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हिना खान ने दोनों टेलीविज़न और फिल्मों में अपनी एक पहचान बना रखी है। उनकी फिल्म विशलिस्ट जो एम एक्स प्लेयर पर हाल में रिलीज़ हुई है उसकी कहानी दिल को छू लेने वाली एक मर्म गाथा है। राहत काज़मी द्वारा निर्मित यह कहानी सभी के दिल को कितना भाती है यह समय ही बतायेगा
लिपिका वर्मा
पेश है हिना खान के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश
फिल्म “विशलिस्ट“ के बारे में कुछ हाई लाइट कीजिये?
इच्छायें कभी नहीं खत्म होती है -हमारी वान्ट्स (चाहते) बढ़ती ही जाती है, क्योंकि हम सभी बहुत लालची ह्यूमन बीइंग है। विशलिस्ट एक ऐसे जोड़े मोहित और शालिनी जो एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलाॅन्ग करते हैं, उनकी कहानी है।
दोनों इतना हार्ड वर्क कर रहे हैं कि उनको हनीमून जाने का भी समय नहीं मिला। और न ही एक दूसरे के साथ समय बिताने का समय भी मिला। बस दोनों काम करके अपने आने वाले कल के लिए पैसे जमा कर रहे हैं।
हर इंसान का जीवन इसी तरह से गुजरता है। बस हमें कुछ शोक पूर्ण घटना के होने का इंतजार रहता है। इसी दौरान मुझे मालूम होता है की मेरे पति की जिंदगी केवल एक माह तक ही है। कहानी का मूल मुद्दा यही है।
आपका इस पर क्या मत है ?
बस यही हर वक़्त काम काज में ही उलझे रहे और आज जब हमारे पास पैसा है जिस से हम एन्जॉय कर सकते हैं लेकिन जिंदगी हमारे हाथ से फिसली जा रही है। हम अपने परिवार के लिए समय नहीं निकालते हैं बस काम करते रह जाते हैं।
अपने परिवार की इच्छा को भी पूर्ण नहीं कर पाते हैं। काम करना अनिवार्य है किन्तु समय समय पर थोड़ा सांस लेना भी जरूरी होता है। हमें अपने जीवन में एक बैलेंस रखना चाहिए जो बहुत जरूरी भी है।
मरने से पहले अपनी इच्छा का दमन न करे हाँ फ़ालतू पैसे खर्च न करे पर जीवन में जो करना चाहते हैं उसे भी कर लेना चाहिए।
आप अपने जीवन में पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ का कैसे संभाल पाती है ?
मैं भी हार्ड वर्किंग हूँ किन्तु जीवन को देखने का मेरा नज़रिया अलग है। मैंने अपनी पर्सनल लाइफ में यह तय किया है कि मै अपनी फैमिली ख़ास कर अपनी माँ और पिताजी को हॉलिडे पर ले जाऊंगी।
हाल ही में हम सभी मालदीव छुट्टियों पर गए थे। और अब कुछ समय जब तक कोविड है कही भी हॉलिडे पर नहीं जाना है थोड़ा सतर्कता बरत रहे हैं। पर यदि मैं अपने परिवार के साथ कही बाहर जाने का प्लान करती हूँ तो मैं उसे पीछे नहीं करती फिर चाहे मेरे पास ज्यादा पैसो का काम भी आ जाये। इतना साहस मुझ में जरूर है।
क्योंकि आप एक बेटी है सो माता-पिता का इतना ख्याल रखती है. क्या लड़कियाँ माता-पिता का ज्यादा ख्याल रखती हैं? आप गर्ल चाइल्ड चाहेंगी ?
जी हाँ, लड़कियाँ अपने माता-पिता के बारे में ज्यादा चिंता करती है। जी हाँ, मेरा पहला बच्चा गर्ल चाइल्ड ही चाहूँगी मैं। जब हम मालदीव में होटल में बैठ कर नाश्ता कर रहे थे तो एक फाॅरनर जोड़ा ने अपनी छोटी-सी बिटियों को स्विम सूट पहना कर उसे स्विमिंग पूल में छोड़ा था।
उसे देख कर मेरी माँ ने कहा -कितनी सुंदर लग रही हैं यह छोटी-सी बच्ची। तभी मैं उन्हें पलट कर जवाब दिया, “मेरी भी पहली बेटी होगी और मैं भी उससे स्विम सूट पहना कर हॉट बेबी की तरह ही बनाऊंगी। जब वो चले तो कम से कम 10 लड़के पलट कर उसे जरूर देखें।
हिना भी तो हॉट माँ है ? सो उनकी लड़की भी उन्ही की तरह हॉट ही होगी? बस हंस पड़ी हिना इस प्रश्न पर।ओ टी टी प्लेटफॉर्म ने टैलेंटेड आर्टिस्ट्स को बहुत चांस दिया है और बॉलीवुड एक्टर्स पहचान के लिए स्ट्रगल कर रहे हैं, क्या कहना है आपको इस बारे में?
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हर एक किरदार बहुत ख़ास होता है। यह अच्छी बात है। पहले फिल्मों में एक लीड किरदार के पीछे ही सब किरदार हुए करते हैं। किन्तु अब प्लेटफॉर्म पर टैलेंट बिकता है। कोई भी किरदार को आगे बढ़ा सकते हैं।
अब करैक्टर आर्टिस्ट्स को साइड लाइन नहीं किया जा सकता है। टैलेंट को अब बढ़ावा मिल रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म की वजह से सभी को काम करने का अवसर मिल रहा है।
कुछ सोच कर आगे हिना बोली, “सुपर स्टार्स स्ट्रगल नहीं कर रहे हैं उन्होंने काफी कुछ कर रखा है अपने जीवन के लिए। हाँ हो सकता ही अब वो लोग भी ओटीटी प्लेटफॉर्म वेब सीरीज़ या फिल्म ज्वाईन करें।
कुछ बड़ी फ़िल्में जैसे 83’ है, सूर्यवंशी है जो थिएटर में रिलीज़ होने वाली थी हालाँकि अभी सिनेमा हॉल खुल चुके हैं लेकिन यदि कुछ होता है तो यह फ़िल्में भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज़ होगी ना?
कुछ अभिनेत्रियों का मानना है आजकल उन्हें अच्छे ऑफर्स मिल रहे हैं -वूमेन सेंट्रिक फिल्मों में क्या कहना है ?
बिल्कुल, आजकल वूमेन सेंट्रिक (स्त्री प्रधान) है। और कई ढेर साड़ी अभिनेत्रियों ने अकेले अपने कंधे पर बॉक्स ऑफिस पर अपना जलवा भी बिखेर रही है। पहले की अपेक्षा आज कल अभिनेत्रियों को अच्छे किरदार मिल रहे हैं आज वो किसी से भी पीछे नहीं रह गयी है।
पान्डेमिक से अपने क्या सीखा है?
इस साल पान्डेमिक ने हम सभी को सिखाया कि हम इंसान सभी कुछ ग्रांटेड ले लेते हैं। एक वायरस के आने से हमारे अंदर यह डर पैदा हुआ है। क्या इस वायरस के आने का इंतजार था हमें जीवन की सच्चाई समझने हेतु? यह बहुत ही शर्मनाक बात है।
इस वायरस ने हमें एक दूसरे खासकर परिवार का मूल्य समझाया है। हम जिंदगी को अहमियत नहीं देते। अपने ही गुरुर में रहते हैं परिवार को महत्व नहीं देता। पर खुश हूँ कि वायरस ने हमें परिवार के मूल्य को समझने पर मजबूर कर दिया।
मैंने यही सीखा है अपने परिवार का साथ मूल्यवान है जिसका कोई मूल्य नहीं होता है। हमें किसी ट्रैजेडी (अनहोनी) के होने का टिजर नहीं करना चाहिए।