द्वंद कहाँ तक पाला जाए,
युद्ध कहाँ तक टाला जाए,
तू भी है राणा का वंशज
फेंक जहाँ तक भाला जाए
दोनों तरफ लिखा हो भारत,
सिक्का वही उछाला जाए - Wahid Ali Wahid
ऐसी रौंगटे खड़े कर देने वाली कविताओं के रचियेता राष्ट्रकवि वाहिद अली वाहिद अब इस दुनिया में नहीं रहे। कुछ समय पहले उनकी तबियत ख़राब हुई थी लेकिन फिर दिनों-दिन सुधार हो रहा था। कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट भी की थी। उनके मित्र और कवि कमलेश द्विवेदी की आकस्मिक मृत्यु पर उन्होंने दुःख व्यक्त किया था। आज सुबह उनके पुत्र ने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए बताया कि उनके पिता Wahid Ali Wahid अब इस दुनिया में नहीं रहे। अल्लाह उन्हें मगफिरत फ़रमाए। आप सब लोग उनके लिए दुआ करें।
इसी बीच कवि और राजनेता कुमार विश्वास को जब ये ख़बर मिली तो वह भी टूट गए। उन्होंने वाहिद अली वाहिद की ही कविता लिखते हुए उन्हें श्रद्धांजली दी
'जब जेठ की धूप में चैन मिले
बरसेगी मोहब्बत की बदली,
बदली बरसे जब राम गली
खुश होके चलें रमज़ान अली,
रमज़ान अली नवरात्रि जगे
अफ्तार कराते हैं राम बली,
मियाँ वाहिद बोलत मौला अली
बजरंगबली बजरंगली।।!' - (वाहिद अली वाहिद)
?s=09
मेरी ख़ुशकिस्मती है कि वाहिद साहब मेरे जानकर थे, मुझे उनसे बात करने का सौभाग्य प्राप्त था। उनका अकस्मात् यूँ जाना समस्त काव्य जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।