Sam ManekShaw पर आधारित विकी कौशल की फिल्म का टाइटल हुआ रिलीज By Siddharth Arora 'Sahar' 02 Apr 2021 | एडिट 02 Apr 2021 22:00 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर विकी कौशल यूं तो Uri: The Surgical strike के बाद से एक से बढ़कर एक कैरिक्टर प्ले करने की ठान चुके हैं। लेकिन चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ - Sam Manekshaw के किरदार का इंतज़ार सबको बेसब्री से है। फिर इस फिल्म के इंतज़ार की वजह भी है, इसे मेघना गुलज़ार डायरेक्ट कर रही हैं और दुनिया जानती है कि जहाँ मेघना गुलज़ार जुड़ी हों वहाँ उनके पिता राइटर डायरेक्टर प्रोड्यूसर लिरिसिस्ट पोएट गुलज़ार भला क्यों न साथ होंगे? इस टीज़र की बात करें तो फिल्म का टाइटल बताने के लिए गुलज़ार साहब की आवाज़ नेरेटर के तौर पर ली गयी है। 28 सेकंड के इस टीज़र में गुलज़ार साहब की दमदार आवाज़ में बैकग्राउन्ड वॉयस आती है - 'कई नामों से पुकारे गए, एक नाम से हमारे हुए'। इसके साथ ही इस के प्रोड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला, डायरेक्टर मेघना गुलज़ार और टाइटल कैरेक्टर विकी कौशल का नाम भी फ्लैश हुआ। भारतीय सेना से प्यार करने वाले हर सिनेमा लवर को इस फिल्म का इंतज़ार बेसब्री से था, अब इस टाइटल अनाउंसमेंट के बाद ये इंतज़ार और तेज़ हो गया है। कौन हैं द ब्रेव हार्ट - Sam ManekShaw? जिस वक़्त इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं और पूर्वी पाकिस्तान बहुत उम्मीद से भारत की तरफ उनकी आज़ादी में मददगार बनने की आस लगाए देख रहा था तब इंदिरा जी ने अपनी कैबिनेट और आर्मी सीनियर्स के साथ खुले तौर पर घोषणा की थी कि भारत पूर्वी पाकिस्तान को आज़ाद करवाने में उनकी मदद करेगा। इंदिरा जी की हर बात पर हर कोई सिर्फ हाँ-में-हाँ मिलाता था। उस मीटिंग में भी ऐसा ही हुआ, सबने हाँ में हाँ मिलाई सिवाए एक शख्स के, Sam Manekshaw। उन्होंने कहा कि अभी मेरी सेना जंग के लिए तैयार नहीं है, आगे मौसम खराब होने वाला है। आप बस ये बताइए कि क्या करना है, कैसे करना है और कब करना है ये मैँ ते करूंगा। इस छोटे से उदाहरण से ही आप समझ गए होंगे कि सैम कैसी पर्सनैलिटी थे। किसी के भी सामने कुछ भी कहने में वो कभी हिचकते नहीं थे और उनकी युद्ध नीति इतनी प्रबल थी कि सन 71 की लड़ाई में भारत ने पाकिस्तानी सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। इंदिरा जी को तो सैम पर भरोसा था ही, लेकिन Sam manekshaw खुद पर भी बहुत विश्वास रखते थे। आज़ादी के वक़्त उनके पास पाकिस्तान जाने या भारत में बने रहने, दोनों ऑप्शन मौजूद थे। उन्होंने भारत में रहना चुना। अमृतसर के जन्में सैम एक बार ये बोल भी चुके थे कि अगर 71 की लड़ाई में मैं पाकिस्तान की तरफ से लड़ा होता तो वहाँ भी मेरी आर्मी ही जीतती। उनकी इस स्टेटमेंट से इंदिरा जी खासी नाराज़ भी हुई थीं पर सैम कुछ बोलने से पहले डरते या सोचते कहाँ थे। उनको मेकिनटोश भी कहा जाता था और द ब्रेव हार्ट सैम भी, लेकिन भारतीय लोग उन्हें Sam बहादुर कहकर पुकारते थे। इसीलिए मेघना गुलज़ार ने इस फिल्म इतना खूबसूरत टाइटल दिया है। अब देखना होगा कि ये फिल्म कब रिलीज होती है और मेघना गुलज़ार सैम की ज़िंदगी के साथ न्यायपूर्वक तरीके से पर्दे पर उतार पाती हैं। आगामी अपडेट्स के लिए पढ़ते रहिए मायापुरी। #Vicky Kaushal #Meghna Gulzar #Gulzar #sam manekshaw हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article