपकी भाभी (अभिनेत्री निम्मी जी) मेरी मदद करेंगी ? और इज़हार कहते- तुम खुद दूसरों के लिए उदाहरण बनोगी। और, हुआ भी वही...कुछ समय बाद जब:कयामत...’रिलीज हुई। उस समय देश के हर सिनेमा घर मे जूही की ही फ़िल्म चल रही थी। जूही स्टार बन गई थी।

Happy Birthday : जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था...
फिर जूही बड़ी स्टार थी। तमाम बड़ी फिल्मों की हीरोइन बनती जा रही थी। हम जब भी कभी फ़िल्म के सेट पर या पार्टी वगैरह में उनको देखते हमे वो बरसाती दुपहरिया याद आ जाया करती थी जब हम पैदल चल कर उनके कॉफ़ परेड वाले घर पर गए थे। सामने दिखने पर जूही की हंसी वैसी ही होती थी जैसी कोलाबा के कॉफ़ परेड वाले घर मे हमने कई बार जाने पर पाया था। तब हमलोग हसा करते थे। यादें स्टारडम के साथ विस्मृत होती जाती हैं। एक स्टार बनता जाता है और साथ के लोग पीछे छूटते जाते हैं। एक बार इज़हार ने एक गैप के बाद मुझे कहा -एक फ़िल्म प्लान कर रहा हूं जूही के साथ, मंसूर भाई स्पोर्ट कर रहे हैं पर जूही के साथ डेट की प्रॉब्लम है। इज़हार भाई जूही के साथ इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में फ़िल्म नहीं शुरू कर सके ! मेरी भी मुलाकात को एक समय हो गया था।
जूही सुपर स्टार बन चुकी थी।

Happy Birthday : जब अपने संघर्ष को जूही चावला ने हंस कर झेला था...
एक लम्बे अंतराल के बाद... मैं एक फ़िल्म की पार्टी में जा रहा था होटल सीकिंग जुहू में। आदतन बहुत लेट हो गया था। रात देर हो गई थी। लोगों के लौटने का वक्त हो चला था। होटल की लॉबी में अंदर जाते हुए मैंने देखा जूही चावला बाहर निकल रही थी, लोगों के साथ, अमूमन जैसे स्टार निकलते हैं। मैं साइड से बढ़ने लगा। जूही बाहर की ओर आगे बढ़ गई, फिर वह पलटकर पीछे मुड़ी, मुझसे बोली- लगता है हम मिले हैं!! वही मुस्कान थी पहली मुलाकात वाली। मैंने भी हस दिया,बोला- मुझे भी ऐसा लगता है ...!
सचमुच वह पल मुझे बहुत अच्छा लगा था। अंदर की जूही बदली नहीं थी। मुझे इज़हार की बात याद आरही थी..।’’

Latest Stories