जावेद अख्तर उर्फ़ जादू अपने गीतों द्वारा पिछले 40 साल से जादू बिखरते आ रहे हैं. वह गीतकार और फिल्म लेखक होने के साथ-साथ एक अच्छे वक्ता भी है. लेकिन कुछ समय से जावेद अख्तर के सुर धर्म की धुन पर निकलने लगे हैं.
हाल ही में जावेद अख्तर ने हिन्दुओं को विश्व में सबसे सहिष्णु यानी सहनशील कौम बताया है लेकिन उनका बताने का तरीका ऐसा है कि ज़रा सा दिमाग लगाने पर समझ आता है कि वह सिर्फ सलेक्टिव हिन्दुओं की बात ही कर रहे हैं.
जावेद अख्तर ने कहा है कि तालिबान के मुकाबले भारत बहुत महफूज़ जगह है. वह तालिबान जैसी हर कट्टरपंथी विचारधारा का विरोध करते हैं व भारत में वह हिन्दू चरमपंथियों का भी विरोध करते हैं.
जावेद साहब कुछ इस अदा से घुमा के तालिबान का विरोध करते हैं कि “तालिबान गलत है वहाँ महिलाओं का सम्मान नहीं किया जाता तो यहाँ भी दक्षिणपंथी नहीं चाहते कि महिलायें काम करें और आदमियों के बराबर चलें”
अब जावेद साहब ही बेहतर जान सकते हैं कि वह हिन्दुओं को सहिष्णु बता रहे हैं या चरमपंथी कह रहे हैं. वह तालिबान की बुराई कर रहे हैं या हिन्दुओं की तुलना तालिबान से कर रहे हैं.
बहरहाल, जितने भी अगर मगर किन्तु परन्तु के साथ तालिबान की के खिलाफ कुछ बोल रहे हैं, वह साफ़ ज़ाहिर कर रहे हैं कि उनका बोलना दिल से नहीं बल्कि मजबूरी से है और वह अपने अगले ही बयान में ये बात ज़ाहिर भी कर देते हैं.
अब ये तो बॉक्स ऑफिस पंडित ही जानें कि जावेद अख्तर के बयानों का असर फरहान अख्तर के कैरियर पर हो रहा है या उनकी परफॉरमेंस डाउन होती जा रही है क्योंकि फरहान एक लम्बे समय से हिट फिल्म का इंतज़ार कर रहे हैं.