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अली पीटर जॉन
इतिहास इसका दोषी हैं, जो इस अन्याय को साबित करता हैं कि अमजद खान जैसे अभिनेताओं के अनमोल और विशेष योगदान को भुलाने की हिम्मत रखता हैं। अमजद ने अपना नाम इंडस्ट्री पर इस तरह से लिखा है जिसे कभी भी खरोंच, बदनाम या मिटाया नहीं जा सकता।
अमजद को हमेशा “शोले“ के गब्बर सिंह के रूप में याद किया जाएगा, जो हिंदी फिल्मों के सबसे यादगार खलनायक के रूप में था। उन्हें एक लोकप्रिय अभिनेता के सबसे बड़े फियर का सामना करना पड़ा जब इंडस्ट्री उन्हें एक बैड मैन हिंदी फिल्मों के खलनायक के रूप में बनाने में व्यस्त थी। उन्हें फिल्मों की दुनिया के खोटे कानून के खिलाफ शहीद होना पड़ा। लेकिन वह एक अभिनेता थे जिन्हें इस तरह का टैलेंट प्राप्त था, जो सबसे खतरनाक हालातों से भी जूझ सकता और जीत सकता था। उन्होंने खलनायक की भूमिका को इतनी एनर्जी और उत्साह के साथ निभाया जो केवल वह ही कर सकते थे, एक दृढ़ नींव के निर्माण की एकमात्र महत्वाकांक्षा के साथ जो एक अभिनेता के रूप में अपनी क्षमताओं को साबित कर किसी भी कोशिश के बिना सबसे कठिन भूमिका निभा सकता है। उन्हें पता था कि इंडस्ट्री उन लोगों को पसंद नहीं करती जो उनके अजीब अलिखित कानूनों के खिलाफ जाते हैं लेकिन उन्हें उन कानूनों को तोड़ने में बहुत खुशी प्राप्त हुई। उन्होंने खुद को कभी न भूल पाने वाले खलनायक के रूप में स्थापित किया जिनकी भूमिकाओं ने कई लोगों को प्रेरित किया। अमजद ने एक मार्क बनाया जिसे कोई चुरा नहीं सकता था/mayapuri/media/post_attachments/aabb5af03dd68f6b5c68535075ba86b16a50dee2314555056b85e5214430488b.jpg)
एक दिन में 9 अलग-अलग फिल्मों में निभाए 9 किरदार
अमजद ने यह भी साबित किया कि वह किसी भी फिल्म में एक अच्छे आदमी की भूमिका को कितनी अच्छी तरह से निभा सकते है। उन्होंने उन किरदारों को भी निभाया जो “दादा“, “कमांडर“ और “प्यारा दुश्मन“ जैसी फिल्मों में हीरो के किरदार से अधिक स्ट्रोंग और पॉपुलर थे। वह अपने करियर में कई कदम आगे बढ़े और “लव स्टोरी“ और “कुर्बानी“ जैसी फिल्मों में कॉमेडियन की भूमिका भी निभाई। वह एक कम्पलीट एक्टर की तरह थे जिनके टैलेंट को रमेश सिप्पी, फिरोज खान और आनंद सागर जैसे निर्देशकों द्वारा पहचाना गया था, कल्पना लाजमी जैसी आर्ट फिल्म निर्माताओं और उनके टैलेंट के लिए बेस्ट ट्रिब्यूट तब था जब महान सत्यजीत रे तीन महीने तक इंतजार करते रहे, क्योंकि वह चाहते थे कि अमजद उनकी एकमात्र हिंदी फिल्म “शतरंज के खिलाडी“ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। अमजद खान एक ऐसे अभिनेता थे जो सिर्फ एक दिन में नौ अलग-अलग फिल्मों में नौ अलग-अलग भूमिकाओ को निभाने में सक्षम थे। क्या यह एक कामयाबी नहीं है जिसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जाना चाहिए था? हालांकि अमजद सभी पुरस्कारों और मान्यता से ऊपर थे। वह केवल लोगों को मनोरंजन प्रदान करने में रुचि रखते थे, जिसमे वह एक्सपर्ट थे/mayapuri/media/post_attachments/7dbfa07bcb53f0cf322cb0adca2f5f4221882e592d8e7c21ede441e873a0b727.jpg)
बुरे लोगों के लिए बुरे बन जाते थे अमजद खान
मैंने पहली बार अपने दोस्तों से अमजद खान के बारे में सुना जो नेशनल कॉलेज में अमजद के सहयोगी थे। उन्होंने मुझे बताया कि अमजद खान एक छात्र के रूप में कितना अच्छे थे और जब कोई उनसे गलत व्यवहार करने की कोशिश करता था तो वह उन लोगों के लिए कितना बुरा हो सकते थे। कहा जाता है कि बांद्रा पुलिस स्टेशन में उनके और उनके भाई इम्तियाज़ के खिलाफ कई मामलें दर्ज किये गये थे, कि वह दोनों विभिन्न कॉलेज परिसरों के दंगों के मामलों में शामिल थे। अमजद का यह ब्रिलियंट स्टूडेंट एक स्ट्रेंज कॉम्बिनेशन था जिन्होंने फिलॉसफी जैसे कठिन सब्जेक्ट में अपने एमए को पूरा किया साथ मुंबई यूनिवर्सिटी में फर्स्ट भी आए और इंटर-कॉलेजिएट थियेटर फेस्टिवल्स में एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में सभी प्रमुख पुरस्कार जीते। वह एक अच्छे इंसान थे जो बुराई से निपटने के तरीके को जानते थे/mayapuri/media/post_attachments/ae0b6b30ce8d22bdf882b0c8b3244a5f2d87bc662a06e6f908e2ef2b67d688b6.jpg)
एक फिल्म में निभाई कालीदास की भूमिका
फिल्मों के साथ अमजद के सहयोग के बारे में पहली बार मैंने तब सुना था जब मैंने अपने “गुरु“ ख्वाजा अहमद अब्बास उनके सहायकों में से एक के रूप में ज्वाइन किया था। अब्बास साहब ने मुझे बताया कि यह हैंडसम यंग मैन उनके पचास के दशक के लोकप्रिय खलनायक अभिनेता-मित्र जयंत के बेटे थे। उन्होंने मुझे बताया कि वह एक ब्रिलियंट स्टूडेंट, एक थियेटर अभिनेता और एक अच्छे दिल वाला गूंडा था। जों केवल उन लोगों को पनिश करते हैं जिन पर उन्हें विश्वास था की वह गलत हैं।   “मुगल-ए-आज़म“ के बाद आसिफ की फिल्म “लव एंड गॉड“ के निर्माण के दौरान अमजद ने के आसिफ के सहायक के रूप में भी काम किया। अभिनय में रुचि होने के कारण उन्होंने फिल्म में एक कालीदास की भूमिका भी निभाई थी। उनके पिता ने उन्हें “पत्थर के सनम“ में हीरो के रूप में लॉन्च करने की योजना बनाई थी, लेकिन कुछ कारणों से ऐसा नहीं हो सका।/mayapuri/media/post_attachments/82fd1392f4c21197842c5b262079ebb3eca69398dcf6bcb5c111b53d471cc68f.jpg)
'शोले' में डकैत बनकर पहले दिन हुए थे रिजेक्ट
तब अमजद ने ब्रेक के लिए इंतजार किया। रमेश सिप्पी जो उनके कॉलेज के दिनों से उनके मित्र थे, तब “शोले“ बनाने की योजना बना रहे थे। फिल्म में अन्य बड़े सितारों की कास्टिंग करना आसान था, लेकिन उन्हें खलनायक यानि फिल्म के गब्बर सिंह की भूमिका के लिए उपयुक्त अभिनेता नहीं मिल रहा था। डैनी डेन्ज़ोंगपा, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना जैसे स्थापित कलाकारों को इन भूमिकाओं के लिए माना जाता था लेकिन सिप्पी ने उनमें कुछ कमी पाई थी। एक दिन, उन्हें अमजद की याद आई और उसे उन्हें स्क्रीन-टेस्ट के लिए बुलाया। सलीम-जावेद टीम के जावेद ने इस खलनायक की भूमिका को निभाने के लिए उन्हें बहुत कमजोर पाया था। नए डकैत के रूप में अमजद खान को इंडस्ट्री और दर्शकों ने पहले दिन ही रिजेक्ट कर दिया था। उन्होंने उन्हें हिंदी फिल्मों का सबसे कमजोर खलनायक कहा। लेकिन चौथे दिन एक चमत्कार हुआ और तब गब्बर सिंह ही एकमात्र नाम था जो सभी प्रमुख सितारों में सबसे लोकप्रिय हुआ था। और अगले पांच सालों तक फिल्म चलती रही थी और आज तक गब्बर सिंह एक इम्मोरटल आइकन रहा है।/mayapuri/media/post_attachments/bf253fec7ab92823bb9bf97b4a1aa8952db3ed6bfc32e42e9f5ca1e63a0913cf.jpg)
अमजह खान ही गब्बर सिंह था
मैं पहली बार अमजद से तब मिला जब मैं उनके पिता जयंत पर एक लेख लिखना चाहता था, जो “शोले“ के रिलीज़ होने से बारह दिन पहले ही मर गये थे। उनके पिता अपने बेटे की इस फिल्म को देखने के लिए जीना चाहते थे लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। अमजद ने मुझे अपने पिता के बारे में दिल छु जाने वाली कहानी सुनाई। उनको अफसोस था उन्होंने कहा कि उनके पिता उनकी पहली प्रमुख फिल्म में उन्हें देखने के लिए जीवित नहीं रहे थे। अमजद 15 अगस्त, 1975 को “शोले“ की रिलीज़ को लेकर परेशान, उत्तेजित और चिंतित थे। वह अपने और अपने भविष्य को लेकर सोच में थे कि क्या होगा। उसने मुझसे प्रार्थना करने के लिए कहा। और मैंने सच में उनके लिए प्रार्थना भी की। मुझे दुख हुआ जब पूरी इंडस्ट्री ने उसे नीचे गिरा दिया और कहा कि वह फिल्म का एकमात्र दुखती रग थी। पठान ने सब को गलत साबित कर दिया। अमजद खान गब्बर सिंह था और गब्बर सिंह ही अमजद खान था। यह रोमांचित था जब उसी इंडस्ट्री जिसने उन्हें रिजेक्ट कर दिया, तो उन्हें मेहबूब स्टूडियो के विपरीत उनके घर के बाहर देखा गया ताकि उन्हें उनकी फिल्मों के खलनायक के रूप में साइन किया जा सके।/mayapuri/media/post_attachments/069afb3cb151fa61fd020918ec1331a10fb783371c2c9e2a950bdccc81ca2b05.jpg)
उसे तुरंत निर्णय लेना पड़ा। उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें खुद से सभी फैसले लेने की जरूरत है, लेकिन उन्हें यह भी एहसास हुआ कि उन्हें अपने काम की देखभाल करने के लिए एक अच्छे सेक्रेटरी की भी जरूरत है। उन्हें विनय सिन्हा मिले, जो उनके राईट हैण्ड वाले व्यक्ति थे जिन्होंने उनकी सभी तिथियों, पैसे और व्यापार के मामलों पर धयान दिया था। तब कुछ गंभीरता से गलत हो गया और उन्होंने तरीकों से अलग हो गए। दोनों ने 17 वर्षों तक एक परफेक्ट टीम के रूप में काम किया। और फिर कुछ गलत हो गया और दोनों अलग हो गए। अमजद ने मुझे यह बताने का वादा किया था कि वे क्यों विभाजित हुए लेकिन भाग्य और मृत्यु ने उन्हें वह मौका नहीं दिया और वह मुझे यह बताने से पहले ही मर गए।
अमजद भी मुझे अमिताभ बच्चन के साथ अपनी अमर दोस्ती की शुरुआत और अंत के बारे में पूरी सच्चाई बताना चाहते थे, साथ ही वह अमिताभ और रेखा की अनकही कहानियां और उनका रिश्ता जिसका उन्होंने लंबे समय तक समर्थन किया था के बारे में भी बताना चाहते थे। उन्होंने अमिताभ, अमजद और रेखा की पूरी कहानी के साथ आने की योजना बनाई थी लेकिन कहानी अब अनकही रहेगी।
अमजद एक बहुत ही जानकार और बुद्धिमान व्यक्ति थे। वह कुरान और बाइबल की लाइनों का उदाहरण देते थे; वह केट्स, बायरन, वर्ड्सवर्थ, शैली जैसे अंग्रेजी कवियों की प्रेम कविताओं को पढ़ते थे, और वह सॉक्रेटीस, प्लेटो, खलील जिब्रान और एस राधाकृष्णन की फिलोसफी के बारे में बात करते थे और इन महान विचारकों द्वारा बताये गए कुछ सबसे मुश्किल थॉट्स को शेयर करते थे। कभी-कभी यह विश्वास करना मुश्किल था कि क्या यह वही व्यक्ति था जिसने गब्बर सिंह और अन्य सभी बुरे पात्रों को निभाया था/mayapuri/media/post_attachments/a3ac2b731a47f302ca6cf79a61970b53bc922247a68c892de30eec16d195bf71.jpg)
चुटकुले लिखने में भी माहिर थे अमजद खान
वह काफी अच्छे थे। वह लोगों को हंसा सकते थे और उन्हें किसी भी समय अलग भी कर सकते थे। मैं उनकी ज्यादातर शूटिंग में रेगुलर था और जब भी वह घर पर फ्री होते थे, तो उनके साथ अच्छा समय बिताता था। और उनके जोक्स और विट किताबों से नहीं आते थे ना ही दूसरों द्वारा सौंपे गए थे। वे सभी रोजमर्रा की जिंदगी, लाइफस्टाइल, व्यवहार और किरदार से अपने उत्सुक ऑब्जर्वेशन द्वारा बने जाते थे। वह अपने दोस्तों के ऊपर जोक्स भी बना सकते थे। वह उस स्थिति में भी जोक्स बना रहे थे जब वह एक एक्सीडेंट से गुजरे थे जिसने लगभग उन्हें मार ही डाला था जिसके बाद उन्हें कई महीनों तक एक्शन से अलग रखा गया था। जब वह वापस आए, तो हर कोई इस बारे में जानना चाहता था कि यह दुर्घटना कैसे हुई थी, और वह एक आईडिये के साथ अपनी गर्दन में एक बोर्ड लटका कर आये थे जिस पर उन्होंने एक्सीडेंट की सारी कहानी लिखी थी ताकि उन्हें वह कहानी बार-बार दोहरानी न पड़े।/mayapuri/media/post_attachments/012dc38adf0798efb3a4705f455693b6edefaf4ec8c3d95027fc707dbbfe6e58.jpg)
दोस्तों की हमेशा मदद करते थे
अमजद एक अच्छे दोस्त थे। मुझे उसकी दोस्ती और कहानियों के बारे में कहानियों का विशेषाधिकार मिला है कि वह एक दोस्त के रूप में मुझ पर कैसे विश्वास करता था और मैं उसे एक करीबी दोस्त के रूप में कैसे ले गया और यहां तक कि उसकी दोस्ती की एडवांटेज भी एंडलेस है। मुझे यह एक कहानी याद भी है जब डॉक्टरों का एक ग्रुप अपने एनुअल डे फंक्शन पर उन्हें चीफ गेस्ट के रूप में चाहता था। मैंने उनसे फंक्शन के बारे में बात किये बिना उनका नाम इनविटेशन कार्ड में लिख दिया था। समारोह से एक दिन पहले मैं बहुत परेशान था। मैं उनके पास गया और उन्हें बताया कि मैंने क्या किया है। उन्होंने कहा, “गुड, माय फ्रेंड, वैरी गुड, दोस्ती क्या है? आपने मुझे अपनी दोस्ती को साबित करने का एक मौका दिया है और मैं इसे साबित करूंगा।“ और जब वह तैयार हो गया तो मैं उस पर विश्वास नहीं कर सका और हम दोनों एम्बेसडर में चले गए। हम वेन्यू पहुंचे। उन्होंने मुझे खूबसूरत महिलाओं के साथ अपने अफेयर के बारे में भी बताया और अंत में मुझे घर छोड़ दिया, और देखा कि मैं सुरक्षित तो हूं क्योंकि यह मध्यरात्रि का समय था। उसने मुझे बताया कि वह अपनी एक गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा है और मुझे यह न बताकर मेरी दोस्ती साबित करनी होगी कि वह कौन थी। और मैं वह वादा निभा रहा हूँ। अमजद एक वह दोस्त था जिस पर उनके दोस्त भरोसा कर सकते थे। उन्होंने अपने थिएटर के दिनों के निर्माता और दोस्तों को फिल्मों में निर्देशकों और अभिनेताओं बनने के रूप में प्रोत्साहित करके अपने दोस्तों की मदद की। उन्होंने अपने दो साधारण दर्जी दोस्तों को स्टार डिज़ाइनर आउटफिट शॉप को शुरू करने में मदद की जो अभी भी अच्छी तरह से चल रही हैं। सिराज बर्मावाला, रज्जाक खान और कन्हैया उनके बचपन के दोस्त थे, जिनकी कामयाबी के लिए उन्होंने उनकी बहुत मदद की।/mayapuri/media/post_attachments/c2cc740c525df310c1cc842349ec76469e45fcdcb1809ba6446edc28841ecec9.jpg)
लंबे समय तक जीते तो चमत्कार कर सकते थे
अमजद गरीबों और जरूरतमंदों के लिए गोल्ड हार्ट मैन के रूप में जाने जाते थे। इस बारे में कई कहानियां हैं कि उन्होंने पुराने जूनियर आर्टिस्ट और इंडस्ट्री के अन्य वर्कर्स की कैसे मदद की। सिने और टेलीविज़न आर्टिस्ट्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट के रूप में उन्होंने जो किया वह एक व्यक्ति पर किताब लिखने का सब्जेक्ट है जो दूसरों के जीवन को सार्थक बनाने के लिए जीता है। वह एक लीडर थे जो उदाहरण के नेतृत्व में थे। अब 94 वर्षीय अभिनेता, चंद्रशेखर जो कई दशकों तक कलाकारों और फिल्म वर्कर्स के लीडर थे, कहते हैं, “मैंने कई लीडर्स को आते और जाते देखा हैं। मैं खुद एक लीडर रहा हूं, लेकिन मुझे स्पष्ट रूप से स्वीकार करना होगा कि अमजद खान साहब सबसे कैपेबल लीडर्स में से एक थे। इस तरह के व्यक्ति को खोना इंडस्ट्री की यह बदकिस्मती थी जो इतनी छोटी उम्र में अपना बेस्ट देने में विश्वास रखने वाले लीडर थे। अगर वह लंबे समय तक जीते तो वह चमत्कार कर सकते थे।”/mayapuri/media/post_attachments/d0787acaef5950876d146a0fe5bb4b5c5fdd2b5bb84bffb63acf1956bdc7e601.jpg)
भाई के लिए जर्नलिस्ट को धमकाया
अमजद दिल से एक पारिवारिक व्यक्ति थे। वह अपने माता-पिता से बेहद प्यार करते थे, जब वह बीमार थे तो उन्होंने मरते दम तक उनकी देखभाल की थी। वह प्रसिद्ध लेखक अख्तर-उल-इमान की बेटी शाहला से प्यार करते थे और उनसे शादी की थी। उनकी पत्नी और उनके बच्चे उनकी पहली प्रायोरिटी थीं। वह अपने बड़े भाई इम्तियाज़ से भी बेहद प्यार करते थे, और अमजद ने इम्तियाज़ के बुरे समय में उनका साथ भी दिया था। उनकी एक कहानी है एक येलो जर्नलिस्ट के ऊपर थी जिसने इम्तियाज़ के महिलाओं के साथ काल्पनिक अफेयर्स के बारे में बुरा लिखा था। जिससे अमजद गुस्से में थे। और उस पत्रकार को तलाश रहे थे जो उनसे मिलने ताज में आया था, जिससे देख उन्होंने उसे सारी पब्लिक के सामने चाकू से उसे धमकाया और जर्नलिज्म को मुंबई छोड़ने की धमकी दी उसे ब्लैकमेल किया, फिर कभी उस जर्नलिज्म के बारे में कोई खबर मिली इस बारे में सुना नहीं गया।
अमजद के सभी प्रकार के बड़े लोगो से संपर्क थे लेकिन उन्होंने कभी भी अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने अनएक्सपेक्टेड चीजें की। उन्होंने अपने सभी दोस्तों, डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, नर्सों, पुजारियों और “गुरु“, उनके पुराने प्रोफेसरों कि मदद की जो बुरे समय से गुजर रहे थे।
वह किसी भी प्रकार की राजनीति में रूचि नहीं रखते थे; सच तो यह है कि वह राजनीति और सभी प्रकार के राजनेताओं को नापसंद करते थे। वह सिर्फ एक राजनेता का सम्मान करते थे, जिनके शब्द उनके लिए एक आदेश था, वह स्वर्गीय सुनील दत्त थे,  जिन्हें उन्होंने हमेशा कहा की “वह एक गोल्ड मैन है जिन्हें मैं अपने जीवन में जानता हूँ।”/mayapuri/media/post_attachments/0aabddcecfa87ad046b1b4456acee1da2505710cd2c25a7ea9d60f3ec9c13d97.jpg)
अमजद की फिल्म को स्लॉटर करने का आदेश
अमजद बिल्कुल निडर व्यक्ति थे। मुझे इंडियन सिनेमा के सेंसरशिप का सेमिनार याद है। श्री एचकेएल भगत जिसे “राजनेताओं के बीच आतंक“ के रूप में जाना जाता था, वह केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे और सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे थे। अमजद के बोलने का समय था और वह सेंसरशिप की कठोर और एकतरफा नीति के लिए सरकार से बोल रहे थे और फिर कैसे उनकी फिल्म “चोर पुलिस“ को सेंसर द्वारा काफी कांट-छांट करवाई थी। फिर उसने श्री भगत को बहुत करीब से देखा (श्री भगत हमेशा डार्क चश्मा पहने रहते थे) और उन्हें सोते हुए पाया। अमजद गुस्सा हुए और सभा को संबोधित किया और कहा, “हम सरकार से किसी भी भावना या संवेदनशीलता को कैसे स्वीकार कर सकते हैं जिसमें इस तरह के सम्माननीय मंत्री जैसे मंत्री हैं। मैं यहां चिल्ला रहा हूं और न सिर्फ अपने स्वयं के लिए न्याय मांग रहा हूं बल्कि पूरी इंडस्ट्री के लिए न्याय मांग रहा हूँ और यहाँ यह सम्माननीय मंत्री सो रहे हैं। मेरे भाषण पर उनकी प्रतिक्रिया उनके और उनकी सरकार के लिए परिणाम है। बस मेरे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है।” मंत्री को उनके असिस्टेंट ने जगाया और बताया कि अमजद ने अपने भाषण में क्या कहा था। मंत्री ने तब कुछ भी नहीं कहा, लेकिन जब अमजद ने अपनी अगली फिल्म “अमीर आदमी गरीब आदमी” बनाई, तो उनसे बदला लिया गया, उन्होंने सेंसर को अमजद की फिल्म को स्लॉटर करने का आदेश दिया था।
आखिरी भूमिका 'रुदाली' में निभाई
बॉक्स की ऑफिस पर उनकी दोनों फ़िल्में फ्लॉप हो जाने के बाद अमजद एक बहुत कड़वा आदमी बन गया था। और फिर कभी वह पहले जैसे नहीं बने। गोवा में उस एक्सीडेंट जिसमे उनकी मर्सिडीज के स्टीयरिंग व्हील ने उनकी मजबूत छाती को तोड़ दिया था। डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड को लेने के कारण उनका बहुत वजन बढ़ गया था। वह आराम से घूम या चल भी नहीं सकते थे। उन्होंने आखिरी भूमिका “रुदाली“ में निभाई थी जो एक आर्ट फिल्म थी। अपने थियेटर दिनों के दोस्त संजीव कुमार की तरह उनके पास भी एक पूर्वनिर्धारित था कि वह पचास वर्ष से पहले ही मर जाएंगे, यह एक रहस्य था जो उसने बहुत ही कम दोस्तों से शेयर किया था, जिसमे मैं भी शामिल था। उसे पचास होने की प्रतीक्षा भी नहीं करनी पड़ी। उन्होंने पूरे देश को चौंका दिया जब उन्हें नींद में दिल का दौरा पड़ गया और वह मर गए। तब वह केवल 49 वर्ष के थे।
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