अली पीटर जॉन
बरसों धुंदीराज गोविंद फाल्के को अनदेखा करने के बाद भारत सरकार ने भारतीय सिनेमा में उनके योगदान को समझा और सिनेमा के क्षेत्र में उनके नाम से पुरस्कार देने की शुरुआत की जिसे सिनेमा का सबसे सर्वोच्च पुरस्कार माना जाता है. और इस पुरस्कार को पिछले 50 सालों से दादा साहब फाल्के पुरस्कार के नाम से जाना जाता है. दादा साहब फाल्के की वजह से ही भारत में सिनेमा का सपना सच हो पाया है. पर इतने महान इंसान ने गरीबी और बेबसी में गम तोड़ दिया.
इस पुरस्कार के कई विजेता हुए हैं. कुछ योग्य थे, कुछ पर विवाद हुए. कुछ लोगों को सिनेमा में उनके योगदान के लिए मिला, तो कुछ को राजनीतिक, जात-पात और धर्म के खेल की वजह से. यह पुरुस्कार जो हमारा गर्व होना चाहिए, पर कभी कभी नहीं होता....
इस पुरस्कार को पाने वाले अमिताभ बच्चन 50वें सदस्य हैं. यह बहुत ही प्यारा संयोग है कि अमिताभ बच्चन ने यह पुरस्कार भी तब ग्रहण किया है जब उनका भारतीय सिनेमा में 50 साल पूरा हो गया है.
अमिताभ 77 वर्ष के हैं और 28 दिसंबर को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्होंने दिल्ली में यह पुरस्कार प्राप्त किया.
अमिताभ हमेशा की तरह काफी आभारी थे सिनेमा के इस सर्वोच्च पुरस्कार को प्राप्त करके. पर उन्होंने कहा कि वो चिंतित भी हैं, क्योंकि इस तरह के पुरस्कार संकेत होते हैं कि उन्होंने बहुत काम कर लिया और अब उनका घर पर जाकर आराम करने का समय है. अमिताभ ने कहा कि वो अभी बहुत काम करना चाहते हैं क्योंकि अभी बहुत सी इच्छाएं बाकी हैं, कई लक्ष्य प्राप्त करना बाकी है.
आपको कौन रोक रहा है मिस्टर बच्चन? आपको कौन रोक सकता है मिस्टर बच्चन? किस्मत आपके साथ है. समय आपके साथ हैं और इन सब के ऊपर 5 पीढ़ियों के दर्शकों का प्यार आपके साथ है.
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