26 सितंबर 2023 सदाबहार हीरो देव आनंद जीवित होते, तो अपना 100वां जन्मदिन मना रहे होते. यह भी सच है कि वह इस दिन को खूब धूमधाम से मनाते क्योंकि वह जिंदादिल शख्स थे. देव आनंद की प्रसिद्धि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उन सदाबहार गीतों को दिया जा सकता है जिनमें उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई.
ये रात ये चांदनी (जाल, 1952): धोखे, प्यार और क्षमा की कहानी में, एक तस्कर के रूप में देव आनंद, हेमंत कुमार द्वारा गाए गए इस भयावह लेकिन सौम्य गीत में मारिया (गीता दत्त) को बुला रहे हैं.
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हम बेखुदी में (काला पानी, 1958): एक कोठे पर गाया गया, एसडी बर्मन द्वारा संगीतबद्ध और आनंद की झुकी हुई चाल के साथ मोहम्मद रफ़ी द्वारा पूर्णता से गाया गया प्यार और जीवन का यह नशे में और उच्छृंखल अन्वेषण अपने गर्मजोशी से भरे आलिंगन के लिए प्रतिष्ठित है.
मैं जिंदगी का साथ (हम दोनों, 1961): देव आनंद ने जीवन के सार और उसके उतार-चढ़ाव को रूपक रूप से प्रस्तुत करते हुए साहिर लुधियानवी के गीतों को एक ऐसे टुकड़े में प्रस्तुत किया जो हमेशा अभिनेता के व्यक्तित्व के केंद्र में रहेगा.
तेरे मेरे सपने (गाइड, 1965): एसडी बर्मन के बेहतरीन घंटों में से एक, रफी की आवाज की भावनात्मक गहराई और हरि प्रसाद चौरसिया की बांसुरी के साथ शैलेन्द्र के बोल एक कठिन क्षण में राजू और रोजी के दिल के सबसे अस्पष्ट कोनों में ले जाते हैं.
है अपना दिल तो आवारा (सोलवा साल, 1958): चंचल और मनमोहक ट्रेन धुन में एक युवा आरडी बर्मन ने एसडी बर्मन और मजरूह सुल्तानपुरी के इस गीत के लिए माउथ ऑर्गन पर प्रतिष्ठित इंटरल्यूड बजाया था. हेमंत कुमार ने इसे बहुत कोमलता और सहजता के साथ देव आनंद के लिए गाया था, जो वहीदा रहमान के साथ उसी ट्रेन में यात्रा कर रहे खूबसूरत पत्रकार थे और अपने प्रेमी के साथ भागने की कोशिश कर रहे थे.