भगवान शिव की आस्था क्या अब सिर्फ फैशन और ट्रेंड का हिस्सा रह गई है?

author-image
By Siddharth Arora
New Update
भगवान शिव की आस्था क्या अब सिर्फ फैशन और ट्रेंड का हिस्सा रह गई है?

बीते दिनों केदारनाथ धाम में एक लड़की द्वारा डांस करती वीडियो बनाए जाने को लेकर कुछ श्रद्धालुओं को अच्छी खासी आपत्ति हुई थी। उनका कहना था कि केदारनाथ धाम एक पवित्र स्थल है, इसे सिर्फ अपनी वीडियो पर लाइक्स-कमेंट्स के लिए इस्तेमाल करना बिल्कुल गलत है।

ऐसी ही आपत्ति अब फेमस रैपर आदित्य सिंह उर्फ बादशाह के नए गाने ‘सनक’ पर भी हो रही है। एक खास दल ने उन्हें गाने में से ‘भोलेनाथ’ शब्द हटाने की चेतावनी दी है, ऐसा न करने पर उनके खिलाफ एफआईआर भी हो सकती है।

हालाँकि देश का आम युवा इसे धर्म की ठेकेदारी ही कहेगा क्योंकि भगवान तो सबके हैं। ये बात सच भी है। लेकिन भोलेनाथ या महादेव का नाम लेकर इन दिनों जिस तरह अपना कंटेन्ट कैश करने की कोशिश की जा रही है; वो क्या किसी भी कोण से शिव की भक्ति जैसी नज़र आ रही है?

गीत ‘सनक’ की ही बात करें तो इसमें बादशाह के लिखे बोल हैं कि

“तेरे जैसा कहाँ से मैं *** चाटता है तू
मैं उपरवाले से ब्रह्मांड माँगता फिरूँ
कभी से* तो कभी ज्ञान बाँटता फिरूँ
जो भी जलता है उसकी *** फाड़ता फिरूँ
हिट पे हिट मैं मारता फिरूँ
3 रात लगातार मैं जागता फिरूँ
भोलेनात के साथ मेरी बनती है सही
उसे नचाने का शौक मैं नाचता फिरूँ”

यहाँ भोलेनाथ का नाम लेने से पहले जी भर के खुद की तारीफ और गालियों का इस्तेमाल किया गया है। भोलेनाथ के साथ मेरी बनती है सही! बनती है सही मतलब? वो बादशाह के कॉलेज फेलो थे? हॉस्टल में साथ रहते थे?

माना की इन दिनों हर बात पर कुछ ज़्यादा ही आपत्ति हो रही है पर सारी आपत्तियाँ नाजायज़ भी नज़र नहीं आती।

अगर कोई श्रीराम का भक्त है तो कायदे से उसे अपने ईष्ट से सीखकर शांत स्वभाव का, मर्यादित और पराकृमि होना चाहिए। (जैसा होता कहीं से दिख नहीं रहा है)
वैसे ही, कोई खुद को भोलेनाथ का भक्त कहता है तो कम से कम वो काम, लोभ, ईर्षा, सुख सुविधा के मोह से तो छूटा हुआ हो।

एक तरफ रैपर कहता है कि ज़िंदगी उसकी ज़हर के घूंटों से बनी है, यानी भोलेनाथ की तरह उसे भी ज़हर पीने से कोई गुरेज़ नहीं है और दूसरी तरफ कोई समीक्षक इनकी ज़रा भी आलोचना कर दे तो ये गाली बिना बात नहीं कर पाते।

अब ऐसे में, ये भोलेनाथ के नाम को ट्रेंड के साथ यूज़ करना नहीं कहलाएगा तो और क्या कहलाएगा?

मैं किसी भी क्रीऐटर के खिलाफ नहीं, वाकई जो रैप आर्टिस्ट अपने अंदाज़ से कह सकते हैं, उसकी कोई तुलना नहीं है। मेरा सुझाव बस इतना है कि लोग जब आपको जी भर के प्यार करते हैं तो आप, एक आर्टिस्ट पर भी कुछ ज़िम्मेदारी होती है कि वह कंटेन्ट के लिए थोड़ी मेहनत करे, किसी की भावनाओं को हर्ट न करे और कहीं से चोरी चकारी की धुन बनाने से तौबा रखे।

बादबाकी, बॉलीवुड में शिव के बहुत बड़े भक्त देवगन साहब भी हाल ही में ‘भोला’ नाम से एक फिल्म लाए थे जो बॉक्सऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर सकी। इस फिल्म में एक सीन है कि अजय साहब बड़े से थाल में रखे देख सारे चिकन के पीस चबा रहे हैं। साउथ की फिल्म कैथी से रीमेक हुई भोला में क्या लेखक इतना फ़र्क भी नहीं रख सकते थे कि चिकन की बजाए कुछ और खाता दिखा सकें?

बहरहाल, रैपर बादशाह पर FIR हो भी जाती है तब भी न वो बदलेंगे और न ही फिल्ममेकर्स, बदलना तो जनता को ही होगा, आपको, हमें, अपनी पसंद का कंटेन्ट चुनने से पहले ज़रा सावधानी बरतनी होगी। और शायद अब ये सावधानी बरतनी शुरु भी हो चुकी है।

Latest Stories