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Ramanand Sagar: जानिए कैसे किया था रामानंद सागर ने ‘रामायण’का निर्माण

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By Asna Zaidi
Ramanand Sagar: जानिए कैसे किया था रामानंद सागर ने ‘रामायण’का निर्माण
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Ramayan: रामानंद सागर (Ramanand Sagar) की 'रामायण' (Ramayan) 90 के दशक में टीवी पर प्रसारित होती थी. उन दिनों हर कोई अपना काम छोड़कर टीवी के सामने बैठकर इस टीवी सीरियल को देखता था. जब भी रामायण का जिक्र आता है तो रामानंद सागर का नाम जरूर आता है. यूं कहें कि लोग उन्हें 'रामानंद सागर की रामायण' के नाम से ही याद करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामानंद सागर को रामायण बनाने का विचार कहां से आया. जी हां आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर रामानंद सागर जी ने रामायण का निर्माण कैसे और क्यों किया था. 

जब रामानंद सागर को हुए थे संत के दर्शन

बात 1970 जब शिलॉग में फिल्म ललकार की शूटिंग शुरु होने से पहले डिस्ट्रीब्यूटर शंकर लाल गोयनका रामानंद सागर के बेटे प्रेम को लेकर गुवाहाटी कामाख्या  के प्रसिद्ध कामाख्या मंदिर में दर्शन करने गए. मंदिर में दर्शन करने के बाद जब वे लोग बाहर निकले तो तभी उनके पास एक छोटी तेजस्वी कन्या रामानंद सागर के पास आई और बोली कि पेड़ के तले एक साधू महाराज आपको बुला रहे हैं. तभी आध्यात्मिक प्रवृत्ति के रामानंद सागर अपने बेटे को लेकर संत के पास जाने लगे. तभी प्रेम सागर ने पीछे मुड़कर कन्या को देखना चाहा तो कान्या उस समय गायब हो चुकी थी. हैरान प्रेम सागर अपने पिता रामानंद सागर के पास संत के पास पहुंचे. रामानंद सागर ने संत से पूछा कि महाराज बताए कि आपकी कैसे सेवा कर सकते हैं. उस समय साधु मौन रहे उन्होंने कुछ नहीं कहा तब रामानंद सागर अनुमति लेकर वहा से वापस से चले गए.

दस साल पहले की घटना को सुनकर हैरान रह गए थे रामानंद सागर 

गुवाहाटी की इस घटना के करीब दस साल बाद 1980 में रामानंद सागर उत्तराखंड के तट पर शूटिंग कर रहे थे. तभी अचानक मौसम खराब होने लगा और तूफान आने लगा. दूर- दूर तक कौई घर नहीं था. तभी उन्हें साधू की एक कुटिया नजर आई. रामानंद सागर ने अपने असिस्टेंट को कहा कि साधू बाबा से पूछे कि हमें आक्षय देने का निवेदन करें .असिस्टेंट की बात सुनकर पहले तो साधू बाबा नराज हुए और उन्हें बाहर निकल जाने को कहा तो फिर साधू ने उनसे डायरेक्टर का नाम पूछा तो .असिस्टेंट ने कहा रामानंद सागर. डायरेक्टर रामानंद सागर का नाम सुनते ही साधू बाबा के हाव भाव बदल गए और उन्होंने अपने बर्ताव के लिए क्षमा मांगी और फिल्म की पूरी यूनिट को पूरे सम्मान के साथ कूटिया आने के लिए कहा. तब साधू बाबा ने रामानंद सागर ने गुवाहाटी की घटना के बारे में पूछा.  दस साल पहले की घटना को रामानंद सागर और प्रेम सागर भूल चुके थे लेकिन साधू बाबा के मुंह से सुनकर दोनों दंग रह गए कि गुवाहाटी की घटना इन्हें कैसे पता चली. 

कामाख्या मंदिर में रामानंद सागर को हुए थे इस कन्या के दर्शन

साधू बाबा ने फिर कहा कि कामाख्या मंदिर में जिस कान्या ने तुम्हे संत के पास भेजा था तो वह कन्या देवी थी. और वह संत सिद्ध महा अवतार बाबा जी थे और महा अवतार बाबा जी बिना किसी उद्देश्य के किसी को दर्शन नहीं देते. तुम्हें अवश्य ही कोई दैवीय कार्य का जिम्मा दिया गया हैं और ये कार्य क्या हैं ये तो बाबा जी ही बता सकते थे. अब  रामानंद सागर साधू बाबा से पूछा कि मुझे  महा अवतार बाबा जी के दर्शन कहां होंगे और मैं यह जान सकूं कि मुझे उन्होंने मुझे कौन सा कार्य सौंपा हैं. तब साधू बाबा ने कहा कि उनका पता बता पाना काफी मुश्किल हैं पर मानयता है कि महा अवतार बाबा जी बद्री नारायण की आरती में पर ही आते हैं. ये सोचकर कि महा अवतार बाबा जी बद्री नारायण की आरती में आते हैं रामानंद सागर अपने बेटे के साथ बद्री नाथ गए. वहां बद्री नाथ में एक पुजारी ने रामानंद सागर को प्रसाद दिया और वह नीचे गिर गया और तभी उस प्रसाद को एक बाबा ने जल्दी से आकर उसे लपककर खा  लिया और मुस्कुराते हुए  रामानंद सागर को देखा.  

इस वजह से  रामानंद सागर ने किया रामायण का निर्माण

रामानंद सागर और उनका पुत्र अभी कुछ समझ पाते तो वह साधू हैरान रह गए. इस आश्चर्यचकित घटना के बाद पिता और पुत्र मंदिर से भाग जाते हैं तभी उन्हें राम नामक बाबा मिले और उन्होंने सारी बाते स्पष्ट की. राम बाबा ने कहा कि  आश्चर्य और भय में मत पड़ो क्योंकि अभी तुम्हे जिस बाबा के दर्शन हुए हैं वह कोई और नहीं बल्कि स्वयं महा अवतार बाबा जी थे. महा अवतार बाबा जी तुमसे एक आध्यात्मिक काम कराना चाहते हैं. तुम सिनेमा बनाना छोड़ दो और टीवी के लिए रामायण का निर्माण करो. ऐसा करने से तुम पूरी मानव जाति में आध्यात्मिक चेतना का प्रसार करोगे और विश्व व्यापि प्रसिद्धि के भागी भी बनोंगे. इस प्रकार स्वयं एक आश्चर्यचकित दर्शन देकर और राम बाबा के माध्यम से अपना आदेश स्पष्ट कराकर महा अवतार बाबा जी ने रामानंद सागर का बद्रीनाथ जाना सफल कराया. अब आप सब देख रहे हैं कि उस सलाह पर चलकर रामानंद सागर ने कितनी अच्छी तरह रामायण की रचना की. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि रामानंद सागर ने रामायण में भी काम किया था.

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