16 मई, 2004 को रिलीज़ हुई थी इरफान खान की हासिल…
हर अभिनेता चाहता है कि उसके करियर की शुरूआत हीरो के डैशिंग रोल से हो। वो विलेन को मारे, हीरोईन उसे मिले, फिल्म के गाने उसी को लेकर लिखे जाए...और हर तरफ उसी की बात हो। लेकिन वो इरफान ही थे जिन्होने हीरो नहीं बल्कि नेगेटिव किरदार निभाने की हिम्मत दिखाई। और वो सही साबित हुए। फिल्म थी इरफान खान की हासिल। तारीख थी 16 मई, 2004...जब बड़े पर्दें पर एक ऐसा चेहरा उभर कर आया जिसने कुछ ही सालों में अपनी एक पहचान बना ली। इस फिल्म से उनके करियर ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि फिर वो कभी रुके ही नहीं।
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आज इरफान खान की हासिल को रिलीज़ हुए 17 साल पूरे हो चुके हैं। और इरफान हमारे बीच नहीं है। लेकिन बड़े पर्दे पर निभाए गए अपने किरदारों से हमेशा वो और उनकी फिल्में हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी।
इरफान खान की हासिल के अनसुने किस्से
चलिए अब आपको इरफान की सबसे शानदार फिल्म के अनसुने किस्से बताते हैं...जो शायद ही आप जानते होंगे।
पहले मनोज वाजपेयी को ऑफर हुई थी हासिल फिल्म
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ये बात शायद कम ही लोग जानते हैं कि हासिल फिल्म के रणविजय का किरदार सबसे पहले अभिनेता मनोज वाजपेयी को ऑफर हुआ था लेकिन दो कारणों से मनोज ने ये रोल करने से इंकार कर दिया था। पहला तो उनके पास शूटिंग के लिए वक्त नहीं था और दूसरा वो विलेन का रोल नहीं करना चाहते थे। जिसके बाद दूसरी पसंद इरफान खान ही थे। और वो बने हासिल के रणविजय।
शूटिंग से पहले ही पहुंच गए थे इलाहाबाद
इरफान खान की हासिल फिल्म की शूटिंग इलाहाबाद में हुई थी। और आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि शूटिंग से 10 दिन पहले ही वो इलाहाबाद पहुंच गए थे। जहां उन्होने छात्र नेताओं के साथ घुल मिलकर उनके मिज़ाज को अच्छे से पहचाना और फिर उनके किरदार में वो छाप पूरी तरह नज़र आई।
तैयार होने के एक साल बाद भी रिलीज़ नहीं हो पाई थी इरफान खान की हासिल
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जी हां…फिल्म बनकर तैयार तो हो गई थी लेकिन डिस्ट्रीब्यूटर्स ना मिलने के चलते फिल्म की रिलीज़ अटकी रही। हासिल मूवी को कई डिस्ट्रीब्यूटर, एक्टर्स, प्रोड्यूसर्स को दिखाया गया लेकिन फिल्म को किसी ने भी नहीं खरीदा। क्योंकि इरफान खान की फेस वैल्यू पर तब तक लोगों को डाउट था। बाद में श्रृंगार फिल्म्स ने इसे डिस्ट्रीब्यूट किया।
तो इसीलिए नहीं मिला नेशनल अवॉर्ड
ये फिल्म और इसमें काम करने वाले कलाकारों की एक्टिंग इतनी ज़बरदस्त थी कि इसे राष्ट्रीय पुरस्स्कार तक मिल सकता था लेकिन इस फिल्म को नोमिनेशन में ही नहीं भेजा गया। दरअसल, प्रोड्यूसर इस फिल्म को ढंग से रिलीज नहीं कर रहे थे लिहाज़ा प्रोड्यूसर और डायरेक्टर का झगड़ा हो गया। नतीजा ये हुआ कि प्रोड्यूसर ने फिल्म को नेशनल अवॉर्ड के नॉमिनेशन में ही नहीं भेजा। और ये नेशनल अवॉर्ड से चूक गए। हालांकि इस फिल्म के लिए इरफान को बेस्ट विलेन का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला।
मकबूल की शूटिंग बाद में शुरू हुई लेकिन रिलीज़ हासिल से पहले
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ये बात शायद ही कोई जानता हो कि मकबूल इरफान खान की हासिल के बाद में शुरू हुई थी। विशाल भारद्वाज ने जब उनकी एक्टिंग का नमूना हासिल में देखा था तो उन्हें मकबूल के लिए साइन कर लिया। शूटिंग शुरू हो गई और फिल्म रिलीज भी हो गई। लेकिन तब तक भी हासिल को डिस्ट्रीब्यूटर नहीं मिला था।