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इस तूफान की हवा बहुत सुस्त और बदहाल है

इस तूफान की हवा बहुत सुस्त और बदहाल है
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फ़रहान अख्तर और राकेश ओम प्रकाश मेहरा अपनी फिल्मों में परफेक्शन और नयेपन के लिए जाने जाते हैं।इन दोनों का साथ पहले भाग मिल्खा भाग में भी देखने को मिल चुका है।और अगर आपको याद हो तो भाग मिल्खा भाग बॉलीवुड में बनी अब तक की सारी बायोपिक में शीर्ष दस में जगह बनाने योग्य है।पर क्या हार्ड वर्किंग फरहान और डीप रिसर्चर राकेश ओम प्रकाश मेहरा की जोड़ी वही जादू फिर दिखा सकी?

कहानी सिंपल सी है, जो आप ट्रेलर में भी देख चुके हैं कि अज्जू यानी फरहान अख्तर मार-धाड़ छिछोरगिरी आदि करता है लेकिन जब उसे एक डॉक्टर (मृणाल ठाकुर) से इश्क हो जाता है, तो वो मोटिवेट होकर सीरियस बॉक्सिंग की तरफ ध्यान लगा लेता है।

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लेकिन, उस सीरियस बॉक्सिंग में भी उसकीबदनीयत नहीं जाती और अज्जू कुछ ऐसा करता है कि उसको बॉक्सिंग से पाँच साल के लिए बैन कर दिया जाता है।उसके गुरु, परेश रावल उसे दफा कर देते हैं।

अब कोई आम आदमी इस घटना से डिप्रेस होगा लेकिन यहाँ अज्जू शादी कर लेता है।पाँच साल बीत जाते हैं।सुप्रिया पाठक उसे अपने यहाँ रहने के लिए जगह भी दे देती हैं।अब पाँच साल बाद अज्जू रिंग में वापसी करता है।

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फिल्ममें मुम्बई की लोकल भाषा, बैकग्राउंड में बजते रैप सांग और टपोरीगिरी देखते हुए आपको कई बार गली बॉय की याद भी आयेगी।

एक्टिंग के खाते में फरहान हमेशा अच्छा स्कोर करते हैं।इस बार भी किया है।परेश रावल कहीं कहीं जल्दी में लगे हैं, लेकिनउन्हें डायलॉग बोलने केलिए सिर्फमुँह की ज़रुरत नहीं, उनकी पूरी बॉडी डायलॉग डिलीवरी करती है।

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मृणाल ठाकुर ने भी अपना रोल बाखूबी निभाया है। मुन्ना के करैक्टर में हुसैन दलाल सरप्राइज़ पैक हैं। उनकी एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग सुस्तस्क्रीनप्ले में फुर्ती लाने का काम करती है।

फिल्म के एक्शन सीन्स भीऔसत ही हैं। अगर समय अनुपात देखें, तोफिल्म के मुकाबले ट्रेलर में ज्यादा बॉक्सिंग सीन्सहैं। आपहाँ, बॉक्सिंग करने से पहले फरहान से रिसर्च भरपूर की है। वाकई एक बॉक्सर की तरह प्रैक्टिस की है। बस कहीं कहीं वो अपनी स्क्रीन एजसे दस साल बड़े (अपनी असली उम्र के) लगते हैं।

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फिल्म का संगीत भी औसत है। कुलमिलाकर अगर आप फरहान की तूफान का इंतज़ार पिछले दो साल से कर रहे थे और इससे बहुत उम्मीदें लगाए बैठे थे, तो ये आपको निराश करने वाली है। हाँ, नॉर्मली एक टाइमपास फिल्म के लिहाज़ से बुरी नहीं है।

कुछहँसी-मज़ाक के सीन्स अच्छे हैं। फरहान और परेश रावल के सीन्स बहुत बढ़िया हैं। कसरत के सीन्स में भी दम हैं, हालाँकि वो बहुतकम हैं। ढाई घंटे की ये फिल्म कुछ कम भी हो जाती तो बेहतर होता।

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रेटिंग – 4.5/10

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