इरफान खान के बेटे बाबिल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर कहा - मेरे पिता बॉक्स ऑफिस पर सिक्स पैक एब्स वालों से हारते रहे
बॉलीवुड अभिनेता इरफान खान ने 29 अप्रैल 2020 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इरफान के निधन के बाद से ही उनके बेटे बाबिल सोशल मीडिया पर अक्सर अपने पिता के बारे में कई बातें शेयर करते रहते हैं। अब हाल ही में इंडस्ट्री में चल रही नेपोटिज्म की बहस के बाद बाबिल ने एक और पावरफुल नोट शेयर किया है।
यहां पर अपनी जगह खुद ही बनानी होती है
इंस्टाग्राम पर अपने पिता के थ्रोबैक फोटो शेयर करते हुए बाबिल ने लिखा , 'आप जानते हैं कि मेरे पिता ने मुझे सिनेमा के छात्र के रूप में सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक सिखाया है? इससे पहले कि मैं फिल्म स्कूल जाता, उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि मुझे अपने आप को साबित करना होगा क्योंकि बॉलीवुड जगत में शायद ही कभी कोई सम्मानित होता है। यहां पर अपनी जगह खुद ही बनानी होती है।
बॉलीवुड का कोई सम्मान नहीं था, 60 के दशक से 90 के दशक तक भारतीय सिनेमा के बारे में कोई जागरूकता न हाने की वजह से कोई वेल्यू थी। वर्ल्ड सिनेमा में इंडियन सिनेमा के बारे में केवल एक लैक्चर होता है जिसे 'बॉलिवुड ऐंड बेयॉन्ड' कहा जाता है और उसमें भी लोग केवल मजाक बनाते हैं।'
मेरे पिता सिक्स पैक ऐब्स वालों से हार गए
बाबिल ने आगे लिखा, 'यहां तक कि सत्यजीत रे और के.असिफ और भारतीय सिनेमा के बारे में बातचीत करना कठिन था। आप जानते हैं कि ऐसा क्यों है? क्योंकि हमने, भारतीय दर्शकों के रूप में, विकसित होने से इनकार कर दिया। मेरे पिता ने अपने जीवन की शुरुआत बॉलीवुड और अफसोस की विपरीत परिस्थितियों में अभिनय की कला को बुलंद करने की कोशिश की, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर वो कुछ ऐसे सिक्स पैक वाले हंक्स से हार गए। हारते रहे हास्यास्पद वन लाइनर बोलने वालों से, फिजिक्स के नियमों को चुनौती देने वालों से, फोटोशॉप्ड आइटम्स सॉन्ग्स से, सेक्सिजम से और पितृसत्ता की उसी पुरानी परिपाटी से। क्योंकि हम एक ऑडियंस के तौर पर ये सब चाहते थे और पसंद करते थे। हमें सिर्फ एंटरटेनमेंट चाहिए था। इसीलिए हमारी सोच में भी कोई बदलाव नहीं आया'
बाबिल ने आगे कल्कि के बारे में बात करते हुए लिखा, 'अब बदलाव आ रहा है। युवा नए मुकाम की तलाश कर रहा है। हमें इसके लिए अब खड़ा होना चाहिए। जिससे फिर से इसे दबाया न जा सके, इसकी कोशिश करनी चाहिए। मुझे बड़ा अजीब लगा था जब कल्कि को बाल छोटे करने पर एक लड़के की तरह दिखने के लिए ट्रोल किया गया था। ये तो पूरी तरह से किसी की क्षमताओं को दबा देने का उदाहरण है।'
बाबिल ने अंत में लिखा, 'हालांकि मुझे लगता है कि अब सुशांत की मौत को लोगों ने एक पॉलिटिकल मुद्दा बना दिया है, लेकिन यदि सकारात्मक बदलाव हो रहे हैं तो हम इसे गले लगाना चाहिए '
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