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कोरोना से बचने के लिए हमें पहले भूख से भी तो बचना होगा उद्धव साहब – Sunil Pal

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By Siddharth Arora 'Sahar'
कोरोना से बचने के लिए हमें पहले भूख से भी तो बचना होगा उद्धव साहब – Sunil Pal
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कहते हैं कि कॉमेडियन का काम लोगों का मनोरंजन करना होता है। फिर चाहें वो जैसे भी हो, पब्लिक को हँसाने के लिए वो कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। आखिर इसी से उसकी रोटी चलती है। लेकिन आज Sunil Pal की एक अपील देखकर हँसी नहीं बल्कि आँखों से आँसू आ गए।

जी हाँ, सबको हँसाने वाले सुनील पाल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कुछ ऐसी बात कही की दिल और दिमाग सोचने पर मजबूर हो गए।कोरोना से बचने के लिए हमें पहले भूख से भी तो बचना होगा उद्धव साहब – Sunil Pal

Sunil Pal ने सबसे पहले कहा कि “उद्धव साहब, एक महराष्ट्रीयन और एक भारतीय नागरिक होने के नाते मैं आपसे एक सवाल तो कर सकता हूँ न, एक सवाल करना चाहता हूँ आपसे। यहाँ के लोग आपपर बहुत भरोसा करते हैं। आपने कोरोना से बचने के लिए कुछ गाइडलाइंस बनाई, लॉकडाउन लगवाया। आप बहुत समझदार हैं मुझे उम्मीद है कि आप मेरी बात भी समझेंगे। सब ठीक है पर यहाँ लाइंस मिसगाइड ज़्यादा हो रही हैं। पुलिस वाले गरीब रिक्शे वालों ठेले वालों पर लाठियाँ बरसा रहे हैं। उनका मास्क ज़रा सा नीचे क्या हो जाता है कि उनकी सरेराह पिटाई की जाने लगती है। वहीं दूसरी ओर इतनी बड़ी-बड़ी रैली हो रही हैं उनसे सवाल पूछने वाला कोई नहीं होता।

मैं आपको बताता हूँ साहब, आप तो बड़े लोग हैं। आपके घर इतने बड़े हैं कि आप एक साल भी घर से न निकलो तो आपके कमरे खत्म न होंगे, खाने पीने की सारी सुविधाएं  बनी रहेंगी पर एक खोली में रहने वाला, एक चौल में रहने वाला बिचारा क्या करेगा? उसका बेटा भूख से रोएगा तो वो लॉकडाउन थोड़ी देखेगा। वो यही सोचेगा कि भूख से मरने से अच्छा है कि कोरोना से लड़ने की तैयारी कर लें और कुछ कमाने निकलें।”

आगे Sunil Pal बोले “अब वो टाइम नहीं रहा कि लोगों के पास कुछ बचा हो, कोई गहने कोई रुपिया कुछ भी नहीं बचा। हम पहले भी लॉकडाउन लगाकर देख चुके हैं सीएम साहब, कोई फायदा नहीं होता। फिर लॉकडाउन सिर्फ गरीबों के लिए ही लगता है, अमीर लोगों को कोई असुविधा नहीं होती। मेरी आपसे हाथ जोड़कर बिनती है कि गरीबों के साथ ऐसा खिलवाड़ न करें। वो आप पर बहुत भरोसा करते हैं। वो आपको बहुत प्यार करते हैं।

हम दुकानदार हैं, आम लोग हैं सब गाइडलाइंस फॉलो करने को राज़ी हैं। दुकानदार दुकान के बाहर सेनीटाइज़र रख रहे हैं। आम आदमी मास्क लगाकर घूम रहा है, मैं भी सबसे गुज़ारिश करता हूँ कि मास्क ज़रूर लगाएं और गाइडलाइंस फॉलो करें। लेकिन मेरी आपसे गुज़ारिश है उद्धव जी आप चंद फ्रॉड डॉक्टर्स और हेल्थ एक्स्पर्ट्स की बातों में न आयें। ये सब फ्रॉड हैं।

बाकी हमारा क्या है, हम कलाकार लोगों का तो जीना हराम हो ही गया है। हर शो आने से पहले कैन्सल हो जाता है। जबकि हमारे शो में कितने लोग आ जाते हैं? बड़ी हद 2000 लोगों की गैदरिंग होती है लेकिन उधर मोदी की रैली में, अमित शाह की रैली में दस-दस लाख लोग आ रहे हैं। उनसे आप क्यों नहीं सवाल करते? उनको कोई क्यों नहीं कहता कि कोरोना फैल रहा है, सोशल डिस्टन्स रखो”

इसके बाद अपने जज़्बातों को भरसक रोकते हुए Sunil Pal ने कहा कि “ये न्यूज़ वाले भी 80% बेईमान हैं। एक तरफ दिखाते हैं कि कोरोना इतना फैल गया, उतना बढ़ गया वहीं दूसरी ओर कहते हैं कि आइए आपको बंगाल लेकर चलते हैं जहाँ नेताजी की रैली में दस लाख लोग आए हैं और उनमें से किसी ने भी मास्क नहीं लगाया होता”

फिर Sunil Pal ज़रा अटैकिंग मोड में आते हुए बोले “वहीं ये रिक्शे वालों, ठेले वालों और राह चलते गरीब लोगों का मास्क ज़रा सा नीचे हो जाए तो लाठी। कोई मास्क न लगाए हो तो उसके लाठी, उद्धव जी आप ऐसा नहीं कर सकते। इनको बचाने की जिम्मेदारी आपकी है। इन्होंने आपको वोट दिया है, इन्होंने आप पर भरोसा किया है। आप ऐसे इन्हें नहीं छोड़ सकते। मेरी आपसे गुज़ारिश है कि लॉकडाउन-लॉकडाउन से लाभ न पहले हुआ था न अब होगा तो मेहरबानी कर इसे न लगाइए। आप आम लोगों को, आम मजदूरों को समझिए, तभी ये आपको समझेंगे। आप समझ रहे हैं न मेरी बात? कोरोना से बचने के लिए आप कहते हैं, कोरोना से बचने के लिए बचे रहना भी तो ज़रूरी है।

कुछ कमाएंगे नहीं तो कुछ खाएंगे नहीं, जब कुछ खाएंगे नहीं तो बचेंगे कैसे? फिर क्या करेंगे कोरोना से बच के?कोरोना से बचने के लिए हमें पहले भूख से भी तो बचना होगा उद्धव साहब – Sunil Pal

इसे मेरी हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट समझिए और इस लॉकडाउन को मत लगाइए। मैं उम्मीद करता हूँ कि आप समझेंगे। आप बहुत समझदार हैं। इसे मेरा निवेदन समझिए। लॉकडाउन मत लगाइए। जय महाराष्ट्र, जय हिन्द।

कुछ इस तरह सुनील पाल ने अपने दिल की बात बिना किसी स्क्रिप्ट के, बिना किसी के बहकावे में आकर बस कह दी और इस तरह कही की दिल पर कहीं भीतर तक लग गई। उम्मीद है सरकार उनकी बात को समझेगी और लॉकडाउन का खेल खेलने से पहले उन गरीबों के बारे में भी सोचेगी जो हर रोज़ सुबह कमाने निकलते हैं ताकि रात को खाना खा सकें।

- सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’

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