Bismillah Khan ने क्यों ठुकराई विदेशी सुख-सुविधा By Sarita Sharma 21 Mar 2023 | एडिट 21 Mar 2023 07:13 IST in ताजा खबर New Update Follow Us शेयर उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ को लोग भारत में ही नही पूरी दुनियां में बेहतरीन शहनाईं वादक के रुप में जानते हैं. बिस्मिल्ला ख़ाँ का जन्म 21 मार्च 1916 में एक बिहारी मुस्लिम परिवार में डुमराव के टेढ़ी बाजार में एक किराए के मकान में हुआ था. बिस्मिल्ला ख़ाँ ने साल 2006 में दुनियां से अलविदा कह दिया. उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ाँ के पिता राज दरबार में शहनाई बजाया करते थे. बिस्मिल्ला ख़ाँ का बचपन का नाम कमरुद्दीन था लेकिन पूरी दुनिया में लाग सिर्फ बिस्मिल्ला ख़ाँ के नाम से जानते है. शहनाई वादक बिस्मिल्ला ख़ाँ भारत के तीसरे संगीतकार थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया है. बिस्मिल्ला ख़ाँ की शहनाई वादन की शुरुआत बिस्मिल्ला ख़ाँ 6 साल की उम्र में अपने पिता के साथ बनारस आ गए थे. शहनाई वादक ने अपनें मामा अली बख्त विलायती से शहनाई बजाना सीखा. उनके उस्ताद मामा विलायती विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाने का काम करते थे. 14 साल की उम्र में बिस्मिल्ला अपने मामा के साथ इलाहाबाद संगीत सम्मेलन में गए थे. बिस्मिल्लाह खान ने अपने करियर की शुरुआत बहुत से स्टेज शो में शहनाई बजाकर की थी. लेकिन बिस्मिल्ला ख़ाँ को अपना पहला बड़ा ब्रैक साल 1937 में कलकत्ता में अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन में मिला. इसके बाद बिस्मिल्ला ख़ां को सुर्खियों में ला दिया औऱ संगीत प्रेमियों ने काफी सराहना भी गई. आगे चलकर बिस्मिल्ला नें अफगानिस्तान, अमेरिका, कनाडा, बांग्लादेश, ईरान, इराक, पश्चिम अफ्रिका, जापान, हांगकांग औऱ यूरोप के बहुत से हिस्सों में अपनी कला का प्रदर्शन किया.अपने शानदार करियर के दौरान उन्होंने दुनिया भर में ढ़ेरो कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. जिसमें मॉन्ट्रियल में विश्व प्रदर्शनी ,कान कला महोत्सव और ओसाका व्यापार मेला शामिल हैं. देश की संस्कृति को रखते थे दिल में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ एक शिया मुस्लमान थे. वह पांच बार के नमाजी थे फिर भी वे साभी हिंदुस्तानी संगीकारो की तरह धर्मिक रीति रिवाजो का पक्ष लेते थे. वह काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाने के साथ-साथ वे गंगा किनारे बैठकर घंटों रियाज भी किया करते थे. हमेशा त्यौहारो में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे पर रमजान मे व्रत भी किया करते थे. वह बानारस को कभी नही छोडंना चाहते थे गंगाजी और काशी विश्वनाथ से दूर नही रह सकते थे. बिस्मिल्ला ख़ां के लिए संगीत ही एकमात्र धर्म था. अमेरिका के बुलावे को ठुकराया उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ को अमेरिक में आने को कहां इसके साथ-साथ ये भी कहा कि आप यहीं आकर बस जाओ आपको सारी सुविधाएं मिलेगी लेकिन बिस्मिल्ला खा ने इस प्रताव को ठुकरा दिया क्योकि वह कहते थे कि यहां गंगा है यहां काशी है, यहा बालाजी का मंदिर है, मै इन सबसे बिछड़ना नही चाहता हूं. बिस्मिल्ला खाँ की इस बात से ये पता चलता है की वह अपने देश से बहुत प्यार करते थे. बिस्मिल्ला ख़ां ने जीते ये पुरस्कार उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां को भारत और दूसरे देशों में बहुत से अवार्ड्स से नवाजा गया था. साल 2001 में बिस्मिल्ला ख़ां को भारत के सर्वश्रष्ट पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया. यही नही साल 1980 मे पद्म विभूषण, 1968 में पद्म भूषण, जैसे कई बड़े अवार्ड से सम्मनित कया गया था. बिस्मिल्ला ख़ां का परिवारिक जीवन उस्ताद का निकाह 16 साल की उम्र में मुग्गन ख़ानम के साथ हुआ था. बिस्मिल्ला ख़ाँ की 9 संताने हुई . वे अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते थे.लेकिन शहनाई को भी अपनी दूसरी पत्नी कहते थे.बिस्मिल्ला ख़ा के परिवार में कुल 66 लोगों थे. अपने घर को कई बार बिस्मिल्लाह होटल भी कहते थे. लगातार 30-35 सालों तक साधना, छह घंटे का रोज रियाज उनकी दिनचर्या का मुख्य हिस्सा था. अलीबख्श मामा के निधन होने के बाद खां साहब ने अकेले ही 60 साल तक शहनाई की कला को ऊचांईयों तक पहुंचाया था. #Padma Shri Award #Dr Manmohan Singh #President Ram Nath Kovind #Bharat Ratna Award #sahanai vadak #bismillah khan हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article