Marvel Cinematic Universe के पूरी दुनिया से ज्यादा फैन्स भारत में हैं। फिरब्लैक विडो बनी नताशा रोमानोफ़ यानी स्कारलेट जॉनसन की अलग से फैन फॉलोविंग मौजूद है। ऐसे में दर्शकों के लिए अपनी पसंदीदाफिल्म का इतना इंतज़ार करना बिलाशक भारी पड़ता है। तिसपर भेदभाव ये भी कि ब्लैकविडोभारत के अलावा पूरे विश्व में रिलीज़ हो चुकी है। लेकिन हमें भी अपने रीडर्स का हमेशा ख्याल रहता है इसलिए हम आपके लिए ब्लैक विडो का एक्सक्लूसिव रिव्यू लेकर आए हैं।
कहानी 1995 से शुरू होती है जहाँ नताशा अभी बच्ची है। अपनीबहन एलिना,माँ मलीना और पिता अलेक्सी के साथ ऑहियो अमेरिका में रह रही है। यहाँ इनका सुन्दर सा घर है। घर के बाहर बेहतरीन सा बागान है। लेकिन ये खूबसूरत नज़र एक पल में भयावह हो जाता है जब नताशा के पिता आकरबताते हैं कि अब वापस अपने मुल्क लौटने का समय आ गया है। मिशन पूरा हो गया है।
पूरा परिवार घर से आनन-फानन भागता है, जैसे तैसे प्लेन उड़ाते गोलियों से बचते-बचाते क्यूबा पहुँचता है और यहीं पता लगता है कि ये सब आपस में परिवार थे ही नहीं, हालाँकि नताशा ये बात जानती होती है पर उसकी पाँच साल की छोटी बहन बिलकुल मासूम होती है। यहाँ एक शख्स इन दोनों लड़कियों को फेमस रेड रूम भेज देता है, जी हाँ वही रशियन रेड रूम जिसका ज़िक्र हमने बहुत बार बहुत सी फिल्मों में सुना है।
अब कहानी 21 साल आगे बढ़ जाती है जहाँ नताशा नोमनोफ़ एक तड़ीपार है। सुकोविया अकोर्ड्स साइन करने के बावजूदआयरन मन को धोखा देने और वकांडा के किंग ट’चालापर हमला करने की एवज में नताशा की धरपकड़ शुरू होती है।
कहानी शुरुआत की छोड़ कोई बहुत फन्ने खां नहीं है। अगर आपको क्लिंट और नताशा का वो फेमस बुद्दापेस्ट मिशन देखने की आस थी तो भीआप निराश होने वाले हैं पर फिल्म का एक्शन, स्क्रीनप्ले और विजुअल इफेक्ट्स बहुत शानदार हैं।
इतने अच्छे हैं कि भले ही एक महीने बाद अगर आप सिनेमा हॉल मेंजाकर देखते हैं तो आपको मलाल नहीं रहेगा।
एक्टिंग की बात करूँ तो स्कारलेट जॉनसन हमेशा की तरह ज़बरदस्त लगी हैं।उनके एक्शन सीन्स इस बार ज्यादा ब्रुटल, ज़्यादा क्रूर और तेज़ रफ़्तार रहे हैं। वहीँउनकीबहन बनी फ्लोरेंस प्युकी एक्टिंग भी कमाल की है।उनकी कॉमिक टाइमिंग भी ज़बरदस्त है। डेविड हार्बर के कॉमेडी सीन्स अच्छे हैं।उन्हें पहला और आखिरी रशियन सुपर सोल्जर दिखाया गया है।
वहींविलन बने रे विंस्टन का कोई खास रोल नहीं है।पहली ब्लैकविडो बनी रेचेलवेइज़ बहुत शानदार लगी हैं।
फिल्म की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसके एक्शन सीन्स हों या डायलॉग, बांधें रखते हैं। ध्यान इधर उधर भटकाने का मौका नहीं मिलता। वहीं इसकी ये भी बड़ी खामी है कि जिस बुद्दापेस्टमिशन की कहानी का इंतज़ार इतने सालों से हो रहा था, वो इसमें नदारद है। हालाँकि ये फिल्म कैप्टनअमेरिका सिविल वॉर के बादआती तो ज्यादा अच्छी लग सकती थी। फिर इस फिल्म का अंत और ब्लैकविडो का आख़िरी सीन, इमोशनल करने के लिए काफी है।
दोस्तों इसका पोस्ट क्रेडिट सीन बिल्कुल भी मिस न करें, इसमें हमें एंडगेम के बाद की कहानी का हिंट मिलने वाला है।
ज़रूरी सूचना, भारत में ऑनलाइन रिलीज़ के लिए डिज्नी प्लस हॉटस्टारकी घोषणा हो चुकी है. हालाँकि अभी ये नहीं पता चला है कि किस तारिख को रिलीज़ होगी लेकिन उम्मीद है कि अगस्त के पहले महीने भारतीय दर्शकों का इंतज़ार भी ख़त्म होगा
रेटिंग – 7.5/10
सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’