मैं आख़िर कब तक एक ही से रोल करती रहती? – Karishma Kapoor By Siddharth Arora 'Sahar' 24 Jun 2021 | एडिट 24 Jun 2021 22:00 IST in सेलिब्रिटी फोटोज़ New Update Follow Us शेयर यूँ तो फिल्म इंडस्ट्री में एक से बढ़कर एक एक्ट्रेस आई हैं पर कोई ऐसी एक्ट्रेस जिसने मात्र दस साल के कैरियर में छोटे-मोटे रोल्स से चलकर सीधा टॉप एक्ट्रेस का ख़िताब जीत लिया हो, तो वो एक ही है, Karishma Kapoor Photo credit - BobbyTalkCinema Karishma बचपन से ही एक्टिंग में कैरियर बनाना चाहती थी पर उनके पिता रणधीर कपूर इसके सख्त खिलाफ थे। उनका मानना था कि घर की महिलाओं को फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहना चाहिए, यहाँ माहौल उतना अच्छा नहीं है जितना दिखता है लेकिन Karishma अपनी माँ बबिता की बात ज़्यादा मानती थीं जिनका कहना था कि बच्चों को जो करना है उन्हें करने देना चाहिए। करिश्मा 80s में माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी की बहुत बड़ी फैन थीं। हरी-हरी आँखें लिए करिश्मा जब खुद को आईने में निहारती थीं तब उनके मन से एक ही आवाज़ आती थी, मुझे एक्ट्रेस बनना है। लेकिन जैसा हम सोचते हैं कि फिल्मी बैकग्राउंड से आए स्टार-किड्स के लिए रास्ता बहुत आसान होता होगा, पर ऐसा बिल्कुल नहीं है। उन्हें काम तो शायद बाकियों के मुकाबले जल्दी मिल जाता है लेकिन रेस्पेक्ट नहीं मिलती, तारीफें नहीं मिलती। फिर चाहें वह कितना ही अच्छा काम कर लें, उन्हें ‘ये तो स्टार किड्स हैं, इनका क्या है इन्हें तो काम मिल ही जायेगा’ कहकर उलाहना दी जाती है। अपने माँ-बाप के अलग होने के बाद Karishma अपनी बहन करीना संग माँ बबिता शिवदसानी के साथ रहने लगी थीं। मात्र 17 साल की उम्र में उन्होंने सन 1991 में प्रेम कैदी नामक फिल्म से डेब्यू किया था। उस फिल्म में करिश्मा के हरीश कुमार भी डेब्यू कर रहे थे। ये फिल्म ठीक-ठाक चली थी लेकिन उसी साल उनकी पाँच फिल्में लगातार फ्लॉप ही थीं। इनमें सलमान के साथ भी दो फिल्में – जाग्रति और निश्चय भी शामिल थीं। वहीँ अक्षय के साथ उनकी पहली फिल्म दीदार भी बॉक्स ऑफिस पर कोई ख़ास कमाल नहीं कर पाई थी लेकिन, अजय देवगन के साथ उनकी पहली फिल्म – जिगर – बहुत बड़ी हिट हुई थी और रातों रात करिश्मा की पहचान स्थापित हो गयी थी। लेकिन Karishma की किस्मत में किसी हिट फिल्म की हीरोइन होना भर नहीं लिखा था बल्कि उनकी किस्मत उन्हें ‘करिश्मा फिल्म में है इसलिए फिल्म हिट हुई’ तक पहुँचाने के लिए तैयार थी। 1993 में करिश्मा ने गोविंदा के साथ पहली फिल्म की – मुकाबला – जो अच्छी ख़ासी हिट हुई। लेकिन इसके अलावा कोई फिल्म नहीं चली। पर करिश्मा तो इंडस्ट्री में मन बनाकर आई थीं कि उन्हें हर हाल में कामयाब होना ही है। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में इसलिए भी छोटी एज में, पढ़ाई छोड़ के काम शुरु किया था क्योंकि वो अपने परिवार की आर्थिक स्थिति भी संभालना चाहती थीं। सन 1994 में उनकी नौ फिल्में रिलीज़ हुई जिनमें शुरुआती चार बुरी तरह फ्लॉप रहीं। लेकिन, यहाँ उनकी टीम डेविड धवन के साथ बनी, जो उन दिनों गोविंदा के साथ राजा बाबू बना रहे थे। ये रोल ऐसा लगता है कि करिश्मा के लिए ही बना था क्योंकि इसमें उनका रोल एक घमंडी बदतमीज़ बहुत पढ़ी लिखी लड़की का दिखाया गया है जो सिर्फ इसलिए शादी तोड़ देती है कि राजा (गोविंदा) अनपढ़ होता है। ये फिल्म कॉमेडी के साथ-साथ पढ़ाई लिखाई पर एक कटाक्ष भी थी और ये फिल्म सुपर हिट साबित हुई थी। इसके बाद उन्होंने गोविंदा के साथ खुद्दार भी की और वो भी हिट रही। फिर इसी साल, राज कुमार संतोषी की कल्ट क्लासिक कॉमेडी अंदाज़ अपना-अपना रिलीज़ हुई जिसमें वो पहली बार आमिर खान के साथ दिखीं, हालाँकि फिल्म में उनके हीरो सलमान खान थे। ये फिल्म हिट तो नहीं हो पाई लेकिन टेलीविज़न पर हमेशा के लिए अमर हो गयी। इसी साल, उनकी दो और फिल्मे रिलीज़ हुई, जिनमें से एक - सुहाग –अंदाज़ अपना-अपना जैसी बेहतरीन कॉमेडी के फ्लॉप होने की वजह बनी थी। सुहाग ब्लॉकबस्टर हुई दर्शक अजय देवगन संग करिश्मा की जोड़ी के दीवाने हो गए। कहीं न कहीं ये दोनों भी अपनी जोड़ी पसंद करने लगे थे। लेकिन इनका रिश्ता ज़्यादा न चल सका। 1995 में करिश्मा फिर गोविंदा और डेविड धवन के संग कुली नंबर वन में नज़र आई और ये फिल्म भी ब्लॉकबस्टर हो गयी। यहाँ चीची- यानी गोविंदा और लोलो यानी करिश्मा की जोड़ी मोस्ट डिमांडिंग जोड़ी बन गयी। करिश्मा को लोलो कहलाने के पीछे भी कहानी है। एक रोज़ करिश्मा की माँ बबिता इटेलियन एक्ट्रेस जीना लोलोब्रिगिदा की फिल्म देख रही थीं। उन्हें जीना की लुक, उनकी आँखें बिल्कुल अपनी बेटी करिश्मा जैसी लगीं तो उन्होंने करिश्मा को जीना कहने की बजाए लोलोब्रिगिदा कहा और धीरे-धीरे सब उन्होंने लोलो कहने लगे। चीची-लोलो की जोड़ी ऐसी हिट हो गयी कि इन्होने साथ 11 फिल्में कीं और सब अच्छी रहीं। इनमें मुकाबला, राजा बाबू, खुद्दार, कुली नंबर वन के अलावा, हसीना मान जायेगी, प्रेम शक्ति, दुलारा, साजन चले ससुराल, हीरो नंबर वन, और शिकारी शामिल थीं। शिकारी को छोड़ सब पैसा और नाम दोनों कमाने में आगे रहीं। करिश्मा ने सन 1996 में दो बहुत बड़ी हिट फिल्में दीं, जिनमें एक सलमान खान और सनी देओल संग जीत रही, इस फिल्म में करिश्मा के करैक्टर की बहुत तारीफ हुई लेकिन इससे भी बड़ी हिट राजा हिन्दुस्तानी रही। आमिर खान के साथ इस फिल्म के लिए करिश्मा को पहली बार फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला। तब उन्होंने कहा कि “यहाँ तक का सफ़र बिल्कुल भी आसान नहीं था, कोई नॉन-फिल्मी बैकग्राउंड से आई एक्ट्रेस अगर छोटा सा काम भी कर लेती थी तो उसकी बहुत तारीफ होती थी वहीँ मैं, एक 17 साल की लड़की बड़े से बड़ा शॉट भी दे दूँ तो सुनने को मिलता था ये कौन सी बड़ी बात है, तुम तो स्टार किड हो, तुम्हें तो आता ही होगा” 1997 में यश चोपड़ा के सामने एक मुसीबत आ गयी। वह ‘दिल तो पागल है’ बना रहे थे पर माधुरी की वजह से कोई दूसरी बड़ी एक्ट्रेस निशा नामक सपोर्टिंग रोल के लिए आगे ही नहीं आ रही थी। लेकिन राजा हिन्दुस्तानी की कामयाबी के बाद अब करिश्मा कपूर भी बड़ी एक्ट्रेस हो गयी थीं। जब यश चोपड़ा ने उसने पूछा तो उन्होंने फट से हाँ कर दी। आख़िर माधुरी की तो वो फैन थीं, भला उन्हें क्यों कॉम्पीटिटर समझतीं? फिर उनके इसी रोल के लिए उन्हें पहली बार नेशनल अवार्ड से भी नवाज़ा गया और उन्होंने अपना दूसरा फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता। कहाँ कोई इस रोल में हाथ नहीं डालना चाहता था, कहाँ अब हर एक्ट्रेस मलाल कर रही थी कि काश निशा का करैक्टर उसने प्ले किया होता। फिर एक छोटे से ब्रेक के बाद, सन 1999 में पहली बार सूरज बड़जात्या के साथ काम किया और फिर एक ब्लॉकबस्टर हिट दी। इस फिल्म का नाम था, हम साथ-साथ हैं, इसमें यूँ तो सलमान खान भी थे लेकिन करिश्मा सैफ अली खान के साथ थीं। अब Karishma को लगने लगा कि उन्हें अपना टैलेंट ग्रो करना है तो उन्हें कर्मशियल सिनेमा से ज़रा हट के भी कुछ करना होगा। हालाँकि किसी भी सुपर-हिट एक्ट्रेस के लिए बनी बनाई पहचान छोड़ लीक से हटना आत्मघाती निर्णय हो सकता था पर करिश्मा कहाँ किसी चीज़ की परवाह करती थीं। उन्होंने तब खालिद मोहम्मद की फिल्म फिज़ा में बिलकुल अलग किरदार निभाया और फिर एक बार फिल्मफेयर अवार्ड ले गयीं। इस फिल्म में हृतिक रोशन उनके छोटे भाई बने थे। इसके बाद ही उन्होंने एक और ड्रामा फिल्म शक्ति में काम किया और समीक्षकों ने करिश्मा को ही फिल्म की शक्ति का नाम दे दिया। इस फिल्म में उनके साथ संजय कपूर, नाना पाटेकर और कैमियो रोल में शाहरुख खान भी थे। इसी समय उन्होंने श्याम बेनेगल की फिल्म ‘ज़ुबैदा’ में ज़ुबैदा बेगम का किरदार निभाया था जिसकी ख़ूब आलोचना और ख़ूब तारीफ, दोनों हुई थी। तब Karishma ने कहा था “मुझे ख़ुद को एक बेहतर एक्टर के रूप में देखना है तो मुझे रिस्क तो लेने होंगे, कब तक कमर्शियल सिनेमा में रहकर एक ही से रोल करती रहूंगी?” उनकी एक्टिंग के लिए उन्हें फिर एक बार फिल्मफेयर अवार्ड से नवाज़ा गया था। इसके बाद उन्होंने कुछ फिल्मे अक्षय और अमिताभ बच्चन के साथ भी कीं, फिर कुछ टीवी रियलिटी शोज़ में भी नज़र आईं पर धीरे-धीरे अपना सारा फोकस अपने बच्चों समैरा और कियान पर लगा दिया। आज भी राजा हिन्दुस्तानी, दिल तो पागल है, हम साथ-साथ हैं जैसी फिल्में टॉप मोस्ट अर्निंग फिल्मों में गिनी जाती हैं वहीं ज़ुबैदा और शक्ति: द पॉवर में अगर आप आज भी उनकी एक्टिंग देख लें, तो हाल फिलहाल की कोई भी एक्ट्रेस आपको इस लेवल की एक्टिंग करती नज़र नहीं आयेगी। आज लोलो यानी करिश्मा कपूर का जन्मदिन है। मायापुरी ग्रुप उन्हें जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई देता है। सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ #kareena kapoor #Salman Khan #Karishma Kapoor #Ajay Devgn #Randhir kapoor #govinda #Amir khan हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article